पटना: बिहार में महागठबंधन के बीच सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी गई है. पिछले कई दिनों से सीट शेयरिंग को लेकर पेच फंसा था. बिना सीट शेयरिंग हुए ही लगातार राजद की ओर से कई उम्मीदवारों को सिंबल भी दे दिये गये थे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने इस बाबत लालू यादव से मुलाकात भी की थी. जिसके बाद दिल्ली में तेजस्वी यादव और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत हुई. महागठबंधन की सीट शेयरिंग की घोषणा पर जदयू ने निशाना साधा.
"सिर फुटव्वल के बाद आखिरकार महागठबंधन में सीट का बंटवारा हो गया है. एक बार फिर से राजद ने कांग्रेस को हाशिये पर धकेल दिया है. लालू यादव लगातार कहते रहे हैं कि राहुल गांधी आगे बढ़िये हम आपके साथ हैं. पहले एमएलसी चुनाव में सीट नहीं दी, और अब लोकसभा में इतनी कम सीट."- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
कांग्रेस को पारंपरिक सीट भी नहीं मिलीः महागठबंधन में सीट शेयरिंग की घोषणा होने के बाद भी कांग्रेस नेता पप्पू यादव के पूर्णिया सीट पर अड़े होने के बाबत जदयू प्रवक्ता ने कहा कांग्रेस पार्टी को पारंपरिक सीट भी नहीं मिली. पूर्णिया सीट के लिए पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कराया था. औरंगाबाद की सीट भी कांग्रेस को नहीं मिली. अब कांग्रेस पार्टी पर कौन विश्वास करेगा. जब कार्यकर्ता पार्टी के उम्मीदवार को ही हराने में लगेंगे तो उसका फायदा एनडीए को मिलेगा. एनडीए 40 में से 40 सीट जीतेगी.
सीट शेयरिंग की घोषणाः लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में महागठबंधन के बीच सीट शेयरिंग हो गयी है. आरजेडी कार्यालय में शुक्रवार 29 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी गयी. तय फॉर्मूले के तहत राजद 26, कांग्रेस 9 और वाम दलों को 5 सीटें मिली हैं. समझौते के मुताबिक आरजेडी को झारखंड में पलामू और चतरा सीटें दी गई है. कांग्रेस को कटिहार, किशनगंज, पटना साहिब, सासाराम, भागलपुर, बेतिया, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज और समस्तीपुर सीटें दी गयी हैं. पूर्णिया और औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी, लेकिन यह सीट राजद के खाते में गयी है.
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