डीडवाना. नागौर संसदीय सीट से भाजपा ने ज्योति मिर्धा को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं दूसरी ओर मिर्धा को यहां आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल चुनौती दे सकते हैं. भले ही अभी आधिकारिक तौर पर बेनीवाल के नाम की घोषणा न हुई हो, बावजूद इसके उनके यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि बेनीवाल इंडिया गठबंधन में शामिल हो चुके हैं और कांग्रेस ने इस सीट को आरएलपी को दे दिया है. यही वजह है कि सियासी हलकों में अब बेनीवाल के नाम की चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि, जब ईटीवी भारत ने आरएलपी के पूर्व विधायक व आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि नागौर सीट से उनके भाई हनुमान बेनीवाल चुनाव लड़ सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इसका फैसला भी आरएलपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल को ही करना है.
क्षेत्र के सियासी जानकार कैलाश राम की मानें तो आरएलपी से गठबंधन करके कांग्रेस ने भाजपा के लिए बड़ी चुनौती पेश की है. जाट बाहुल्य इलाकों में बेनीवाल का अच्छा प्रभाव माना जाता है. ऐसे में आरएलपी से गठबंधन करके कांग्रेस बड़ा दांव खेला है, क्योंकि इससे वोटों का बंटवारा रूकेगा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को फायदा हो सकता है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद चुने गए थे. हालांकि, उस दौरान बेनीवाल का भाजपा से गठबंधन था, लेकिन किसान आंदोलन के चलते बेनीवाल और भाजपा के रास्ते अलग हो गए. वहीं, माना जा रहा है कि बेनीवाल ही नागौर से मिर्धा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
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वहीं, नागौर से भाजपा ने ज्योति मिर्धा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो 2019 में कांग्रेस के टिकट पर बेनीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं और उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. दरअसल, ज्योति मिर्धा 2023 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं, जिसके बाद वो भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन उन्हें वो चुनाव हार गई. ऐसे में अब ज्योति मिर्धा के लिए नागौर सीट की राह आसान नहीं है, क्योंकि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती हनुमान बेनीवाल हैं. पिछले दो चुनावों में हनुमान बेनीवाल की वजह से ही ज्योति मिर्धा पराजित हुई थीं.
2014 में जब ज्योति मिर्धा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं, उस समय बेनीवाल निर्दलीय मैदान में थे और उनकी वजह से मिर्धा चुनाव हार गई थीं और भाजपा प्रत्याशी छोटूराम चौधरी चुनाव जीते थे. उसके बाद 2019 में भाजपा ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन किया और बेनीवाल को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा गया, जिसमें उन्हें जीत भी मिली थी.