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केंद्रीय बजट में एम्स को 4523 करोड़ रुपये का आवंटन, जानें आरएमएल, लेडी हार्डिंग व दिल्ली के अन्य अस्पतालों को कितना मिला फंड - UNION BUDGET HEALTH BUDGET

केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में सफदरजंग अस्पताल एवं वर्तमान महावीर मेडिकल कॉलेज को 1834 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इस बार सफदरजंग अस्पताल और उसके मेडिकल कॉलेज को 1874 करोड़ की राशि आवंटित की है.

केंद्रीय बजट में एम्स को 4523 करोड़ रुपये का आवंटन
केंद्रीय बजट में एम्स को 4523 करोड़ रुपये का आवंटन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 23, 2024, 11:10 PM IST

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा की सचिव डॉक्टर ममता ठाकुर (Etv Bharat)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज पेश किए गए बजट में राजधानी दिल्ली में संचालित अपने प्रमुख अस्पतालों एम्स, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को अंतरिम बजट के बराबर ही धनराशि आवंटित की है. वहीं सफदरजंग अस्पताल एवं वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज को पिछले बजट से 40 करोड़ रुपये अधिक धनराशि आवंटित की है.

सफदरजंग अस्पताल का बजट बढ़ाने के पीछे वजह यह मानी जा रही है कि अंतरिम बजट में सरकार ने एम्स और आरएमएल का बजट वर्ष 2023-24 के बजट के मुकाबले कई सौ करोड़ रुपये बढ़ाया था जबकि सफदरजंग का बजट 19 करोड़ रुपये कम कर दिया था. इसलिए पूर्ण बजट में सफदरजंग अस्पताल को 40 करोड़ रुपये अधिक आवंटित करके उसकी भरपाई कर दी है.

बता दें कि फरवरी में पेश किए गए अंतरिम में बजट में केंद्र सरकार ने दिल्ली एम्स को 4523 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इसी तरह आरएमएल अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भी अंतरिम बजट के बराबर ही 1610 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है. इसी तरह लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को भी पुराने बजट के बराबर ही 750 करोड़ रुपये एलॉट हुए हैं.

ये भी पढ़ें: शिक्षक और युवाओं ने बजट को बताया नई दिशा देने वाला, बड़ी घोषणाओं का दिखेगा दूरगामी असर

अस्पतालों को बजट आवंटन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा की सचिव डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने जीडीपी का कुल 2.5 प्रतिशत बजट स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जारी किया है. यह ठीक है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. जिस तरह से देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, दिल्ली में इलाज के लिए देश भर से आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इसलिए स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट जीडीपी का 9 से 10% होना चाहिए. डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा की दिल्ली में केंद्र सरकार ने अपने अस्पतालों के लिए अच्छा बजट जारी किया है. लेकिन अगर दिल्ली सरकार भी अपने अस्पतालों पर ध्यान दे तो यहां पर बहुत ज्यादा मरीजों का इलाज आसानी से हो सकता है.

ये भी पढ़ें: Budget For Delhi: दिल्लीवालों को लगी घोर निराशा हाथ, बजट भाषण में राजधानी का नाम तक नहीं

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के जीटीबी, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान जैसे बड़े अस्पताल बुरी तरह से ठप पड़े हुए हैं. इन अस्पतालों में पैरासिटामोल और पट्टी करने के लिए भी कभी-कभी सामान नहीं मिलता है. हजारों करोड़ रुपये खर्च करके ये अस्पताल बनाए गए हैं. लेकिन अब दिल्ली सरकार इन सरकारी अस्पतालों को ढंग से नहीं चला रही है. इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: 'बजट में दिल्ली को मिला जीरो...', AAP ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना को भी लागू किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने इसे लागू नहीं किया है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कैंसर की तीन दवाइयों से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा की है. यह बहुत ही अच्छा कदम है. लेकिन, कैंसर की और भी बहुत सारी दवाइयां हैं जो काफी महंगी हैं. कीमोथेरेपी की दवाइयां बहुत महंगी आती हैं. सरकार को उनके रेट कम करने पर भी थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है.

इसके अलावा हार्ट और किडनी की बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं. सरकार को उनके इलाज की सुविधा बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए. डॉ. ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की घोषणा की थी. लेकिन, अभी तक वैक्सीन लगनी शुरू नहीं हुई है. मैं मांग करती हूं कि सरकार जल्दी से उस घोषणा को जमीन पर उतारे.

ये भी पढ़ें: ब्याज-रक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च, टॉप 10 प्रमुख क्षेत्र...जिनके लिए सबसे अधिक आवंटन हुआ, जानें



इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा की सचिव डॉक्टर ममता ठाकुर (Etv Bharat)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज पेश किए गए बजट में राजधानी दिल्ली में संचालित अपने प्रमुख अस्पतालों एम्स, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को अंतरिम बजट के बराबर ही धनराशि आवंटित की है. वहीं सफदरजंग अस्पताल एवं वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज को पिछले बजट से 40 करोड़ रुपये अधिक धनराशि आवंटित की है.

सफदरजंग अस्पताल का बजट बढ़ाने के पीछे वजह यह मानी जा रही है कि अंतरिम बजट में सरकार ने एम्स और आरएमएल का बजट वर्ष 2023-24 के बजट के मुकाबले कई सौ करोड़ रुपये बढ़ाया था जबकि सफदरजंग का बजट 19 करोड़ रुपये कम कर दिया था. इसलिए पूर्ण बजट में सफदरजंग अस्पताल को 40 करोड़ रुपये अधिक आवंटित करके उसकी भरपाई कर दी है.

बता दें कि फरवरी में पेश किए गए अंतरिम में बजट में केंद्र सरकार ने दिल्ली एम्स को 4523 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इसी तरह आरएमएल अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भी अंतरिम बजट के बराबर ही 1610 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है. इसी तरह लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को भी पुराने बजट के बराबर ही 750 करोड़ रुपये एलॉट हुए हैं.

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अस्पतालों को बजट आवंटन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा की सचिव डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने जीडीपी का कुल 2.5 प्रतिशत बजट स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जारी किया है. यह ठीक है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. जिस तरह से देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, दिल्ली में इलाज के लिए देश भर से आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इसलिए स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट जीडीपी का 9 से 10% होना चाहिए. डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा की दिल्ली में केंद्र सरकार ने अपने अस्पतालों के लिए अच्छा बजट जारी किया है. लेकिन अगर दिल्ली सरकार भी अपने अस्पतालों पर ध्यान दे तो यहां पर बहुत ज्यादा मरीजों का इलाज आसानी से हो सकता है.

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उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के जीटीबी, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान जैसे बड़े अस्पताल बुरी तरह से ठप पड़े हुए हैं. इन अस्पतालों में पैरासिटामोल और पट्टी करने के लिए भी कभी-कभी सामान नहीं मिलता है. हजारों करोड़ रुपये खर्च करके ये अस्पताल बनाए गए हैं. लेकिन अब दिल्ली सरकार इन सरकारी अस्पतालों को ढंग से नहीं चला रही है. इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना को भी लागू किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने इसे लागू नहीं किया है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कैंसर की तीन दवाइयों से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा की है. यह बहुत ही अच्छा कदम है. लेकिन, कैंसर की और भी बहुत सारी दवाइयां हैं जो काफी महंगी हैं. कीमोथेरेपी की दवाइयां बहुत महंगी आती हैं. सरकार को उनके रेट कम करने पर भी थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है.

इसके अलावा हार्ट और किडनी की बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं. सरकार को उनके इलाज की सुविधा बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए. डॉ. ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की घोषणा की थी. लेकिन, अभी तक वैक्सीन लगनी शुरू नहीं हुई है. मैं मांग करती हूं कि सरकार जल्दी से उस घोषणा को जमीन पर उतारे.

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