कोरिया: छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भूपेश बघेल की सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और देसी उत्पाद को बेचने के लिए सुपर मार्केट की तर्ज पर सी-मार्ट की शुरूआत की थी. इसके तहत कोरिया जिला मुख्यालय में भी सी-मार्ट खोला गया था. लेकिन प्रदेश में सरकार बदलते ही विभागीय अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया. आलम यह है कि अब ये मार्ट सरकारी स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों में होने वाले राशन सप्लाई के भरोसे चल रहा है. शहर के ग्राहक मार्ट में नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे इससे होने वाला मुनाफा भी घट गया है. सी-मार्ट भवन की बिल्डिंग का रंग भी उड़ चुका है, जिससे यह अपना आकर्षण खोता जा रहा है.
घट गई है सामानों की बिक्री: साल 2022 में सी-मार्ट की शुरूआत की गई थी.मार्ट के बाहर फास्ट फूड के ठेले और अन्य स्टॉल भी खोले गए. लेकिन धीरे-धीरे यह सुविधाएं बंद पड़ गई. अब मार्ट में प्रोडक्ट की कमी नजर आ रही है. मार्ट से सामग्री सप्लाई के लिए समूह को मिला ई-रिक्शा भी परिसर के बाहर ही कबाड़ हो चला है. सी मार्ट परिसर की सफाई भी नहीं हो पा रही है. मार्ट में ज्यादातर रैक खाली-खाली नजर आ रहे हैं. कभी 15 हजार तक की बिक्री होती थी, अब ये घटकर 5 हजार हो गई है.
"समूह में अभी उत्पाद नहीं हो रहा. प्रोडक्ट हम ले भी नहीं ले रहे हैं, जिस कारण प्रोडक्ट कम हैं. पहले 10 से 15 हजार तक के सामग्रियों की बिक्री होती थी. अब 5 हजार रुपए तक के सामानों की बिक्री होती है." -कलावती, मैनेजर, सीमार्ट, कोरिया
सही तरीके से नहीं हो सका प्रचार-प्रसार: सी-मार्ट का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों और महिला स्व सहायता समूहों, कुम्हारों अन्य पारंपरिक कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही सी-मार्ट के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार और क्वालिटी पूर्ण सामग्री उचित दाम में उपलब्ध करवाना है. सी-मार्ट के उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए अच्छी मार्केटिंग की जानी थी, लेकिन इसकी मार्केटिंग प्रचार-प्रसार नहीं हो सका. सी-मार्ट को गांव के देसी उत्पादों की बिक्री करने के उद्देश्य से खोला गया था.
"सी मार्ट लोकल स्व सहायता समूह द्वारा संचालित किया जाता है. मार्ट से सामग्रियों की बिक्री में सीजनल अप डाउन देखने को मिलता है. मार्ट से सामग्रियों की बिक्री का मुख्य कारण सीजनल अपडाउन ही है." -आशुतोष चतुर्वेदी, सीईओ, जिला पंचायत कोरिया
बता दें कि इसमें प्रमुख रूप से महुए से बनी कुकीज, महुए के स्क्वैश, बेल का शरबत, आयुर्वेदिक जड़ी-बुटियों से लेकर हर्बल साबुन, बड़ी, पापड़, मसाला और महिला समूहों की ओर से बनाए गए हर्बल साबुन, अचार, मसाले, मुर्रा, दोना-पत्तल, काजू आदि शामिल है. हालांकि यहां दाल, चावल, आटा, मसाला की बिक्री ज्यादा हो रही है. 15-20 समूह सामग्रियों की सप्लाई कर रहे हैं. इस बारे में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पापड़, बड़ी खराब हो रहे थे, इसलिए उनकी सप्लाई रोकी है.