गया : बिहार विधानसभा उपचुनाव बेलागंज विधानसभा से लालू यादव, सुरेंद्र यादव और विश्वनाथ यादव भी मैदान में हैं. लालू यादव स्नातक, सुरेंद्र यादव सातवीं पास तो विश्वनाथ यादव निरक्षर है. चौंकिए मत, यह राजद के लालू, सुरेंद्र या विश्वनाथ नहीं है. बल्कि, तीनों निर्दलीय प्रत्याशी हैं. इन तीनों का नामांकन चर्चा का विषय बना हुआ है.
विश्वनाथ कुमार सिंह बनाम मनोरमा देवी : इसके अलावे मुख्य दलों के प्रत्याशियों की बात करें, तो महागठबंधन ने राजद से सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह, एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी के रूप में मनोरमा देवी, जन सुराज से मोहम्मद अमजद, एआईएमआईएम से मोहम्मद जावेद अली खान मैदान में हैं. इस तरह राजद के बड़े नेताओं में शुमार सुरेंद्र प्रसाद यादव के पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह मैदान में है, तो दूसरी ओर उनके मिलते-जुलते नाम से विश्वनाथ यादव ने निर्दलीय के रूप में नामांकन किया है.
कौन हैं निर्दलीय प्रत्याशी लालू, सुरेंद्र और विश्वनाथ? : राजद की प्रतिद्वंद्वी पार्टियां इस सीट को हासिल करने की जुगाड़ में है. राजद के एमवाई समीकरण को कमजोर करने की भी कोशिश है. यही समीकरण राजद को अजेय बनाए हुए हैं. यही वजह है कि लालू यादव, सुरेंद्र यादव और विश्वनाथ यादव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. अब हम आपको बताते हैं, कि यह तीनों निर्दलीय प्रत्याशी कौन हैं, और उनकी क्या राजनीतिक विरासत रही है.
ग्रैजुएट लालू यादव करते हैं प्राइवेट नौकरी : बेलागंज विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी लालू यादव प्राइवेट नौकरी करते हैं. स्नातक पास हैं. ये बाराचट्टी विधानसभा के मतदाता रहे हैं. बाराचटटी विधानसभा क्षेत्र के ही नंद सागर गांव के रहने वाले हैं. निर्दलीय प्रशासन के रूप में इन्होंने इस बार नामांकन किया है. लालू यादव पर कोई केस नहीं है. लालू यादव अपने नाम से ही फेसबुक चलाते हैं. उनके हाथ में नकदी 1 लाख 56 हजार हैं. बैंक में 24 हजार 823 रूपए हैं. इनके पास 10 ग्राम सोना है. कुल मूल्य 6 लाख 50 हजार 83 रुपए की है.
सुरेंद्र यादव सातवीं पास हैं : वहीं, सुरेंद्र यादव ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है. यह भी बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के सिमरा मोहनपुर के रहने वाले हैं. बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची में इनका नाम रहा है. इनके खिलाफ एक केस रहा है. सातवीं पास सुरेंद्र यादव के हाथ में 24 हजार कैश हैं. वहीं बैंक खाते में 24 हजार 6 सौ 30 रुपए हैं. यह खेती मजदूरी का काम करते हैं. कोई इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करते.
अशिक्षित हैं विश्वनाथ यादव : वहीं, बेलागंज विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विश्वनाथ यादव का भी नामांकन हुआ है. यह भी बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं. इनका गांव पड़ेया है. यह बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची में रहे हैं. इनके खिलाफ कोई केस नहीं है. हाथ में कैश डेढ़ लाख रुपए हैं. बैंक में 3700 जमा है. 1 एकड़ जमीन भी है. खेती भी करते हैं. ये शिक्षित नहीं है. इनका सकल कुल मूल्य 1 लाख 80 हजार 700 रूपए का है.
ये महज संयोग या कुछ और.. ? : अब सवाल यह उठता है कि एक ही विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में रहे इन तीनों ने अपना निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया है. अब इनका नामांकन संयोग है, या कुछ और. इसपर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
दिग्भ्रमित होगें वोटर या यादव वोट में सेंध लगाएंगे? : इन तीनों के लड़ने से सबसे ज्यादा नुकसान राजद को ही होना है. यह तीनों यादव जाति के हैं. ऐसे में यादव वोटरों में ये सेंधमारी कर सकते हैं. अब यह देखना होगा कि यह तीनों निर्दलीय प्रत्याशी अपने चर्चित राजनीतिक शख्सियत से मिलते-जुलते नाम की वजह से क्या गुल खिलाते हैं.
1990 में बेलागंज में RJD का कब्जा : बेलागंज विधानसभा की सीट राजद के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है. वर्ष 1990 से राजद का कब्जा इस सीट पर रहा है. 1990 से लेकर जितनी बार भी अब तक चुनाव हुए, राजद ने ही मैदान मारा है. कहा जाता है कि बेलागंज विधानसभा राजद के लिए अभेद्य दुर्ग के समान है.
2025 से पहले सेमीफाइनल : इस बार सुरेंद्र यादव 2024 में सांसद का चुनाव जीते, तो यह सीट रिक्त हुई थी. अब उनके बेटे मैदान में हैं. ऐसे में यह सीट राजद के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. वहीं आगामी विधानसभा 2025 के लिए भी एक बड़ा मैसेज है. ऐसे में राजद इस सीट को हर हाल में पाना चाहता है. वहीं प्रतिद्वंद्वी पार्टियां इस सीट से राजद का किला दरकाकर जीत हासिल करना चाहती है.
वोट बिखरेगा या रहेगा इंटैक्ट? : बता दें कि, बेलागंज विधानसभा से अजेय विधायक सुरेंद्र यादव न सिर्फ पार्टी के बड़े लीडर हैं, बल्कि यादव समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. वहीं, उनकी हर जातियों में काफी पकड़ भी है. राजद के परंपरागत वोटरों में यादव वोटर शामिल रहे हैं, लेकिन इस बार यादव समुदाय की ही मनोरमा देवी जदयू प्रत्याशी के रूप में कड़ी चुनौती दे रही हैं. ऐसे में यादव वोट जितना बिखरेगा जदयू कैंडिडेट को उतना ही लाभ होगा.
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