सहारनपुर : शुक्रवार से पेरिस में ओलंपिक का आगाज हो चुका है. ओलंपिक गेम्स में उत्तर प्रदेश से 6 खिलाडियों का चयन हुआ है. ख़ास बात ये है कि 6 में से 4 बेटियां हैं. इनमें एक सहारनपुर के झबीरण की रहने वालीं प्राची भी हैं. कभी गांव की पगडंडियों पर दौड़ने वाली प्राची इससे पहले एशियाड गेम्स में रजत पदक जीत चुकी हैं. अब ओंलपिक गेम्स तक पहुंच गई हैं. प्राची की इस उपलब्धि से पूरे जिले में खुशी का माहौल है. उनके परिवार, प्रशिक्षक और शुभचिंतक अब ओलंपिक में गोल्ड जीतने की भी उम्मीद लगाए बैठे हैं.
आपको बता दें कि सहारनपुर के गांव झबीरण निवासी किसान की बेटी प्राची चौधरी का चयन ओलंपिक के लिए हो गया है। प्राची के चयन से परिवार और खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है। प्राची ने 2023 में चीन में हुए एशियाड खेलों में 4×400 मीटर रिले दौड़ में रजत पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया था। जिसके लिए प्रदेश सरकार ने प्राची को डेढ़ करोड़ रुपए की राशि इनाम में दिया था। इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से राजपत्रित अधिकारी के पद ग्रहण करने का न्यौता भी दिया था। अब ओंलपिक गेम्स में चयन होने के बाद प्राची के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। प्राची चौधरी पोलेंड की अकेडमी में गोल्ड जीतने की तैयारी कर रही है।
4 भाई बहनों में तीसरे नंबर की प्राची की सफलता से पिता जयवीर चौधरी और मां राजेश देवी समेत परिवार में खुशी का माहौल है. पिता जयवीर कहते हैं कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी एक दिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर उनका और अपने देश रोशन करेगी. इससे पहले भी प्राची ने तिरंगे का गौरव बढ़ाया है. पिता बताते हैं कि प्राची ने 19वीं एशियन गेम्स में 4×400 मीटर रिले रेस में सिल्वर मेडल जीता था. प्राची की एक बहन अन्नु और दो भाई अंकित व प्रियांशु हैं. अंकित प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है, जबकि अन्नू यूपी पुलिस में है. सबसे छोटा प्रियांशु बीएससी कर रहा है. प्राची के मामा जोगेंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी भांजी ने वो कर दिखाया है, जिसकी उन्हें कल्पना भी नहीं की थी. उन्हें यकीन है कि वह वहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी.
गांव की पगडंडियों से की दौड़ने की शुरुआत : बेटी की कामयाबी पर मां राजेश देवी की भी खुशी का ठिकाना नहीं है. बताया कि उनकी प्राची ओलंपिक में भाग लेने वाली सहारनपुर की पहली लड़की है. जब वह कक्षा 7 में थी तो गांव की पगडंडियों पर दौड़ना शुरू किया था. उस वक्त उसे ताने भी सुनने को मिलते थे. बताती हैं कि जिस वक्त सब गहरी नींद में सोये होते थे, सुबह अपने पिता-भाई को साथ लेकर प्राची दौड़ लगाती थी. उसके जुनून और मेहनत को देख पूरा परिवार उसके साथ आ गया. जहां अभ्यास के दौरान भाई और पिता उसके साथ रहते थे. मां के मुताबिक प्राची ने आज तक कभी बाजार का दूध, घी तो दूर, फास्ट फूड भी नहीं खाया.
तब सबको चौंका दिया था : भाई अंकित चौधरी बताते हैं कि प्राची बचपन से ही होनहार रही है. पहली बार स्कूल में पीटी अध्यापक ने प्राची को बच्चों के साथ दौड़ाया था. पहली रेस में ही प्राची ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. कक्षा 10 में आईं तो प्राची राज्य स्तर की प्रतियोगिता में जगह बना चुकी थीं. कक्षा 12 के बाद प्राची ने पटियाला के स्पोर्ट्स एकेडमी में दाखिला ले लिया. यहां से प्राची अंतराष्ट्रीय स्तर की एथलीट बन गई हैं. एशियाड के बाद ओलंपिक में चयन होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
पूरा हुआ प्राची का सपना : अंकित कहते हैं कि उनकी दोनों बहनें प्राची और अन्नू सुबह चार बजे उसे उठाकर अपने साथ ले जाती थीं. क्योंकि उस वक्त माहौल सही नहीं था. वह उनके पीछे साइकिल पर चलता और दोनों बहनें आगे-आगे दौड़ लगाती थीं. बड़ी बहन अन्नू का यूपी पुलिस में सेलेक्शन हो गया. जबकि प्राची ने अपना लक्ष्य ओलपिक गेम्स बना लिया था, जो अब पूरा होने जा रहा है. कहा कि सोशल मीडिया पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहे हैं.
बता दें कि इससे पहले सहारनपुर में अकरम शाह ने ओलंपिक में भाग लिया था. वह जूडो खिलाड़ी हैं. अकरम सहारनपुर के एकमात्र अर्जुन पुरस्कार विजेता भी हैं. प्राची चौधरी की उपलब्धि महिला एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाती है कि कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
प्राची की उपलब्धियां
- 2018: स्टेट में 200 और 400 में गोल्ड.
- 2018:सीनियर इंटर स्टेट ब्रांच, एक ओपन नेशनल सिल्वर मेडल जीता.
- 2019: दोहा कतर एशियन चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल.
- 2019: चेक रिपब्लिक गणराज्य में दो गोल्ड और एक सिल्वर.
- 2019: जापान वर्ल्ड रिले में भाग लिया.
- 2019 में टर्कीऔर सपाला पोलेंड में ट्रेनिंग.
- 2023 में 19वीं एशियन गेम्स में 4×400 मीटर रिले रेस में सिल्वर मेडल.