रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अपनी लंबित मांगों को लेकर गुरुवार को राज्य भर की स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहिया-दीदी विधानसभा का घेराव करने पहुंचीं. जुलूस की शक्ल में विधानसभा घेरने पहुंचीं आक्रोशित सहिया-दीदीओं को पुलिस ने जगरनाथपुर के पास ही रोक दिया.
इससे आक्रोशित सहिया-दीदी सड़क पर ही बैठकर सरकार विरोधी नारे लगाने लगीं और वर्तमान सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया. सहिया के आंदोलन की जानकारी मिलते ही बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद आंदोलनकारियों से मिलने के लिए उनके बीच पहुंच गयीं. विधायक ने सबसे पहले उनकी हर एक मांग को बहुत गंभीरता से सुनने के बाद कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि आप सहिया राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं. राज्यभर की करीब 42 हजार सहिया बहनों की वजह से ही हर स्वास्थ्य योजनाएं जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रही है. ऐसे में उनके अहम योगदान को कोई कमतर नहीं आंक सकता है.
सहानुभूति से गदगद सहिया बजाने लगीं "सहिया ताली"
बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद ने सहियाओं के लिए नियमावली बनाने, सेवा स्थायीकरण, मानदेय बढ़ाने से लेकर स्वास्थ्य विभाग में निकलने वाली रिक्तियों में सहिया दीदीयों के लिए आरक्षण तक की मांग को स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष मजबूती से रखने का भरोसा दिलाया. विधायक अम्बा प्रसाद ने शुक्रवार को ही सहिया दीदियों के एक प्रतिनिधिमंडल का मुख्यमंत्री से मुलाकात का भरोसा दिलाया. इसके बाद नाराज सहिया महिला विधायक के लिए अपनी विशिष्ट सहिया ताली बजाकर उनका आभार जताया.
झारखंड में हेल्थ कार्यकर्ता आशा को कहा जाता है सहिया
आंदोलित स्वास्थ्य सहियाओं में बताया कि अन्य प्रदेशों में ASHA को झारखंड में सहिया के नाम से जाना जाता है. राज्य में करीब 42 हजार सहिया हैं, जिनकी नियुक्ति 2007 में की गयी थी. सहिया रुपाली ने बताया कि 2007 से ही उन्हें प्रोत्साहन राशि के तौर पर महज दो हजार रुपये दिए जा रहे हैं. जिसमें आज तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है जबकि महंगाई आसमान छू रहा है.
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