सागर: शहर के इतिहास में सोमवार की तारीख सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई, जब शहर के लोगों ने अपनी ऐतिहासिक विरासत और पहचान लाखा बंजारा झील को गंगा मां जैसा सम्मान दिया. झील के चकरा घाट पर श्रीबैकुंठ धाम मंदिर परिसर में झील को पवित्र गंगा का स्वरूप मानकर गंगा आरती की गई. जगमगाती रोशनी और उत्सव के माहौल में 1100 दीपकों के साथ गंगा आरती का शुभारंभ 11 पंडितों द्वारा किया गया. स्थानीय विधायक की पहल पर नगर निगम द्वारा झील संरक्षण में जन सहभागिता बढ़ाने के लिए गंगा आरती का आयोजन किया गया. स्मार्ट सिटी मिशन के जरिए झील का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कर ऐतिहासिक विरासत को नया स्वरूप दिया गया है. ऐतिहासिक विरासत को साफ सुथरा और सुरक्षित रखने के लिए शहर के नागरिकों को जोड़ने गंगा आरती की पहल की गई है,जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित बढ़ी संख्या में लोग शामिल हुए.
जनप्रतिनिधियों ने नागरिकों से की ये अपील
ऐतिहासिक लाखा बंजारा झील के चकरा घाट पर आयोजित गंगा आरती के कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि "आज का दिन ऐतिहासिक दिन है, गंगा आरती का अद्भुत दृश्य देखकर हरिद्वार और काशी की आरती का दृश्य याद आ गया. उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि झील को स्वच्छ बनाने में सहयोग प्रदान करें." सांसद लता वानखेड़े ने कहा कि "आज सौभाग्य का दिन है. सागर में पहली बार गंगा आरती की परंपरा की शुरूआत विधायकजी के नेतृत्व में हुई है."
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हर सोमवार को होगा गंगा आरती का आयोजन
विधायक शैलेंद्र जैन ने कहा कि "सागर झील हमारी पहचान है. इसे स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं. आज एक नई परंपरा की शुरुआत गंगा आरती के रूप में चकराघाट से हुई है. अब हर सोमवार को गंगा आरती का आयोजन होगा. लोग अपने पूर्वजों की स्मृति में भी गंगा आरती करा सकते हैं."
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