सागर: एक तरफ पूरे देश में अग्निवीर जवानों के भविष्य का मुद्दा छाया हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ सेना उन जवानों के भविष्य को लेकर चिंता कर रही है जो पूरी जवानी देश की सेवा कर अब रिटायर होने वाले हैं. महार रेजीमेंट से रिटायर होने वाले जवानों को सेना द्वारा आधुनिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके तहत सेना के जवानों को आधुनिक और उन्नत खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं. ताकि जवान रिटायर होने के बाद अपने परिवार के साथ रहकर खेती किसानी कर देश की सेवा कर सकें.
रिटायर्ड होने वाले सैनिकों को दी जाती है ट्रेनिंग
सागर स्थित महार रेजीमेंट के जवानों को पिछले दस सालों से यहां खेती की ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके तहत जो सेना के जवान रिटायरमेंट के करीब पहुंचते हैं, उन्हें सेना के द्वारा खेती किसानी का प्रशिक्षण दिलवाया जाता है. इसके लिए संस्था बुंदेलखंड के प्रगतिशील किसानों से सैनिकों को मिलवाती है. प्रगतिशील किसान जवानों को आधुनिक और प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सरकार द्वारा संचालित खेती-किसानी की योजनाओं की जानकारी भी देती है. अनाज की खेती के साथ उद्यानिकी फसलों से कमाई के बारे में भी बताया जाता है. फूड प्रोसेसिंग की तकनीक से कृषि उत्पाद में ज्यादा आमदनी कमाने के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी जाती है.
ट्रेनिंग लेकर गए जवान कर रहे हैं अच्छी कमाई
जवानों को प्रशिक्षण दे रहे सागर के प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया बताते हैं कि, '2014 में ये सिलसिला शुरू हुआ था. तब से लेकर अब तक सेना के 4500 जवान ट्रेनिंग ले चुके हैं. ट्रेनिंग के इस सिलसिले को दस साल पूरे हो गए हैं और इन दस सालों में लगभग साढे चार हजार सैनिकों को खेती किसानी का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. रिटायरमेंट के बाद बहुत से जवान खेती से जुडे हैं. जिनके पास पैतृक जमीन थी वो उसी जमीन पर खेती कर रहे हैं और जिनके पास जमीन नहीं थी, उन्होंने रिटायरमेंट से मिले पैसे से जमीन खरीदकर खेती शुरू कर दी है और आज अच्छी कमाई कर रहे हैं.'
रिटायरमेंट के बाद भी देश सेवा का अवसर
प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने कहा कि, 'इस प्रशिक्षण के पीछे का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद भी जवानों को सशक्त बनाना है. देश की सेवा में लगे सैनिक अपनी पूरी जवानी देश के लिए लगा देते हैं. रिटायरमेंट के बाद इन्हें कहीं न कहीं काम करना पड़ता है. सेना की तरफ से ये नवाचार किया गया है कि रिटायरमेंट के बाद सैनिक खेती में भी किस्मत आजमाएं और जैसे सीमा पर रहकर देश की सुरक्षा की है उसी तरह अब माटी की भी सेवा करें. इसी उद्देश्य को लेकर यहां हर महीने उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है. जो जवान रिटायर होने वाले होते हैं हम उनको ही ट्रेनिंग देते हैं, ताकि रिटायरमेंट के बाद वो खेती को अपनाएं और प्राकृतिक खेती करके ऐसा माॅडल तैयार करें जिससे उनके इलाके के किसानों के लिए एक मिसाल बनें.'