वाराणसी: पंडित मदन मोहन मालवीय की बगिया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पथ संचलन का कार्यक्रम किया. इस दौरान ध्वज प्रणाम कर विश्वविद्यालय स्थापना स्थल तक पथ संचलन निकाला गया. लगभग 6000 की संख्या में स्वयंसेवक शामिल हुए और महापथ संचलन में प्रतिभाग किया.
विश्वविद्यालय स्थापना स्थल तक पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने पथसंचलन किया. बीएचयू में हर साल की तरह इस साल भी बीएचयू के स्थापना दिवस पर आरएसएस ने पथ संचलन निकाला. यह संचलन इस बार राम भक्ति को समर्पित रहा. इस दौरान स्वयंसेवकों ने राम दरबार की झांकी निकाली है.
वाराणसी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से काशी हिन्दू विश्वविद्यासय परिसर में पथ संचलन कार्यक्रम का दोपहर 2 बजे से शुरू हुआ. इस दौरान स्वयंसेवक कृषि विज्ञान संस्थान के ग्राउंड में ध्वज प्रणाम कर विश्वविद्यालय स्थापना स्थल तक पथ संचलन किया गया.
पथ संचलन में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, स्वामी विवेकानंद, डॉ. बलिराम हेडगेवार और गुरु गोलवलकर की तस्वीर के साथ स्वयंसेवक चल रहे थे. हाथों में लाठियां और खाकी फुल पैंट व सफदे शर्ट में ये स्वयंसेवक जब निकले तो वहां का माहौल ही अलग था.
राम भक्ति में निकली इस यात्रा को सिंह द्वार होते हुए विश्वविद्यालय स्थापना स्थल तक ले जाया गया. इस दौरान संघ के कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद रहे. संघ के स्वयं सेवक प्रो. जय काशलाल ने बताया कि पद संचलन के बाद सरस्वती मंदिर पर वैदिक रीति से पूजा की गई.
उन्होंने बताया कि बीएचयू के स्थापना के दिवस के मौके पर यह पथ संचलन बीते कई वर्षों से आयोजित होता आ रहा है. इसका संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के दक्षिण भाग द्वारा किया जाता है. यह संचलन एग्रीकल्चर ग्राउंड से शुरू होकर सर सुंदरलाल चिकित्सालय चौराहा, सिंह द्वार होते हुए विश्वविद्यालय स्थापना स्थल पर पहुंचती है. विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर RSS पथ संचलन करता है.
विश्वविद्यालय में निकलने वाला यह पथ संचलन हर साल बसंत पंचमी के अवसर पर निकाला जाता है, जिसमें राष्ट्र को समर्पित झांकियां भी दिखाई देती हैं. इस बार यह पथ संचलन भगवान राम को समर्पित रहा, जिसमें राम दरबार की खूबसूरत झांकी शामिल की गई.
झांकी में राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी का रूप लिए स्वयंसेवक शामिल हुए. विश्वविद्यालय परिसर में कदमताल मिलाते हुए स्वयं सेवक आगे बढ़ते रहे. स्वयं सेवकों ने बताया कि, राम मंदिर बनने के बाद रामराज्य की आधारशिला के लिए आज का यह पथ संचलन श्री राम को समर्पित किया गया.
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