सागर: गेंहू और सरसों के बाद चना रबी सीजन की ऐसी फसल है, जिसकी सबसे ज्यादा मांग होती है. सेहत के लिहाज से गुणों से भरपूर चना कई तरह के फायदे देता ही है, साथ ही उगाने वाले किसानों को भी यह मोटा मुनाफा देता है. वैसे तो चने की कई किस्में बाजार में मौजूद हैं, जो अच्छे उत्पादन के लिए जानी जाती हैं. काले चने की खेती कम पैमाने पर होती है. क्योंकि बीज मिलना आसान नहीं होता है. एक तरह से इसे विलुप्त मान लिया गया है, लेकिन प्रगतिशील युवा किसान व कृषि विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने इस तरह के करीब 90 बीजों का संरक्षण कर किसानों की समस्या को कम कर दिया है.
काले चने को लेकर क्या कहते हैं जानकार
युवा किसान व कृषि विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने बताया, ''रबी सीजन में चने की खेती की जाती है. अगर किसान भाई काले चने की खेती करें तो 6 गुना ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. काला चना भारत की करीब 100 साल पुरानी विलुप्त होती किस्म है. इसे किसानों के लिए फायदेमंद इसलिए कहा जाता है, क्योंकि बाजार में इसकी कीमत 200 से 300 रुपए प्रति किलो तक है.''
काले चने के किसानों को मिलते हैं बेहतर दाम
आकाश चौरसिया ने बीते 14 सालों में खेती से जुड़े अनाजों की करीब 90 तरह की विलुप्त होती किस्मों को सहेजने का काम किया है. इसमें काला चना भी शामिल है. इसकी खेती करने को लेकर आकाश ने बताया, ''इसकी खेती कम होने के कारण काफी मांग बढ़ गई है. क्योंकि सेहत के लिए काफी फायदेमंद होने के कारण लोग इसे ज्यादा दामों पर भी खरीदने के लिए तैयार रहते हैं. वहीं किसानों के लिए ये फायदे का सौदा इसलिए है, क्योंकि महज 2 बार सिंचाई करने से इसकी फसल आराम से हो जाती है.''
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कैसे करें काले चने की खेती
कृषि विशेषज्ञ आकाश चौरसिया ने बताया, ''काला चना औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण औषधि के तौर पर भी जाना जाता है. ये कई तरह के रोगों को जड़ से मिटाने में मदद करता है. काले चने की खेती के लिए सबसे पहले बीजोपचार करना होता है. इसके लिए गोमूत्र, धनिया पाउडर, मिर्ची पाउडर का मिश्रण तैयार कर चने के बीजों पर लेप किया जाता है. फिर उसे करीब 30 मिनट के लिए धूप में रख देते हैं. इसका फायदा ये होता है कि जमीन के स्वभाव और नमी के कारण जो रोग लग सकते हैं, उनसे आसानी से बचाव होता है. काले चने की बुवाई के लिए एक एकड़ में 25 किलो बीज की जरूरत पड़ती है. इसका उत्पादन अन्य किस्मों के मुकाबले थोड़ा कम होता है और एक एकड़ में 7 से 9 क्विंटल तक उपज होती है.''