सागर. मध्यप्रदेश के नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिन का जोड़ा यहां लाया गया था. इन दोनों टाइगर्स को रिजर्व के नरसिंहपुर जिले के इलाके में छोड़ा गया था. लेकिन कुछ ही दिनों बाद इस जोड़े में से बाघिन 'कजरी' टाइगर रिजर्व का कोर एरिया छोड़कर करीब 70 किमी दूर भाग गई है. फिलहाल उसकी लोकेशन दमोह जिले के तेंदूखेडा में तेजगढ़ इलाके में मिल रही है. बाघिन के भागने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन व वन विभाग में हडकंप मच गया है.
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कोर जोन छोड़कर बफर जोन में पहुंची
टाइगर रिजर्व के आला अधिकारी बाघिन को वापस लाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. बांधवगढ से आई टीम फिलहाल बाघिन को वापस लाने में नाकाम रही है. अगर बाघिन आसानी से नहीं लौटती है, तो ट्रैंकुलाइज कर उसे वापस लाने के प्रयास किए जाएंगे. बताया जा रहा है कि कोर एरिया छोड़कर बाघिन बफर जोन में चली गई है, जो कि खतरनाक हो सकता है.
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20 दिन पहले बांधवगढ़ से हुई थी शिफ्टिंग
टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने के लिए उमरिया जिले के बांधवगढ टाइगर रिजर्व से एक बाघ और एक बाघिन को यहां 27 मार्च को लाया गया था. दोनों को नरसिंहपुर जिले के अंतर्गत आने वाले टाइगर रिजर्व की डोंगरगांव रेंज में व्यारमा नदी के किनारे छोड़ा गया था. दोनों पर रेडियो कॉलर लगाए गए थे जिससे उनकी लोकेशन पर नजर रखी जा सके. छोड़े गए बाघ को एन5 और बाघिन को एन4 नाम दिया गया है.
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वन विभाग के आला अधिकारियों ने डाला डेरा
इस घटना के बाद से ही नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. एए अंसारी मौके पर मौजूद हैं. ईटीवी भारत से उन्होंने कहा, ' फिलहाल हम बाघिन एन4 को सामान्य तरीके से वापस लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. बांधवगढ की टीम के अलावा हाथियों की मदद से वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. हमें कुछ हद तक सफलता मिली है और बाघिन करीब 5 किमी वापस आई है, लेकिन फिर ठहर गई है. अगर बाघिन सामान्य तौर पर टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में वापस नहीं आती तो उसे ट्रैंकुलाइज करके टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में लाया जाएगा. फिलहाल हमारी कोशिश बाघिन को हाथियों की मदद से वापस लाने की है '