बूंदी. जिले के देई अस्पताल में एक 5 साल के बालक की मौत के बाद हंगामा हो गया. परिजनों ने समय पर ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिलने से बालक की मौत होने का आरोप लगाया है. सोमवार को परिजन और ग्रामीणों ने अस्पताल के सामने नारेबाजी की. उनका आरोप है कि अस्पताल की बिजली गुल होने पर जनरेटर को चालू करना था, लेकिन जनरेटर में डीजल नहीं होने के कारण वो चालू नहीं हो पाया. इससे बालक को ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिल पाया और उसकी मौत हो गई.
सीएमएचओ ओपी शर्मा ने बताया कि मामले में संबंधित डॉक्टर और स्टाफ के बयान लेकर इनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. परिजनों की ओर से लगाए जा रहे आरोपों की भी जांच की जाएगी. वहीं, चिकित्सा अधिकारी योगेश पवार ने बताया कि जनरेटर में डीजल नहीं था, डीजल डलवा दिया था. बिजली आए दिन जाती है, जिसका हम कुछ नहीं कर सकते.
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बालक के पिता का आरोप : बालक के पिता दिनेश का कहना है कि वो मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं और देई में रहकर पताशी का ठेला लगाकर जीवन यापन करते हैं. तबीयत खराब होने पर 5 साल के बेटे बंटी को रविवार शाम को अस्पताल लेकर पहुंचे थे. डॉक्टर बालक के उपचार में जुटे तभी अस्पताल की बिजली गुल हो गई. उनका आरोप है कि जनरेटर में डीजल नहीं होने के कारण वह चालू नहीं हो पाया. बालक का ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा तो उसे तत्काल ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी, लेकिन बिजली के अभाव में उसे ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिल पाया. इस कारण उसकी मौत हो गई. उनका आरोप है कि तमाम प्रयास के बाद भी शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला तो वह अस्पताल परिसर में करीब एक घंटे तक शव लेकर बैठे रहे. बाद में निजी वाहन से रवाना हुए.
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अस्पताल के सामने की नारेबाजी : बालक की मौत से गुस्साए ग्रामीण सोमवार सुबह अस्पताल के सामने एकत्र हो गए और नाराजगी प्रकट करते हुए नारेबाजी करने लगे. परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों ने इस सबंध में देई एसएचओ को ज्ञापन देकर व्यवस्था सुधारने और उचित कार्रवाई करने की मांग की है. हंगामे के चलते मौके पर सीएमएचओ ओपी सामर, नैनवां बीसीएमओ एल पी नागर, देई थाना अधिकारी मौजूद रहे.