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यूपी के इस गांव के लोगों को रक्षाबंधन से लगता है डर! 300 सालों से पुरुषों की कलाई है सूनी, वजह जान रह जाएंगे हैरान - villagers afraid of Rakshabandhan

रक्षाबंधन पूरे देश में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन, यूपी के संभल जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां लोगों को रक्षाबंधन से डर लगता है. इस गांव के पुरुषों की कलाईयां 300 सालों से सूनी है. इसकी वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

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300 सालों से पुरुषों की कलाई है सूनी (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 1:45 PM IST

Updated : Aug 18, 2024, 2:13 PM IST

संभल: भाई -बहन के प्यार का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पूरे देश भर में 19 अगस्त को मनाया जाना है. लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाया जाता. इस गांव में रक्षाबंधन नहीं मनाने की परंपरा करीब 300 सालों से चली आ रही है. इस गांव के लोगों को रक्षाबंधन से डर लगता है. अनचाहे डर से लोग यहां अपनी बहनों से राखी नहीं बंधवाते.

इस गांव के लोगों को रक्षाबंधन से लगता है डर (video credit- Etv Bharat)

ये है वजह:जिले के सदर इलाके में शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर आदमपुर मार्ग पर बेनीपुर चक गांव है. इस गांव के लोग पिछले 300 सालों से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते. दरअसल, इस गांव के लोग पहले कभी अलीगढ़ जिले के अतरौली के सेमरई गांव में रहा करते थे. इस गांव में ठाकुर और यादव बिरादरी के लोग आपसी प्यार मोहब्बत के साथ रहा करते थे. यहां कई पीढ़‍ियों तक ठाकुर परिवारों में कोई बेटा नहीं हुआ तो इस परिवार की एक बेटी ने यादवों के बेटों को राखी बांधनी शुरू कर दी.

इसे भी पढ़े-एशिया के बड़े बाजार मेरठ में 250 से लेकर 5 लाख रुपये तक की सोने-चांदी की राखियां, बहनों को भा रही अलग वैरायटी - Rakshabandhan 2024

इसके बाद एक बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखी बांधने के बाद ठाकुर की बेटी ने यादव भाई से उपहार में उसकी जमींदारी मांग ली. इस पर यादव भाई ने बिना कुछ कहे बहन को पूरी जमींदारी दे दी. हालांकि, ठाकुर की बेटी ने मजाक में यह उपहार मांगा था. लेकिन, यादव भाई ने यह कहकर उन्हें अपनी जमींदारी दे दी कि उनके यहां बहनों से कोई मजाक नहीं किया जाता. हर वचन को पूरा किया जाता है. इसीलिए, यादव भाई ने अपनी ठाकुर बहन को पूरी जमींदारी दे दी. बाद में अपने गांव को छोड़कर संभल के बेनीपुर चक गांव चले गए.

कहा जाता है कि तभी से यादव परिवार ने राखी का पर्व न मनाने का फैसला कर लिया. गांव वालों का कहना है, कि फ‍िर कोई जमींदारी न मांग ले. इसलिए राखी का त्यौहार नहीं मनाते हैं. अब इस गांव में रक्षाबंधन के दिन गांव के पुरुषों की कलाई सूनी रहती है, इस गांव में न तो भाई राखी बंधवाता है और ना ही बहन राखी बांधती है.

यही नहीं इस गांव में शादी होकर दुल्हन बनकर आने वाली दूसरे गांव की लड़की भी रक्षाबंधन नहीं मनाती. उसके भाई भी इस गांव में राखी बंधवाने नहीं आते हैं. गांव में पीढ़ियों से यह परंपरा आज भी कायम है. इसके पीछे लोगों में संपत्ति छिन जाने का अनचाहा डर आज भी कायम है. यही वजह है, कि रक्षाबंधन पर्व पर इस गांव में राखी नहीं बंधवाई जाती.

यह भी पढ़े-इस शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर बांधें राखी, यश-समृद्धि की होगी प्राप्ति, रक्षाबंधन में न करें यह गलती - Auspicious time of Rakshabandhan

संभल: भाई -बहन के प्यार का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पूरे देश भर में 19 अगस्त को मनाया जाना है. लेकिन उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐसा गांव है, जहां रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाया जाता. इस गांव में रक्षाबंधन नहीं मनाने की परंपरा करीब 300 सालों से चली आ रही है. इस गांव के लोगों को रक्षाबंधन से डर लगता है. अनचाहे डर से लोग यहां अपनी बहनों से राखी नहीं बंधवाते.

इस गांव के लोगों को रक्षाबंधन से लगता है डर (video credit- Etv Bharat)

ये है वजह:जिले के सदर इलाके में शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर आदमपुर मार्ग पर बेनीपुर चक गांव है. इस गांव के लोग पिछले 300 सालों से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते. दरअसल, इस गांव के लोग पहले कभी अलीगढ़ जिले के अतरौली के सेमरई गांव में रहा करते थे. इस गांव में ठाकुर और यादव बिरादरी के लोग आपसी प्यार मोहब्बत के साथ रहा करते थे. यहां कई पीढ़‍ियों तक ठाकुर परिवारों में कोई बेटा नहीं हुआ तो इस परिवार की एक बेटी ने यादवों के बेटों को राखी बांधनी शुरू कर दी.

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इसके बाद एक बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखी बांधने के बाद ठाकुर की बेटी ने यादव भाई से उपहार में उसकी जमींदारी मांग ली. इस पर यादव भाई ने बिना कुछ कहे बहन को पूरी जमींदारी दे दी. हालांकि, ठाकुर की बेटी ने मजाक में यह उपहार मांगा था. लेकिन, यादव भाई ने यह कहकर उन्हें अपनी जमींदारी दे दी कि उनके यहां बहनों से कोई मजाक नहीं किया जाता. हर वचन को पूरा किया जाता है. इसीलिए, यादव भाई ने अपनी ठाकुर बहन को पूरी जमींदारी दे दी. बाद में अपने गांव को छोड़कर संभल के बेनीपुर चक गांव चले गए.

कहा जाता है कि तभी से यादव परिवार ने राखी का पर्व न मनाने का फैसला कर लिया. गांव वालों का कहना है, कि फ‍िर कोई जमींदारी न मांग ले. इसलिए राखी का त्यौहार नहीं मनाते हैं. अब इस गांव में रक्षाबंधन के दिन गांव के पुरुषों की कलाई सूनी रहती है, इस गांव में न तो भाई राखी बंधवाता है और ना ही बहन राखी बांधती है.

यही नहीं इस गांव में शादी होकर दुल्हन बनकर आने वाली दूसरे गांव की लड़की भी रक्षाबंधन नहीं मनाती. उसके भाई भी इस गांव में राखी बंधवाने नहीं आते हैं. गांव में पीढ़ियों से यह परंपरा आज भी कायम है. इसके पीछे लोगों में संपत्ति छिन जाने का अनचाहा डर आज भी कायम है. यही वजह है, कि रक्षाबंधन पर्व पर इस गांव में राखी नहीं बंधवाई जाती.

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Last Updated : Aug 18, 2024, 2:13 PM IST
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