फर्रुखाबाद : कायदों को न मानने वाले अक्सर यह कहते हैं कि नियम तो होते ही हैं तोड़ने के लिए, लेकिन जब इस सरकारी सिस्टम ही अमल करने लगे तो क्या कहा जाए. नियमों की धज्जियां उड़ाने में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम पीछे नहीं है. वैसे तो सरकारी और गैर सरकारी अनुबंधित बसों में प्राथमिक चिकित्सा किट यानी फर्स्ट एड किट होना बेहद जरूरी है, लेकिन जब पड़ताल की गई तो किसी भी बस में यह किट नहीं मिली. किसी बस में लगी भी मिली तो दवाएं गायब थीं.
जब हम नई कार या बाइक खरीदते हैं तो उनमें एक छोटी सी फर्स्ट एड किट जरूर मिलती है. जब कोई गाड़ी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में यूज होती है तो उसमें भी फर्स्ट एड किट का होना एमवी एक्ट के मुताबिक बेहद जरूरी है. लेकिन जब हकीकत जानने के लिए फर्रुखाबाद बस स्टेशन पर पहुंचे तो डिपो और अन्य जनपद की बसों में यह किट नदारद थी. करीब 10 बसों का रियलिटी चेक किया गया. कुछ बसों के भीतर किट तो थी लेकिन सामान नदारद था.
नियम के मुताबिक प्राथमिक चिकित्सा किट में एंटीसेप्टिक क्रीम, डेटॉल, ड्रेसिंग, वाटर प्रूफ प्लास्टर, घाव और जलन के लिए पट्टी, टिंचर आयोडीन का होना आवश्यक है, लेकिन फर्स्ट एड किट के नाम पर इन बसों में सिर्फ खाली डिब्बे दिखाई दिए. इसके बाद जब हमने इन बसों में यात्रा करने वाले पैसेंजर से बातचीत की तो वह भी अपने आप को असुरक्षित बताने लगे. उनका कहना था कि कहीं ना कहीं से हम टिकट में अपनी सुरक्षा के लिए पैसे भी देते हैं, लेकिन अगर हल्की फुल्की चोट भी लग जाए या फिर तबीयत गड़बड़ हो जाए तो बसों में न तो कोई दवा रहती है और न ही इलाज के लिए ड्रेसिंग की व्यवस्था. वही बस के कंडक्टर और चालक का भी कहना था कि बसों में फर्स्ट एड किट की कोई सुविधा नहीं है.
इस बारे में एआरएम अरविंद कुमार मिश्रा का कहना था कि जिन बसों में फर्स्ट एड किट नहीं है, उनमें जल्द से जल्द यह किट उपलब्ध कराई जाएगी. जो दूसरे जनपद की बसे हैं उसके बारे में उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. कहा कि फर्रुखाबाद डिपो की बसों में जो कमी है, उनको दूर किया जाएगा.