सागर। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के जरिए सीट शेयरिंग तय कर ली है. इसके तहत कांग्रेस जहां यूपी की 80 सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव लडे़गी, तो मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से 28 सीटों पर कांग्रेस लडे़गी और एक सीट खजुराहो पर सपा प्रत्याशी मैदान में होगा. मध्यप्रदेश की खजुराहो सीट एक तरह से भाजपा की सीट मानी जाती है और इस सीट पर कांग्रेस एक बार ही चुनाव जीत पायी है. ऐसे में समाजवादी पार्टी को सीट देकर कांग्रेस ने भाजपा के तिलिस्म को तोड़ने की कोशिश की है. दरअसल खजुराहो सीट का बहुत बड़ा इलाका यूपी की सीमा से लगा हुआ है और इस सीट पर ओबीसी मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. जिनमें सबसे ज्यादा वोटर यादव बताए जाते हैं. फिलहाल यहां पर मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा सांसद है. बड़ा सवाल ये है कि इंडिया गठबंधन क्या खजुराहो के तिलिस्म को तोड़ पाएगी.
1957 में अस्तित्व में आई खजुराहो लोकसभा सीट
विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो की बात करें, तो ये सीट 1957 में अस्तित्व में आयी थी. 1989 तक यहां कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर देखने मिली. लेकिन 1989 के बाद ये सीट भाजपा के गढ़ के तौर पर जानी जाती है. 1989 के बाद हुए 9 चुनाव में कांग्रेस एक बार सिर्फ 1999 में खजुराहो सीट जीत पायी और कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी को जीत हासिल हुई. लेकिन उसके बाद इस सीट को जीतना कांग्रेस के लिए सपना रह गया. मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती 1989 से लेकर 1998 तक लगातार चार बार यहां से सांसद चुनी गयी. 2004 के बाद लगातार भाजपा के प्रत्याशी यहां से लोकसभा चुनाव जीत रहे हैं. 2008 के परिसीमन के बाद खजुराहो सीट में छतरपुर जिले की 2, पन्ना की 3 और कटनी जिले की 3 विधानसभा शामिल हैं.
भाजपा के गढ के रूप में जानी जाती है खजुराहो सीट
बुंदेलखंड की खजुराहो लोकसभा सीट की बात करें, तो ये सीट एक तरह से भाजपा की परम्परागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर भाजपा से कोई भी और कहीं का भी प्रत्याशी खड़ा हो चुनाव जीत जाता है. अक्सर भाजपा ने यहां बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा और फिर भी जीत हासिल की. खासकर 1989 के बाद ये सीट भाजपा की सीट ही हो गयी है. सिर्फ 1999 में सत्यव्रत चतुर्वेदी यहां से लोकसभा चुनाव जीत पाए थे. उमाभारती तो यहां 1989 से लगातार 4 चुनाव जीते, जबकि उमा भारती भी खजुराहो के लिए बाहरी है, वो टीकमगढ जिले की रहने वाली हैं. इसके बाद दमोह जिले के रहने वाले रामकृष्ण कुसमारिया यहां 2004 में चुनाव जीते. वहीं 2009 में जितेन्द्र सिंह बुंदेला भी खजुराहो से चुनाव लडे़ और जीत गए, वो भी खजुराहो सीट के लिए बाहरी प्रत्याशी हैं. 2014 में सतना जिले के नागौद के नागेंद्र सिंह नागौद चुनाव लडे़ और उनको भी जीत हासिल हुई. वहीं 2019 में मुरैना जिले के रहने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने खजुराहो से बड़ी जीत हासिल की.
2019 में भाजपा को मिली बड़ी जीत
2019 में खजुराहो संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी वीडी शर्मा ने करीब 5 लाख मतों से चुनाव जीता. वीडी शर्मा ने कांग्रेस की निकटतम प्रत्याशी कविता सिंह को 4 लाख 91 हजार 884 मतों से चुनाव हराया. 2019 में भाजपा ने मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को खजुराहो से चुनाव मैदान में उतारा था. वहीं कांग्रेस ने कविता सिंह नातीराजा को उम्मीदवार बनाया था और समाजवादी पार्टी से वीर सिंह पटेल उम्मीदवार थे. भाजपा प्रत्याशी वीडी शर्मा को इस चुनाव में 8 लाख 10 हजार 410 मत हासिल हुए. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार कविता सिंह नातीराजा को 3 लाख 18 हजार 526 मत मिले। इस तरह से वीडी शर्मा 4 लाख 91 हजार 884 मतों से चुनाव जीत गए. यहां पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार वीर सिंह पटेल को महजर 40 हजार 29 वोट मिले थे. अगर वोट शेयरिंग की बात की जाए, तो खजुराहो में भाजपा को 64 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे और कांग्रेस की कविता सिंह को 25.34 फीसदी और सपा प्रत्याशी को महज 3.19 फीसदी मत मिले थे.
खजुराहो संसदीय सीट की 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा
विधानसभा चुनाव 2023 के लिहाज से देखा जाए, तो खजुराहो लोकसभा की आठों विधानसभा पर भाजपा का कब्जा है. छतरपुर की राजनगर और चंदला विधानसभा पर भाजपा ने जीत हासिल की है. वहीं पन्ना जिले की पन्ना, पवई और गुन्नौर (एससी) सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की है. इसके अलावा कटनी की कटनी, मुरवाडा और बहोरीबंद सीट पर भी भाजपा ने जीत हासिल की है. इस लिहाज से भाजपा मजबूत स्थिति में है.
ओबीसी मतदाता बाहुल्य सीट है खजुराहो
जातीय समीकरण पर गौर करें, तो एक अनुमान के मुताबिक खजुराहो संसदीय सीट में करीब 70 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं. जिनमें यादव और कुर्मी समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. माना जा रहा है कि भाजपा का तिलिस्म तोडने के लिए इंडिया गठबंधन के तहत सीट सपा को दी गयी है. जातीय समीकरणों में खजुराहो संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा यादव और कुर्मी मतदाताओं की संख्या है.
यूपी से लगी है खजुराहो सीट
खजुराहो लोकसभा सीट की बात करें, तो इस लोकसभा सीट की आठ विधानसभा में से 3 सीटों की सीमा उत्तरप्रदेश से लगती है. छतरपुर जिले की राजनगर और चंदला सीट उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड के महोवा इलाके से लगती है. इसके अलावा पन्ना जिले की बात करें, तो पन्ना जिले की पन्ना विधानसभा सीट के अजयगढ की सीमा उत्तरप्रदेश से लगी है.
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इंडिया गठबंधन में वोट शिफ्टिंग होगी बड़ी चुनौती
खजुराहो लोकसभा सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस ने भले सपा को दे दी है. लेकिन कांग्रेस की वोट सपा के लिए ट्रांसफर होगी कि नहीं, ये बडी बात है. फिलहाल कांग्रेस और सपा किस रणनीति के तहत खजुराहो सीट पर मैदान में होगी, ये तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन गठबंधन के तहत कांग्रेस की वोट शिफ्टिंग समाजवादी पार्टी के लिए कराना बड़ी चुनौती होगी. वहीं दूसरी तरफ छतरपुर और पन्ना जिले के पन्ना में तो यूपी का असर नजर आएगा. लेकिन खजुराहो लोकसभा में शामिल कटनी जिले की तीन सीटों पर समाजवादी पार्टी का प्रभाव क्या असर करेगा, ये एक बडा सवाल है.