सागर: आने वाला शुक्रवार, शनिवार और रविवार का दिन वैश्विक स्तर पर एक बड़ी खगोलीय घटना का गवाह बनने जा रहा है. ज्योतिषाचार्यों की मानें, तो नवग्रहों की स्थिति को लेकर विशेष खगोलीय घटना घटित होने जा रही है. इसे ग्रहों का महासंयोग कहा जाता है. इस विशेष महासंयोग में सभी ग्रह अलग-अलग राशियों में होते हैं. ग्रहों का ये महासंयोग इस वर्ष लगभग 539 साल बाद बनने जा रहा है. माना जा रहा है कि इस महासंयोग से बड़े प्राकृतिक और आर्थिक परिवर्तन देखने को मिलेगा और विश्व स्तर पर भारत का मान बढ़ेगा.
क्या है महासंयोग?
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम कहते हैं कि "2024 में ये स्थिति 20, 21 और 22 दिसंबर को 2:15 मिनट दोपहर तक रहेगी. इस समय सभी ग्रह अलग-अलग राशियों में रहेंगे." ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पंडित गौतम ने आगे बताया कि "कालगणना के अनुसार, इसके पहले अलग-अलग राशियों में सभी ग्रह 1485 ईस्वी में थे. जब भी ग्रह गोचरीय व्यवस्था में लंबे अंतराल बाद समानता होती है, उसे ग्रहों का महासंयोग कहते हैं.
539 साल बाद बन रही है स्थिति
उन्होंने बताया "लगभग 539 साल बाद ये स्थिति इस बार दिसंबर 2024 में बनी है. भविष्य में ऐसी स्थिति कब बनेगी, यह काल गणना व शोध का विषय है. ग्रहों के महासंयोग की स्थिति में उदय कालिक लग्न धनु राशि में सूर्य, मकर राशि में शुक्र, कुंभ राशि में शनि, मीन राशि में राहु, वृष राशि में गुरु, कर्क राशि में मंगल, सिंह राशि में चंद्रमा, कन्या राशि में केतु और वृश्चिक राशि में बुध विचरण करेंगे. इस प्रकार प्रत्येक राशि में गृह अलग-थलग रहेंगे."
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भारत को वैश्विक स्तर पर मिलेगा फायदा
पंडित गौतम के अनुसार "ज्योतिष काल गणना में ऐसी स्थितियां 500 वर्ष बाद ही बनती हैं. ग्रहों का यह महासंयोग विश्व स्तरीय प्रभाव दे सकता है. प्राकृतिक, मानवीय और आर्थिक परिवर्तन देखे जा सकते हैं. महासंयोग पर शोध के अनुसार 539 साल बाद ग्रहों का महासंयोग युग परिवर्तन कराने और भारत को विश्व गुरु बनाने में सहयोग प्रदान करता है."