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महाराष्ट्र की तरह उत्तराखंड में भी गाय को 'राज्य माता' घोषित करने की मांग, संतों ने कही ये बात - Cow Rajyamata in Uttarakhand

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

Cow Rajyamata Demanding in Uttarakhand उत्तराखंड में भी गाय को राज्य माता का दर्ज देने की मांग होने लगी है. संत समाज का कहना है कि यह काम देवभूमि होने के नाते उत्तराखंड में पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. महाराष्ट्र सरकार ने जो निर्णय लिया है, उसका वो स्वागत करते हैं. उन्होंने देसी और बद्री गायों के संरक्षण पर जोर दिया.

Cow Rajyamata in Uttarakhand
संत समाज (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

ऋषिकेश: महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने देसी गायों को 'राज्य माता' का दर्जा देने का फैसला किया है. अब उत्तराखंड में भी गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग उठने लगी है. इसी कड़ी में अखिल भारतीय संत समिति और विरक्त वैष्णो मंडल संत समाज ने एक बैठक आयोजित की. बैठक में महाराष्ट्र में गौ माता को राज्य माता का दर्जा देने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने धामी सरकार से भी गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग की.

देसी और बद्री गायों के संरक्षण पर जोर: संतों ने खासकर देसी गाय की बदतर स्थिति और उत्तराखंड के पहाड़ों में बद्री गायों के लुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने इनके संरक्षण के लिए राज्य सरकार से तत्काल प्रभाव से इस पर अमल करने की मांग की है. इस अवसर पर तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द गाय को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए. यह सबसे पहले होना चाहिए था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने पहले कर दिया.

देवभूमि में पहले होना चाहिए था ये काम: संत समाज इस फैसले का स्वागत करता है, लेकिन उत्तराखंड जैसे देवभूमि से राज्य माता का दर्जा देने का फैसला अगर आता है तो यह अच्छी बात होगी. संत समाज इसका स्वागत करेगा. जल्द ही इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात की जाएगी. उत्तराखंड में जो देसी गाय का पालन पोषण करते हैं, उनके हित का ध्यान रखना चाहिए और लाभान्वित भी करना चाहिए.

वहीं, ज्योतिर्मयानंद सरस्वती ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हैं कि गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए. महाराष्ट्र सरकार का फैसला काबिले तारीफ है. साध्वी जूनागढ़ कौशिकी गिरी मां निर्वाणी पंचायती अखाड़े से संबंध रखती हैं. उन्होंने भी कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द गौ माता का दर्जा दिया जाए. महंत उमेशानंद ने कहा कि यह फैसला गोवंश की सुरक्षा और संरक्षण के हित में होगा.

त्रिवेंद्र सरकार ने गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा का प्रस्ताव किया था पास: बता दें कि उत्तराखंड में समय-समय पर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग उठती रहती है. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले हरिद्वार में अखंड परशुराम अखाड़े के कार्यकर्ताओं ने गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग उठाई थी. साल 2018 सितंबर महीने में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने विधानसभा में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. जिसकी खूब वाहवाही भी बटोरी गई थी.

इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र के पास अप्रूवल के लिए बढ़ाया गय, लेकिन इस कोई निर्णय नहीं हो पाया. गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला यह बिल तत्कालीन पशुपालन मंत्री रेखा आर्या ने उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया था. अब एक महाराष्ट्र में गाय को राज्य माता का दर्जा देने के फैसले के बाद 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने की मांग को हवा मिल गई है.

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ऋषिकेश: महाराष्ट्र में शिंदे सरकार ने देसी गायों को 'राज्य माता' का दर्जा देने का फैसला किया है. अब उत्तराखंड में भी गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग उठने लगी है. इसी कड़ी में अखिल भारतीय संत समिति और विरक्त वैष्णो मंडल संत समाज ने एक बैठक आयोजित की. बैठक में महाराष्ट्र में गौ माता को राज्य माता का दर्जा देने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने धामी सरकार से भी गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग की.

देसी और बद्री गायों के संरक्षण पर जोर: संतों ने खासकर देसी गाय की बदतर स्थिति और उत्तराखंड के पहाड़ों में बद्री गायों के लुप्त होने को लेकर चिंता जाहिर की. उन्होंने इनके संरक्षण के लिए राज्य सरकार से तत्काल प्रभाव से इस पर अमल करने की मांग की है. इस अवसर पर तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द गाय को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए. यह सबसे पहले होना चाहिए था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने पहले कर दिया.

देवभूमि में पहले होना चाहिए था ये काम: संत समाज इस फैसले का स्वागत करता है, लेकिन उत्तराखंड जैसे देवभूमि से राज्य माता का दर्जा देने का फैसला अगर आता है तो यह अच्छी बात होगी. संत समाज इसका स्वागत करेगा. जल्द ही इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात की जाएगी. उत्तराखंड में जो देसी गाय का पालन पोषण करते हैं, उनके हित का ध्यान रखना चाहिए और लाभान्वित भी करना चाहिए.

वहीं, ज्योतिर्मयानंद सरस्वती ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हैं कि गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए. महाराष्ट्र सरकार का फैसला काबिले तारीफ है. साध्वी जूनागढ़ कौशिकी गिरी मां निर्वाणी पंचायती अखाड़े से संबंध रखती हैं. उन्होंने भी कहा कि उत्तराखंड में जल्द से जल्द गौ माता का दर्जा दिया जाए. महंत उमेशानंद ने कहा कि यह फैसला गोवंश की सुरक्षा और संरक्षण के हित में होगा.

त्रिवेंद्र सरकार ने गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा का प्रस्ताव किया था पास: बता दें कि उत्तराखंड में समय-समय पर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग उठती रहती है. इस साल लोकसभा चुनाव से पहले हरिद्वार में अखंड परशुराम अखाड़े के कार्यकर्ताओं ने गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग उठाई थी. साल 2018 सितंबर महीने में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने विधानसभा में गाय को 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था. जिसकी खूब वाहवाही भी बटोरी गई थी.

इसके बाद इस प्रस्ताव को केंद्र के पास अप्रूवल के लिए बढ़ाया गय, लेकिन इस कोई निर्णय नहीं हो पाया. गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला यह बिल तत्कालीन पशुपालन मंत्री रेखा आर्या ने उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया था. अब एक महाराष्ट्र में गाय को राज्य माता का दर्जा देने के फैसले के बाद 'राष्ट्रमाता' का दर्जा देने की मांग को हवा मिल गई है.

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