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मिथिलांचल के विकास की चिंता या मतदाताओं को साधने की कोशिश, क्या MDA से NDA को हरा पाएंगे तेजस्वी? - Tejashwi Yadav

RJD Strategy For Mithilanchal: मिथिलांचल और सीमांचल के कारण ही 2020 में तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे. ऐसे में उनका पूरा फोकस इस बार इन दोनों इलाकों पर है. यही वजह है कि जब वह 'कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम' पर निकले तो सबसे पहले मिथिलांचल को ही चुना. अपनी यात्रा के दौरान नेता प्रतिपक्ष न केवल आरजेडी कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं, बल्कि मिथिलांचल के विकास के लिए वादे भी कर रहे हैं.

Tejashwi Yadav
मिथिलांचल पर आरजेडी का फोकस (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 16, 2024, 12:09 PM IST

मिथिलांचल और सीमांचल पर आरजेडी का फोकस (ETV Bharat)

पटना: पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री 'भारत रत्न' कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली समस्तीपुर से अपने 'कार्यकर्ता दर्शन सह संवाद कार्यक्रम' की शुरुआत की. वहां से दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर जाकर आरजेडी कार्यकर्ताओं से मिलकर फीडबैक ले रहे हैं. तेजस्वी को सत्ता में आने के लिए मिथिलांचल फतह करना जरूरी है, क्योंकि इन क्षेत्र में एनडीए काफी मजबूत है. हालिया लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल की चारों सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की थी. इन 4 लोकसभा क्षेत्र के तहत 41 विधानसभा है. इसमें 28 पर एनडीए का कब्जा है.

मिथिलांचल के विकास का वादा: तेजस्वी यादव जानते हैं कि मिथिलांचल में जीत के लिए सामाजिक समीकरण के साथ-साथ इलाके के जरूरी मुद्दों को उठाना भी जरूरी है. सत्ता में आने के लिए वह न केवल कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि विकास के मुद्दों पर खुलकर बात भी कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आएंगे तो 'मिथिलांचल विकास प्राधिकरण' का गठन करेंगे ताकि इस क्षेत्र का समुचित विकास हो सके.

Tejashwi Yadav
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

एनडीए पर मिथिलांचल की उपेक्षा का आरोप: तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार पर मिथिलांचल की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि 2015-17 और 2022-23 में जब वह सत्ता में साझेदार थे, तब इस क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि एनडीए के शासन में बिजली और सड़क पर तो अच्छा काम हुआ है. कुछ बड़ी परियोजना भी लाई गई. एयरपोर्ट भी शुरू हुआ और एम्स भी बन रहा है लेकिन बाढ़ प्रबंधन अभी तक नहीं हुआ है. पलायन और बेरोजगारी भी यहां बड़ी समस्या है. ऐसे में अगर 'मिथिलांचल विकास प्राधिकरण' बनता है तो निश्चय ही इस क्षेत्र का विकास होगा.

"दरभंगा और मधुबनी जिलों में 4 बार से एनडीए है. दभंगा और मधुबनी में अधिकांश विधायक एनडीए के हैं लेकिन ये दोनों जिले पिछड़े हैं. हमने केवल 17 महीनों के अल्प कार्यकाल में अपने अधीन विभागों में यहां कई आरओबी, सड़कें और एम्स को डीएमसीएच से निकाल शहर के बाहर शोभन बाईपास के पास लेकर गए और अन्य विकास कार्यों को स्वीकृत किया."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

Tejashwi Yadav
तेजस्वी यादव का पोस्ट (तेजस्वी यादव का एक्स)

मिथिलांचल में एनडीए मजबूत: गंगा के उस पार मिथिलांचल के तहत लोकसभा की एक दर्जन सीटें हैं, जिसमें झंझारपुर, मधुबनी, दरभंगा, मधेपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, समस्तीपुर, बेगूसराय, उजियारपुर, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर है. मिथिलांचल की एक दर्जन लोकसभा सीटों में 120 के करीब विधानसभा सीट है, जिसमें से अधिकांश पर एनडीए का अभी कब्जा है. तेजस्वी यादव की नजर इसलिए मिथिलांचल के क्षेत्र पर है, जिससे 2025 में अधिक सीट हासिल की जा सके.

किस दल के कितने विधायक?: तेजस्वी यादव इन दिनों मिथिलांचल के दौरे पर हैं. जिन इलाकों में वह जा रहे हैं, उनमें दरभंगा की 10 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 6 और जेडीयू के पास तीन सीट है, केवल एक सीट आरजेडी के पास है. बीजेपी के पास 6 और जेडीयू के पास तीन सीट है. मधुबनी की 10 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास 3 सीटें हैं, जबकि आरजेडी के पास केवल दो सीट है. मुजफ्फरपुर की 11 विधानसभा सीटों की बात करें तो बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास एक सीटे है, जबकि 5 सीट पर महागठबंधन के पास है. इनमें आरजेडी के 4 और कांग्रेस के एक विधायक हैं. वहीं, समस्तीपुर में 10 विधानसभा की सीटों में जेडीयू और बीजेपी के 5, आरजेडी के 4 और एक माले के विधायक हैं. यानी एनडीए और महागठबंधन के पास 5-5 सीटें हैं.

'मिथिलांचल का विकास हमारा लक्ष्य': तेजस्वी यादव ने अपनी मिथिलांचल यात्रा में सरकार बनने पर 200 यूनिट बिजली फ्री देने और मिथिलांचल विकास प्राधिकरण (MDA) बनाने की घोषणा की है. तेजस्वी यादव ने कहा कि मिथिलांचल आज भी सबसे पिछड़ा इलाका है. काफी बेरोजगारी है. बाढ़ से लोग यहां परेशान हैं. मिथिला के लोग एनडीए को जमकर वोट करते हैं लेकिन एनडीए की सरकार ने मिथिला के विकास के लिए कुछ नहीं किया है.

Tejashwi Yadav
मधुबनी में आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"बिहार में 20 वर्षों से एनडीए की डबल इंजन की सरकार है, फिर भी सत्ता के स्वार्थी इन लोगों ने मिथिला के लिए कोई विशेष कार्य नहीं किया. अगर हमारी सरकार बनी तो हम मिथिलांचल विकास प्राधिकरण बनाएंगे. यह प्राधिकरण मिथिलांचल के चहुमुखी विकास के लिए गेम चेंजर होगा."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

मिथिलांचल में एनडीए सरकार के विकास कार्य: एनडीए के शासनकाल में मिथिलांचल को लेकर कई बड़े फैसले हुए हैं. वह भी एक बड़ा कारण रहा कि मिथिला के लोग एनडीए के साथ रहे हैं. एनडीए के शासनकाल में मिथिलांचल में दरभंगा एयरपोर्ट, दरभंगा एम्स, दरभंगा में तारामंडल, दरभंगा में आईटी पार्क, कोसी पर महासेतु, दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र, मधुबनी के सौराठ में मिथिला चित्रकला संस्थान, ललित कला संग्रहालय, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत पहले चार लेन सड़क का निर्माण, बरौनी में खाद कारखाना, मुजफ्फरपुर में लेदर पार्क, बेगूसराय में पेप्सी का बॉटलिंग प्लांट, सीतामढ़ी में जानकी पुरौना धाम और मिथिला के प्रवेश द्वार में हर की पौड़ी की तरह सिमरिया घाट का विकास किया जा रहा है.

क्या कहते हैं जानकार?: एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक और अभी मिथिलांचल में स्कूल चला रहे डीएम दिवाकर का कहना है कि एनडीए सरकार के शासन में मिथिलांचल में कई काम हुए हैं. बिजली, रोड में भी अच्छा काम हुआ है. कई बड़े प्रोजेक्ट लाये गए हैं लेकिन मिथिलांचल की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है और जल प्रबंधन पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है. साथ ही पलायन और बेरोजगारी भी बड़ी समस्या है, निवेश मिथिलांचल में नहीं हुआ है. इसलिए मिथिलांचल के लिए अभी बहुत कुछ करना है और ऐसे में यदि मिथिलांचल विकास अथॉरिटी बनता है तो इस क्षेत्र के लिए अच्छी पहल हो सकती है.

Tejashwi Yadav
दरभंगा में आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"एनडीए की सरकार में मिथिलांचल में विकास के काम तो हुए हैं लेकिन अभी भी कई सेक्टर में काम होना बाकी है. सामाजिक समीकरणों के साथ-साथ विकास कार्यों के कारण भी इस क्षेत्र में एनडीए को जनता का समर्थन मिलता रहा है. अगर मिथिलांचल विकास प्राधिकरण का गठन होता है तो क्षेत्र के विकास को गति जरूर मिलेगी."- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

'एनडीए ने किया मिथिलांचल का विकास': हालांकि जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा का कहना है कि आरजेडी शासनकाल में लालू यादव ने मिथिलांचल के लोगों का हमेशा अपमान किया है. यहां तक की बीपीएससी में मैथिली को भी हटा दिया गया. मिथिला के विकास के लिए केंद्र की एनडीए सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी काम किए हैं. एयरपोर्ट से लेकर एम्स पर फैसला, दरभंगा मेडिकल कॉलेज का विस्तार और सड़क, बिजली और पानी के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को लेकर भी नीतीश कुमार ने मिथिला के लोगों को बहुत कुछ दिया है. बाढ़ प्रबंधन को लेकर भी केंद्र सरकार की पहल शुरू हो गई है, नदी जोड़ योजना पर भी काम हो रहा है.

"तेजस्वी यादव ने 2020 विधानसभा चुनाव में सीमांचल विकास काउंसिल भी बनाने की घोषणा की थी. सत्ता के लिए अब मिथिलांचल के लोगों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं. मिथिला का विकास एनडीए सरकार के समय ही हुआ है और मिथिला के लोग नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे."- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

एआईएमआईएम ने तेजस्वी को घेरा: उधर, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि सीमांचल में 2020 में तेजस्वी यादव ने सीमांचल विकास काउंसिल बनाने की घोषणा की थी. 17 महीने की सरकार उनकी चली लेकिन 17 अल्पसंख्यकों के लिए कोई काम नहीं किया. उनका मकसद सिर्फ मुसलमानों का वोट पाना है.

"तेजस्वी यादव सिर्फ घोषणा करते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सीमांचल विकास काउंसिल बनाने की घोषणा की थी. 17 महीने वह सरकार में डिप्टी सीएम भी थे, फिर क्यों नहीं काउंसिल बना. आरजेडी का मकसद सिर्फ अल्पसंख्यकों को वोट पाना है, उनकी बेहतरी के लिए वह कुछ भी नहीं करना चाहते हैं." - अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

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मिथिलांचल के विकास का वादा: तेजस्वी यादव जानते हैं कि मिथिलांचल में जीत के लिए सामाजिक समीकरण के साथ-साथ इलाके के जरूरी मुद्दों को उठाना भी जरूरी है. सत्ता में आने के लिए वह न केवल कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि विकास के मुद्दों पर खुलकर बात भी कर रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने ऐलान किया कि अगर वह सत्ता में आएंगे तो 'मिथिलांचल विकास प्राधिकरण' का गठन करेंगे ताकि इस क्षेत्र का समुचित विकास हो सके.

Tejashwi Yadav
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

एनडीए पर मिथिलांचल की उपेक्षा का आरोप: तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए की सरकार पर मिथिलांचल की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि 2015-17 और 2022-23 में जब वह सत्ता में साझेदार थे, तब इस क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि एनडीए के शासन में बिजली और सड़क पर तो अच्छा काम हुआ है. कुछ बड़ी परियोजना भी लाई गई. एयरपोर्ट भी शुरू हुआ और एम्स भी बन रहा है लेकिन बाढ़ प्रबंधन अभी तक नहीं हुआ है. पलायन और बेरोजगारी भी यहां बड़ी समस्या है. ऐसे में अगर 'मिथिलांचल विकास प्राधिकरण' बनता है तो निश्चय ही इस क्षेत्र का विकास होगा.

"दरभंगा और मधुबनी जिलों में 4 बार से एनडीए है. दभंगा और मधुबनी में अधिकांश विधायक एनडीए के हैं लेकिन ये दोनों जिले पिछड़े हैं. हमने केवल 17 महीनों के अल्प कार्यकाल में अपने अधीन विभागों में यहां कई आरओबी, सड़कें और एम्स को डीएमसीएच से निकाल शहर के बाहर शोभन बाईपास के पास लेकर गए और अन्य विकास कार्यों को स्वीकृत किया."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

Tejashwi Yadav
तेजस्वी यादव का पोस्ट (तेजस्वी यादव का एक्स)

मिथिलांचल में एनडीए मजबूत: गंगा के उस पार मिथिलांचल के तहत लोकसभा की एक दर्जन सीटें हैं, जिसमें झंझारपुर, मधुबनी, दरभंगा, मधेपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, समस्तीपुर, बेगूसराय, उजियारपुर, मुजफ्फरपुर और हाजीपुर है. मिथिलांचल की एक दर्जन लोकसभा सीटों में 120 के करीब विधानसभा सीट है, जिसमें से अधिकांश पर एनडीए का अभी कब्जा है. तेजस्वी यादव की नजर इसलिए मिथिलांचल के क्षेत्र पर है, जिससे 2025 में अधिक सीट हासिल की जा सके.

किस दल के कितने विधायक?: तेजस्वी यादव इन दिनों मिथिलांचल के दौरे पर हैं. जिन इलाकों में वह जा रहे हैं, उनमें दरभंगा की 10 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 6 और जेडीयू के पास तीन सीट है, केवल एक सीट आरजेडी के पास है. बीजेपी के पास 6 और जेडीयू के पास तीन सीट है. मधुबनी की 10 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास 3 सीटें हैं, जबकि आरजेडी के पास केवल दो सीट है. मुजफ्फरपुर की 11 विधानसभा सीटों की बात करें तो बीजेपी के पास 5 और जेडीयू के पास एक सीटे है, जबकि 5 सीट पर महागठबंधन के पास है. इनमें आरजेडी के 4 और कांग्रेस के एक विधायक हैं. वहीं, समस्तीपुर में 10 विधानसभा की सीटों में जेडीयू और बीजेपी के 5, आरजेडी के 4 और एक माले के विधायक हैं. यानी एनडीए और महागठबंधन के पास 5-5 सीटें हैं.

'मिथिलांचल का विकास हमारा लक्ष्य': तेजस्वी यादव ने अपनी मिथिलांचल यात्रा में सरकार बनने पर 200 यूनिट बिजली फ्री देने और मिथिलांचल विकास प्राधिकरण (MDA) बनाने की घोषणा की है. तेजस्वी यादव ने कहा कि मिथिलांचल आज भी सबसे पिछड़ा इलाका है. काफी बेरोजगारी है. बाढ़ से लोग यहां परेशान हैं. मिथिला के लोग एनडीए को जमकर वोट करते हैं लेकिन एनडीए की सरकार ने मिथिला के विकास के लिए कुछ नहीं किया है.

Tejashwi Yadav
मधुबनी में आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"बिहार में 20 वर्षों से एनडीए की डबल इंजन की सरकार है, फिर भी सत्ता के स्वार्थी इन लोगों ने मिथिला के लिए कोई विशेष कार्य नहीं किया. अगर हमारी सरकार बनी तो हम मिथिलांचल विकास प्राधिकरण बनाएंगे. यह प्राधिकरण मिथिलांचल के चहुमुखी विकास के लिए गेम चेंजर होगा."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

मिथिलांचल में एनडीए सरकार के विकास कार्य: एनडीए के शासनकाल में मिथिलांचल को लेकर कई बड़े फैसले हुए हैं. वह भी एक बड़ा कारण रहा कि मिथिला के लोग एनडीए के साथ रहे हैं. एनडीए के शासनकाल में मिथिलांचल में दरभंगा एयरपोर्ट, दरभंगा एम्स, दरभंगा में तारामंडल, दरभंगा में आईटी पार्क, कोसी पर महासेतु, दरभंगा में मखाना अनुसंधान केंद्र, मधुबनी के सौराठ में मिथिला चित्रकला संस्थान, ललित कला संग्रहालय, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत पहले चार लेन सड़क का निर्माण, बरौनी में खाद कारखाना, मुजफ्फरपुर में लेदर पार्क, बेगूसराय में पेप्सी का बॉटलिंग प्लांट, सीतामढ़ी में जानकी पुरौना धाम और मिथिला के प्रवेश द्वार में हर की पौड़ी की तरह सिमरिया घाट का विकास किया जा रहा है.

क्या कहते हैं जानकार?: एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक और अभी मिथिलांचल में स्कूल चला रहे डीएम दिवाकर का कहना है कि एनडीए सरकार के शासन में मिथिलांचल में कई काम हुए हैं. बिजली, रोड में भी अच्छा काम हुआ है. कई बड़े प्रोजेक्ट लाये गए हैं लेकिन मिथिलांचल की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है और जल प्रबंधन पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है. साथ ही पलायन और बेरोजगारी भी बड़ी समस्या है, निवेश मिथिलांचल में नहीं हुआ है. इसलिए मिथिलांचल के लिए अभी बहुत कुछ करना है और ऐसे में यदि मिथिलांचल विकास अथॉरिटी बनता है तो इस क्षेत्र के लिए अच्छी पहल हो सकती है.

Tejashwi Yadav
दरभंगा में आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"एनडीए की सरकार में मिथिलांचल में विकास के काम तो हुए हैं लेकिन अभी भी कई सेक्टर में काम होना बाकी है. सामाजिक समीकरणों के साथ-साथ विकास कार्यों के कारण भी इस क्षेत्र में एनडीए को जनता का समर्थन मिलता रहा है. अगर मिथिलांचल विकास प्राधिकरण का गठन होता है तो क्षेत्र के विकास को गति जरूर मिलेगी."- डीएम दिवाकर, राजनीतिक विश्लेषक

'एनडीए ने किया मिथिलांचल का विकास': हालांकि जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा का कहना है कि आरजेडी शासनकाल में लालू यादव ने मिथिलांचल के लोगों का हमेशा अपमान किया है. यहां तक की बीपीएससी में मैथिली को भी हटा दिया गया. मिथिला के विकास के लिए केंद्र की एनडीए सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी काम किए हैं. एयरपोर्ट से लेकर एम्स पर फैसला, दरभंगा मेडिकल कॉलेज का विस्तार और सड़क, बिजली और पानी के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को लेकर भी नीतीश कुमार ने मिथिला के लोगों को बहुत कुछ दिया है. बाढ़ प्रबंधन को लेकर भी केंद्र सरकार की पहल शुरू हो गई है, नदी जोड़ योजना पर भी काम हो रहा है.

"तेजस्वी यादव ने 2020 विधानसभा चुनाव में सीमांचल विकास काउंसिल भी बनाने की घोषणा की थी. सत्ता के लिए अब मिथिलांचल के लोगों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं. मिथिला का विकास एनडीए सरकार के समय ही हुआ है और मिथिला के लोग नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे."- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

एआईएमआईएम ने तेजस्वी को घेरा: उधर, एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल ईमान ने भी तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि सीमांचल में 2020 में तेजस्वी यादव ने सीमांचल विकास काउंसिल बनाने की घोषणा की थी. 17 महीने की सरकार उनकी चली लेकिन 17 अल्पसंख्यकों के लिए कोई काम नहीं किया. उनका मकसद सिर्फ मुसलमानों का वोट पाना है.

"तेजस्वी यादव सिर्फ घोषणा करते हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने सीमांचल विकास काउंसिल बनाने की घोषणा की थी. 17 महीने वह सरकार में डिप्टी सीएम भी थे, फिर क्यों नहीं काउंसिल बना. आरजेडी का मकसद सिर्फ अल्पसंख्यकों को वोट पाना है, उनकी बेहतरी के लिए वह कुछ भी नहीं करना चाहते हैं." - अख्तरुल ईमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

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