नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज पेश किए गए बजट में राजधानी दिल्ली में संचालित अपने प्रमुख अस्पतालों एम्स, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को अंतरिम बजट के बराबर ही धनराशि आवंटित की है. वहीं सफदरजंग अस्पताल एवं वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज को पिछले बजट से 40 करोड़ रुपये अधिक धनराशि आवंटित की है.
सफदरजंग अस्पताल का बजट बढ़ाने के पीछे वजह यह मानी जा रही है कि अंतरिम बजट में सरकार ने एम्स और आरएमएल का बजट वर्ष 2023-24 के बजट के मुकाबले कई सौ करोड़ रुपये बढ़ाया था जबकि सफदरजंग का बजट 19 करोड़ रुपये कम कर दिया था. इसलिए पूर्ण बजट में सफदरजंग अस्पताल को 40 करोड़ रुपये अधिक आवंटित करके उसकी भरपाई कर दी है.
बता दें कि फरवरी में पेश किए गए अंतरिम में बजट में केंद्र सरकार ने दिल्ली एम्स को 4523 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इसी तरह आरएमएल अस्पताल एवं अटल बिहारी वाजपेई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भी अंतरिम बजट के बराबर ही 1610 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया है. इसी तरह लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को भी पुराने बजट के बराबर ही 750 करोड़ रुपये एलॉट हुए हैं.
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अस्पतालों को बजट आवंटन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पूर्वी दिल्ली शाखा की सचिव डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने जीडीपी का कुल 2.5 प्रतिशत बजट स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जारी किया है. यह ठीक है. लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. जिस तरह से देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, दिल्ली में इलाज के लिए देश भर से आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इसलिए स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट जीडीपी का 9 से 10% होना चाहिए. डॉक्टर ममता ठाकुर ने कहा की दिल्ली में केंद्र सरकार ने अपने अस्पतालों के लिए अच्छा बजट जारी किया है. लेकिन अगर दिल्ली सरकार भी अपने अस्पतालों पर ध्यान दे तो यहां पर बहुत ज्यादा मरीजों का इलाज आसानी से हो सकता है.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के जीटीबी, राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान जैसे बड़े अस्पताल बुरी तरह से ठप पड़े हुए हैं. इन अस्पतालों में पैरासिटामोल और पट्टी करने के लिए भी कभी-कभी सामान नहीं मिलता है. हजारों करोड़ रुपये खर्च करके ये अस्पताल बनाए गए हैं. लेकिन अब दिल्ली सरकार इन सरकारी अस्पतालों को ढंग से नहीं चला रही है. इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना को भी लागू किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने इसे लागू नहीं किया है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कैंसर की तीन दवाइयों से कस्टम ड्यूटी हटाने की घोषणा की है. यह बहुत ही अच्छा कदम है. लेकिन, कैंसर की और भी बहुत सारी दवाइयां हैं जो काफी महंगी हैं. कीमोथेरेपी की दवाइयां बहुत महंगी आती हैं. सरकार को उनके रेट कम करने पर भी थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है.
इसके अलावा हार्ट और किडनी की बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं. सरकार को उनके इलाज की सुविधा बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए. डॉ. ममता ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अंतरिम बजट में सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की घोषणा की थी. लेकिन, अभी तक वैक्सीन लगनी शुरू नहीं हुई है. मैं मांग करती हूं कि सरकार जल्दी से उस घोषणा को जमीन पर उतारे.
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