सागर। मध्यप्रदेश की इकलौती सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर की डॉ. हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी विवादों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है. ताजा मामला विश्वविद्यालय के मानवविज्ञान विभाग का है. जहां के एचओडी अपने दफ्तर का संचालन विभाग के बाहर सड़क पर कर रहे हैं. उनका कहना है कि पूर्व एचओडी द्वारा विभागाध्यक्ष कक्ष खाली नहीं किया जा रहा है. इसलिए मजबूरी में विभाग के बाहर से दफ्तर चलाना पड़ रहा है. एचओडी का कहना है कि रोटेशन पद्धति के कारण 1 सितंबर 2023 को एचओडी नियुक्त हुए थे. लेकिन तब से लेकर अब तक पूर्व एचओडी कक्ष खाली नहीं कर रहे हैं. इस बारे में कुलपति को लिखित शिकायत दर्ज कर चुके हैं. लेकिन उन्होंने भी हस्तक्षेप नहीं किया.
कैसे बढ़ा मानव विज्ञान विभाग में विवाद
यूनिवर्सिटी में 1 सितंबर 2023 को रोटेशन पद्धति में मानवविज्ञान विभाग में एचओडी पद पर प्रोफेसर केके एन शर्मा की नियुक्ति की गई थी. प्रो.शर्मा का आरोप है कि उनकी नियुक्ति के बाद ना तो विधिवत उन्हें पूर्व एचओडी द्वारा प्रभार दिया गया और ना ही एचओडी का कक्ष खाली किया जा रहा है. 1 सितंबर को जब उनको विभाग का प्रभार लेना था तो पूर्व एचओडी प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम गायब हो गए. अब तक विधिवत प्रभार नहीं दिया गया. कक्ष में प्रोफेसर राजेश कुमार गौतम अभी तक कब्जा किए हुए हैं. इसलिए मजबूरी में विभाग के बाहर अपना दफ्तर चलाना पड़ रहा है.
प्रोफेसर्स की खींचतान में स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित
विश्वविद्यालय प्रशासन के सूत्रों की मानें तो एक कक्ष के लिए पिछले 5 महीने से विवाद चल रहा है. ये मामला जब एप्लाइड साइंसेज के डीन देबाशीष घोष के समक्ष पहुंचा तो पूर्व एचओडी को जबाब तलब किया गया. जिसके जवाब में पूर्व एचओडी ने अपना पक्ष रखते हुए विभाग की काउंसिल की मीटिंग बुलाने की मांग की. जिसमें सभी प्रोफेसर मिलकर ये तय करें कि कौन कहां बैठेगा. अपना पक्ष रखते हुए पूर्व एचओडी ने डीन को बताया है कि वर्तमान एचओडी अपना पहले का कक्ष खाली नहीं करना चाहते और बतौर एचओडी पूर्व में आवंटित कक्ष भी अपने पास रखना चाहते हैं.
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दो प्रोफेसर के विवाद को कुलपति भी नहीं सुलझा सके
इस विवाद को लेकर कुलपति प्रोफेशनल बीमा गुप्ता पहले ही दोनों प्रोफेसर को तलब कर उनका पक्ष सुन चुकी हैं. आपसी सूझबूझ से विवाद को निपटने की सलाह दे चुकी हैं. इस मामले में यूनिवर्सिटी के मीडिया ऑफिसर डॉ. विवेक जायसवाल का कहना है "कक्ष आवंटन विश्वविद्यालय एवं विभाग का आंतरिक मामला है. विभाग एवं शिक्षकों की सुविधानुसार विवि प्रशासन इस संबंध में आवश्यकतानुसार उचित निर्णय लेगा".