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'आरक्षण विरोधी हैं नीतीश कुमार, कोर्ट में मजबूती से नहीं लड़ी सरकार', RJD का गंभीर आरोप - Reservation In Bihar

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 29, 2024, 4:17 PM IST

RJD Shakti Singh Yadav On Reservation: बिहार सरकार ने 65 प्रतिशत आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसपर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. ऐसे में अब इसको लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने सीए नीतीश और बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला है.

RJD Shakti Singh Yadav On Reservation In Bihar
राजद प्रवक्ता का गंभीर आरोप (ETV Bharat)
राजद प्रवक्ता का गंभीर आरोप (ETV Bharat)

पटना: बिहार में जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65% तक कर दी गई थी. लेकिन हाल ही के दिनों में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के इस निर्णय पर रोक लगा दिया था. ऐसे में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के हाईकोर्ट के खिलाफ दायर किए गए याचिका को खारिज कर दिया है.

राजद प्रवक्ता ने बोला हमला: वहीं, अब बिहार में आरक्षण सीमा को लेकर सियासत शुरू हो गई है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने साफ-साफ कहा कि बिहार में जातीय गणना हुई और उसके बाद महागठबंधन की सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाया. उन्होंने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि बिहार में जिस तरह से आरक्षण की सीमा को बढ़ाया है, उसे नवमी अनुसूची में डाला जाए. लेकिन केंद्र की सरकार ने ऐसा नहीं किया. यहीं कारण रहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा मामले में इस तरह का जजमेंट दिया है.

"पटना हाईकोर्ट ने जब आरक्षण सीमा को लेकर रोक लगाई थी तो नीतीश ने कहा था कि निश्चित तौर पर बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ेगी. लेकिन यह सब महज एक दिखावा था. जनता देख रही है कि सीएम नीतीश आरक्षण को लेकर किस तरह की राजनीति कर रहे है. समय आ गया है. जनता निश्चित तौर पर इस तरह की राजनीति का जवाब देगी." - शक्ति सिंह यादव, राजद प्रवक्ता

बिहार सरकार ने जानबूझकर ये किया: उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शुरू से ही आरक्षण के विरोधी रहे हैं. पटना हाईकोर्ट ने भी जब आरक्षण सीमा को लेकर रोक लगाई थी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि निश्चित तौर पर बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ेगी. लेकिन यह सब महज एक दिखावा था और दिखावे के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी ठीक ढंग से आरक्षण की सीमा मामले पर अपना पक्ष नहीं रख पाई. बिहार सरकार द्वारा जानबूझकर यह किया गया है.

इसे भी पढ़े- 65% आरक्षण के लिए क्या होगा नीतीश सरकार का मास्टर स्ट्रोक? क्या जयललिता की तरह बढ़ेंगे आगे या है कोई दूसरा ऑप्शन - reservation in Bihar

राजद प्रवक्ता का गंभीर आरोप (ETV Bharat)

पटना: बिहार में जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65% तक कर दी गई थी. लेकिन हाल ही के दिनों में पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के इस निर्णय पर रोक लगा दिया था. ऐसे में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाईकोर्ट के फैसले को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के हाईकोर्ट के खिलाफ दायर किए गए याचिका को खारिज कर दिया है.

राजद प्रवक्ता ने बोला हमला: वहीं, अब बिहार में आरक्षण सीमा को लेकर सियासत शुरू हो गई है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने साफ-साफ कहा कि बिहार में जातीय गणना हुई और उसके बाद महागठबंधन की सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाया. उन्होंने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि बिहार में जिस तरह से आरक्षण की सीमा को बढ़ाया है, उसे नवमी अनुसूची में डाला जाए. लेकिन केंद्र की सरकार ने ऐसा नहीं किया. यहीं कारण रहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा मामले में इस तरह का जजमेंट दिया है.

"पटना हाईकोर्ट ने जब आरक्षण सीमा को लेकर रोक लगाई थी तो नीतीश ने कहा था कि निश्चित तौर पर बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ेगी. लेकिन यह सब महज एक दिखावा था. जनता देख रही है कि सीएम नीतीश आरक्षण को लेकर किस तरह की राजनीति कर रहे है. समय आ गया है. जनता निश्चित तौर पर इस तरह की राजनीति का जवाब देगी." - शक्ति सिंह यादव, राजद प्रवक्ता

बिहार सरकार ने जानबूझकर ये किया: उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शुरू से ही आरक्षण के विरोधी रहे हैं. पटना हाईकोर्ट ने भी जब आरक्षण सीमा को लेकर रोक लगाई थी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि निश्चित तौर पर बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ेगी. लेकिन यह सब महज एक दिखावा था और दिखावे के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी ठीक ढंग से आरक्षण की सीमा मामले पर अपना पक्ष नहीं रख पाई. बिहार सरकार द्वारा जानबूझकर यह किया गया है.

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