सागर। बदलते वक्त के साथ काम करने के तौर तरीके और जरूरतें बदल रही हैं. ऐसे में समय के साथ चलने के लिए नई पीढ़ी को नए हुनर की जरूरत है. जो नौकरियां और स्वरोजगार स्थापित करने में मददगार हो. कंप्यूटर युग में कामकाज के तौर तरीकों में बदलाव आया है. ऐसे में नई पीढ़ी को योग्यता और क्षमताओं को विकसित करना जरूरी हो गया है. एमपी की इकलौती सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऐसे कई छोटे-छोटे डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स संचालित कर रही है, जो कम समय में मामूली फीस पर नई पीढ़ी को नए हुनर सिखा रही है.
ये कोर्स आर्गेनिक फार्मिंग, टूरिज्म,योगा, हैल्थ, फैशन इंंडस्ट्री, इंटीरियर डिजाइनिंग जैसे सेक्टर से जुड़े हैं. इस तरह के कोर्स स्वरोजगार स्थापित करने और नौकरियों में काफी मददगार है. डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की कम्युनिटी कॉलेज में 19 कोर्स संचालित किए जाते हैं. जो 6 महीने से लेकर 1 साल के भीतर मामूली फीस पर कर सकते हैं.
जारी है इन कोर्स में रजिस्ट्रेशन
डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कम्युनिटी कॉलेज में संचालित डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स में एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. 10 जून से शुरू हुई रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 5 जुलाई तक चलेगी. फिलहाल यूनिवर्सिटी की कम्यूनिटी कॉलेज 19 तरह के डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करती है. इन कोर्स की अवधि 3 महीने 6 महीने और एक साल है. खास बात यह है कि यह कोर्स बुंदेलखंड की जरूरत और बदलते परिवेश को ध्यान रखकर तैयार किए गए हैं. इन कोर्स की फीस भी मामूली है. ज्यादातर कोर्स 2 हजार से लेकर 4 हजार रुपए तक है. इन कोर्स में एडमिशन लेने के लिए शैक्षणिक योग्यता हायर सेकेंडरी है. सिर्फ पीजी डिप्लोमा इन बायोफार्मेटिक्स में शैक्षणिक योग्यता बीएससी जरूरी है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने तीन नए कोर्स
सागर यूनिवर्सिटी की कम्यूनिटी कॉलेज में महिलाओं को ध्यान में रखकर इंटीरियर डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग, हेल्थ केयर काउंसलिंग जैसे कोर्स कराए जा रहे हैं. इसके अलावा योगा और वैलनेस और क्ले एंड पिरामिक आर्ट जैसे कोर्स भी कराए जा रहे हैं.
सर्टिफिकेट कोर्स (6 माह)
सर्टिफिकेट इन कोर्स इन प्रोफेशनल कम्युनिकेशन, सर्टिफिकेट इन कंपोस्टिंग टेक्निक्स सर्टिफिकेट इन आर्गेनिक फार्मिंग, सर्टिफिकेट इन एंटरप्रेन्योरशिप डेव्हलपमेंट एंड मैनेजमेंट, सर्टिफिकेट इन व्हीट प्रोसेसिंग.
डिप्लोमा कोर्स
पीजी डिप्लोमा इन बायोफार्मेटिक्स, डिप्लोमा इन मशरूम कल्टीवेशन एंड प्रोसेसिंग, डिप्लोमा इन रिटेल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन फैशन टेक्नोलॉजी डिजाइनिंग एंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन ट्यूरिज्म,डिप्लोमा इन फुड प्रोसेसिंग एंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन हिस्टोरिकल ट्यूरिज्म एंड टूरिज्म गाइडिंग, डिप्लोमा इन वॉटर प्यूरिफिकेशन, डिप्लोमा इन सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड सोशल आडिट, डिप्लोमा इन प्रोफेशनल ऑफिस एक्सक्यूटिव, डिप्लोमा इन बॉयोपेस्टीसाइड प्रोडक्शन एंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन पेपर एंड प्लास्टिक वेस्ट रीसाइक्लिंग एंड मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन हैल्थ केयर/ गाइडेंस एंड काउंसलिंग, डिप्लोमा इन साइकोलॉजी ऑफ हेल्थ एंड वेलबीयिंग.
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हुनरमंद बनाते हैं कोर्स
जनसंपर्क अधिकारी विवेक जायसवाल का कहना है कि यूनिवर्सिटी की कम्यूनिटी कॉलेज में लंबे समय से ऐसे कोर्स चलाए जा रहे हैं. जो स्किल डेवलपमेंट पर आधारित है. ये कोर्स विश्वविद्यालय के आसपास के समुदाय की जरूरत को ध्यान रखकर डिजाइन किए गए हैं. इन कोर्सेस की खास बात ये है कि इसके लिए ना तो बहुत ज्यादा शैक्षणिक योग्यता की जरूरत है और ना ही मोटी फीस देनी पड़ती है. सभी कोर्स में हायर सेकेंडरी पास स्टूडेंट एडमिशन ले सकते हैं. सिर्फ बायो फार्मेटिक्स के पीजी डिप्लोमा के लिए बीएससी शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गई है. महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए समय की जरूरत के हिसाब से विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने योगा एंड वैलनेस, फैशन डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग और हेल्थ केयर काउंसलिंग जैसे कोर्स शुरू कराए हैं.