हजारीबागः ये कुछ अजब-गजब मामला है. सोमवार के दिन एक सरकारी दफ्तर से करीब 2 घंटे तक सिक्कों की खनखनाहट सुनाई दी. ऑफिस के हर कर्मचारी के हाथ में सिक्के और वे लगातार चिल्लर गिनने में मशगूल नजर आए.
ये अजीबोगरीब तस्वीर सामने आई है जिला मतस्य विभाग के दफ्तर की. जहां एक आरटीआई एक्टिविस्ट 27000 से अधिक सिक्का लेकर जानकारी लेने के लिए पहुंचे. कार्यकर्ता ने पदाधिकारी को सारा सिक्का सुपुर्द कर कहा कि आपने पैसे की मांग की थी वह दी जा रही है. कृपया करके जानकारी उपलब्ध कराया जाए.
हजारीबाग के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने मत्स्य विभाग से कुछ जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांग की थी. विभाग ने पत्र जारी कर बताया कि जो जानकारी की मांग की जा रही है वह 18000 पन्ने से अधिक का है, इस कारण उन्हें 36 हजार रुपया जमा करना होगा. आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने लोगों से सहायता प्राप्त कर पैसा जमा किया और मत्स्य विभाग में पैसा जमा किया. खास बात यह है कि उन्होंने लगभग 27000 का सिक्का जमा किया और शेष पैसा 500 का नोट का है.
जब राजेश मिश्रा सिक्का लेकर मत्स्य विभाग के दफ्तर पहुंचे तो वहां भी अधिकारी सकते में आ गए कि आखिर यह क्या हो गया. मत्स्य विभाग के बड़े बाबू ने इसकी सूचना जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार को दी. प्रदीप कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो भी पैसा आया है उसे गिनकर जमा किया जाए. मत्स्य विभाग के आधे दर्जन से अधिक कर्मियों को सिक्का गिनने में लगाया गया. करीब डेढ़ से 2 घंटे तक सभी ने सिक्के की गिनती की और फिर इसे जमा किया गया.
इतना अधिक सिक्का लाना यह भी एक चुनौती भरा काम था. जिस थैली में पैसे को रखा गया था उसका वजन लगभग 80 किलो था. ऐसे में ऑटो बुक करके पैसा लाया गया. पैसे का भरा थैला दफ्तर कार्यालय में लाने के लिए पांच लोगों की मदद लेनी पड़ी.
![RTI activists deposit coins in fisheries department office to get information in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/02-12-2024/jh-haz-01-a-coin-jh10035_02122024185646_0212f_1733146006_280.jpg)
आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने कहा कि जो निर्देश कार्यालय की ओर से दिया गया था उसे पूरा किया गया है और पैसा जमा किया गया है. आम लोगों से मदद लिया गया, सभी ने सिक्का दिया था. इस कारण दफ्तर में सिक्का जमा किया गया. उनके साथ एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज गुप्ता भी पहुंचे. उन्होंने कहा कि आमतौर पर विभाग अत्यधिक पन्ने का हवाला देते हुए सूचना देने की बात कहते हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट के पास पैसा नहीं होता है इस कारण को छोड़ देते हैं. राजेश मिश्रा ने समाज के लोगों से पैसा जमा करके कार्यालय को पैसा दिया है.
![RTI activists deposit coins in fisheries department office to get information in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/02-12-2024/jh-haz-01-a-coin-jh10035_02122024185646_0212f_1733146006_428.jpg)
इस पूरे प्रकरण पर जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि यह एक प्रक्रिया है और उसे पूरा किया जा रहा है. जो भी जानकारी मांगी गई है वह दी जाएगी. इतनी भारी संख्या में सिक्का जमा करने की बात पर उन्होंने कहा कि वह भारतीय मुद्रा है और वह स्वीकार्य भी है. इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है.
क्या है नियम
Right to Information Act यानी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी पाने के लिए आवेदन शुल्क 10 रुपया निर्धारित किया गया है. ये पैसे एप्लीकेशन के साथ लोक प्राधिकरण के लेखा अधिकारी को देय होता है. यह फीस देने के लिए आवेदक कैश, डिमांड ड्राफ्ट (DD), बैंक चेक या भारतीय पोस्टल ऑर्डर का प्रयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही सूचना पाने के लिए डॉक्यूमेंट की प्रतिलिपि या मॉडल को लेकर भी शुल्क निर्धारित की गयी है.
इसमें नियमों के तहत प्रतिलिपि (Photocopy) के हर पन्ने के लिए 2 रुपया, बड़े आकार के पेपर में छवि का वास्तविक प्रभार या लागत मूल्य, नमूनों या मॉडलों की वास्तविक लागत या कीमत आवेदक को चुकानी पड़ती है. इसके अलावा अगर आवेदक गरीबी रेखा से नीचे (BPL) श्रेणी में आता है तो उसके लिए यह शुल्क देय नहीं है. लेकिन उन्हें गरीबी रेखा से नीचे होने का प्रमाण पत्र आवेदन के साथ देना पड़ेगा.
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