नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के तृतीय संस्करण का 6 दिसंबर को भव्य उद्घाटन अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत एवं लेखक नवतेज सरना द्वारा किया गया. साहित्य अकादेमी परिसर में आयोजित पुस्तक मेले का उद्घाटन वक्तव्य देते हुए नवतेज सरना ने कहा कि साहित्य अकादेमी भारतीय साहित्य का दिल है और यहां 24 भारतीय भाषाओं के बीच भारतीय विविधता में एकता को जीवंत होते हुए देखा जा सकता है.
‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के जरिए अकादेमी ने एक ऐसी स्वस्थ परंपरा की शुरुआत की है, जो भविष्य में बच्चों और युवाओं को पढ़ने के लिए प्रेरित करेगी. पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती हैं और हमें आगे चलकर एक सच्चे दोस्त की तरह हमारा साथ निभाती है. उन्होंने डिजिटल माध्यमों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें इस माध्यम से कोई समस्या नहीं है लेकिन उसपर उपलब्ध सामग्री का स्तर चिंता में डालने वाला है. उसे साहित्य नहीं कहा जा सकता.
इंटरनेट, फोन के बजाए किताबे पढ़ने की कोशिश करें छात्र: उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से विशेषतः बच्चों से अनुरोध किया कि वह इंटरनेट, फोन आदि के बजाए किताबे पढ़ने की कोशिश करें, जिससे कि वह तनावमुक्त हो सकेंगे. अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार रंजना चोपड़ा ने पुस्तकायन के तीसरे संस्करण की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसने इतने ही कम वर्षों में काफी लोकप्रियता पाई है और किताबों से युवाओं को जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है.
सोशल मीडिया तनाव को बढ़ाता है: उन्होंने साहित्य अकादेमी द्वारा 24 भारतीय भाषाओं में काम करने की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस कारण ही हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य जिंदा है. उन्होंने बच्चों से किताब पढ़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसके जरिए बच्चे आधुनिक समाज के लिए तैयार होंगे. संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार उमा नंदूरी ने पुस्तक मेले की लगातार उन्नति की तारीफ करते हुए कहा कि इससे राजधानी में एक नई पुस्तक संस्कृति का जन्म हो रहा है. उन्होंने बच्चों से अपील की वह सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय बर्बाद न करें, बल्कि उसकी जगह पुस्तकें पढ़ें जो उन्हें नई तरह की संतुष्टि देंगी और तनाव को कम करेंगी. उन्होंने मंत्रालय द्वारा संविधान निर्माण के 75 वर्ष पर और आगामी 25 वर्ष बाद भारत की स्थिति पर मंत्रालय की कई योजनाओं का जिक्र किया.
समापन वक्तव्य में साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि आज रवींद्र भवन परिसर में इस पुस्तक मेले के जरिए ज्ञान का आलोक फैला है. वर्तमान सोशल मीडिया में सूचनाएँ ज्यादा, ज्ञान कम हैं. समय के साथ संगति जरूरी है लेकिन अतीत, भविष्य और वर्तमान के बीच संतुलन भी जरूरी है, जिसे बनाए रखने में पुस्तकें सबसे ज्यादा मदद करती है. कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादेमी की पुस्तकें एवं अंगवस्त्र भेंट करके किया और अपने वक्तव्य में कहा कि किताबे हमारी ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करती हैं और हमारी दुनिया को नए अनुभवों से भरती हैं.
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