रांची: केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों पर झारखंड सरकार के 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया होने के मुद्दे पर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आमने-सामने हैं.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य सरकार की इस मांग को पुरी तरह से जायज ठहरा रहे हैं, जबकि बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी इसे राज्य सरकार की विफलता छुपाने का एक तरिका बता रहे हैं. बाबूलाल मरांडी नें हेमंत सोरेन पर इस मुद्दे पर हमले तेज करते हुए कई तिखे सवाल भी पुछे हैं जिसमें - बकाया राशि किस-किस साल की है और किस किस योजना/परियोजना से संबंधित है. 1.36 लाख करोड़ रुपये की राशि का आधार क्या है? और यूपीए शासनकाल और शिबू सोरेन के कोयला मंत्री रहते हुए कितनी राशि वसूली गई थी?
अभी हाल ही में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना कर चुकी भाजपा इस मुद्दे पर संभल कर बयान देती दिख रही है. जाहीर है भाजपा राज्य की जनता को निराश भी नही करना चाहती. बाबूलाल मरांडी का कहना है की झारखंड की जनता के अधिकार के लिए भाजपा खडी है मगर राज्य सरकार द्वारा पेश किए जा रहे दावों और आंकडों को फर्जी बता रही है.
भाजपा अपने उपर लग रहे आरोपों से पल्ला झाडते हुए इस बात की भी आशंका जता रही है कि कहीं राज्य सरकार बकाया राशि का मुद्दा उठाकर मुख्यमंत्री सम्मान योजना की राशि देने में विफलता के दोषारोपण की भूमिका तैयार करने की कोशीश तो नही कर रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जारी पोस्टर के जरिए बकाया राशि का विवरण भी साझा किया है. इसमें लिखा हुआ है कि केंद्र की कंपनियों पर कुल बकाया राशि 1,36,042 करोड़ है, जिसमें वॉश्ड कोयला रॉयल्टी मद में 2,900 करोड़, पर्यावरण मंजूरी सीमा के उल्लंघन मद में 32,000 करोड़ और भूमि अधिग्रहण मुआवजे के रूप में 41,142 करोड़ बकाया है.
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