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ढह गया 'बिहार के मिनी चितौड़गढ़' का सियासी किला, औरंगाबाद को पहली बार मिला गैर राजपूत सांसद - Aurangabad Lok Sabha Seat

Abhay Kushwaha: औरंगाबाद से राजद प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने जीत हासिल करने के साथ-साथ रिकॉर्ड तोड़ने का भी काम किया. अभय कुशवाहा वहां से पहले सांसद होंगे, जो गैर राजपूत जाति से आते हैं. इससे पहले इस सीट पर राजूपतों का कब्जा था. इसी वजह से औरंगाबाद को मिनी चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 5, 2024, 2:02 PM IST

औरंगाबाद से जीत के बाद प्रमाण पत्र लेते अभय कुशवाहा
औरंगाबाद से जीत के बाद प्रमाण पत्र लेते अभय कुशवाहा (ETV Bharat)
नवनिर्वाचित सांसद अभय कुशवाहा (ETV Bharat)

औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन समर्थित RJD प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह को 80 हजार मतों हराया है. सुशील कुमार सिंह 3 बार से लगातार सांसद थे. मंगलवार को परिणाम आने के बाद अभय कुशवाहा को निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से जीत का प्रमाण पत्र दिया गया.

तीन बार सांसद रहे सुशील कुमार सिंह हारेः औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से इस बार बहुत बड़ा उलट फेर देखने को मिला है. RJD उम्मीदवार अभय कुशवाहा लगभग 79,111 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने इस जीत का श्रेय औरंगाबाद लोकसभा की जनता को दिया. उन्होंने कहा कि पिछड़ा के बेटे को लोकसभा में भेजकर लोगों ने कीर्तिमान बनाया है.

"यह औरंगाबाद के महान मतदाताओं महागठबंधन के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं की जीत है. बहुत दिनों के बाद इस सीट से एक पिछड़ा का बेटा सांसद बना है. मैं अपने क्षेत्र का ईमानदारी से विकास करूंगा इसका विश्वास दिलाता हूं" -अभय कुशवाहा, नवनिर्वाचित सांसद, औरंगाबाद

27 में चरण तक मतगणनाः राजद प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने पहले चरण से बढ़त हासिल की उसे लगातार 27 में चरण तक कायम रखा. सबसे ज्यादा बढ़त कुटुंब विधानसभा क्षेत्र से वोट मिले और सबसे कम बढ़त इमामगंज विधानसभा से रही. खास बात यह रही कि अभय कुशवाहा औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के सभी 6 विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशी सुशील सिंह पर भारी रहे. पोस्टल बैलेट मतदान में भी अभय कुशवाहा को सबसे ज्यादा मत प्राप्त हुए.

किस विधानसभा में कितने वोट? कुटुंबा विधानसभा में अभय कुशवाहा को 74,835 और सुशील सिंह को 53402 मत मिले. इसी प्रकार औरंगाबाद में अभय कुशवाहा को 84,741 और सुशील सिंह को 65,774 मत. रफीगंज में अभय कुशवाहा को 85,766 और सुशील सिंह को 65980 मत, गुरुआ में अभय कुशवाहा को 71,892 और सुशील सिंह को 64,922 मत मिले.

बैलेट पोस्टल में भी आगेः इमामगंज विधानसभा में अभय कुशवाहा को 70,899 और सुशील सिंह को 68,271 मत, टिकारी में अभय कुशवाहा को 75,712 और सुशील सिंह को 66,470 मत मिले. इसके अलावे पोस्टल बैलेट से अभय कुशवाहा को 1722 और सुशील सिंह को 1637 मत मिले. कुल वोट की बात करें तो अभय कुशवाहा को 4,65,567 और सुशील कुमार सिंह को 3,86,456 मत मिले.

72 साल में पहली बार गैर राजपूत सांसदः औरंगाबाद लोकसभा के इतिहास में 1952 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं सब में एक बात समान रही. यहां से जीतने वाला सभी राजपूत जाति से ही थे. भले ही यहां विभिन्न पार्टियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी लेकिन जातियों के मामले में समानता बनी रही थी. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र को मिनी चित्तौड़गढ़ के नाम से जाना जाता था. पहली बार राजपूत जाति से हटकर कोई कुशवाहा सांसद बना है.

1952-2019 तक राजपूत सांसदः 1952 और 1957 में सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस, 1962 में ललिता राज्य लक्ष्मी निर्दलीय, 1967 में केएम सिंह कांग्रेस, 1971 और 1977 में फिर से सत्येंद्र नारायण सिंह सांसद बने. 1980 में सत्येंद्र नारायण सिंह फिर से जेएनपी से सांसद बने, 1984 में फिर सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस में आ गए और जीत दर्ज की. 1989 और 1991 में राम नरेंश सिंह जनता दल, 1996 में वीरेंद्र कुमार सिंह जनता दल से सांसद रहे.

1998 सुशील सिंह को मौकाः 1998 में सुशील कुमार सिंह. 1999 में श्यामा प्रसाद सिंह कांग्रेस, 2004 में कांग्रेस से निखिल कुमार, 2009 में सुशील कुमार सिंह जदयू, 2014 में जदयू से नाराज सुशील कुमार सिंह भाजपा में चले गए और बीजेपी से सांसद बने. 2019 में भी सुशील कुमार सिंह बीजेपी से सांसद रहे.

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नवनिर्वाचित सांसद अभय कुशवाहा (ETV Bharat)

औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन समर्थित RJD प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के वर्तमान सांसद सुशील कुमार सिंह को 80 हजार मतों हराया है. सुशील कुमार सिंह 3 बार से लगातार सांसद थे. मंगलवार को परिणाम आने के बाद अभय कुशवाहा को निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से जीत का प्रमाण पत्र दिया गया.

तीन बार सांसद रहे सुशील कुमार सिंह हारेः औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से इस बार बहुत बड़ा उलट फेर देखने को मिला है. RJD उम्मीदवार अभय कुशवाहा लगभग 79,111 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने इस जीत का श्रेय औरंगाबाद लोकसभा की जनता को दिया. उन्होंने कहा कि पिछड़ा के बेटे को लोकसभा में भेजकर लोगों ने कीर्तिमान बनाया है.

"यह औरंगाबाद के महान मतदाताओं महागठबंधन के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं की जीत है. बहुत दिनों के बाद इस सीट से एक पिछड़ा का बेटा सांसद बना है. मैं अपने क्षेत्र का ईमानदारी से विकास करूंगा इसका विश्वास दिलाता हूं" -अभय कुशवाहा, नवनिर्वाचित सांसद, औरंगाबाद

27 में चरण तक मतगणनाः राजद प्रत्याशी अभय कुशवाहा ने पहले चरण से बढ़त हासिल की उसे लगातार 27 में चरण तक कायम रखा. सबसे ज्यादा बढ़त कुटुंब विधानसभा क्षेत्र से वोट मिले और सबसे कम बढ़त इमामगंज विधानसभा से रही. खास बात यह रही कि अभय कुशवाहा औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के सभी 6 विधानसभाओं में भाजपा प्रत्याशी सुशील सिंह पर भारी रहे. पोस्टल बैलेट मतदान में भी अभय कुशवाहा को सबसे ज्यादा मत प्राप्त हुए.

किस विधानसभा में कितने वोट? कुटुंबा विधानसभा में अभय कुशवाहा को 74,835 और सुशील सिंह को 53402 मत मिले. इसी प्रकार औरंगाबाद में अभय कुशवाहा को 84,741 और सुशील सिंह को 65,774 मत. रफीगंज में अभय कुशवाहा को 85,766 और सुशील सिंह को 65980 मत, गुरुआ में अभय कुशवाहा को 71,892 और सुशील सिंह को 64,922 मत मिले.

बैलेट पोस्टल में भी आगेः इमामगंज विधानसभा में अभय कुशवाहा को 70,899 और सुशील सिंह को 68,271 मत, टिकारी में अभय कुशवाहा को 75,712 और सुशील सिंह को 66,470 मत मिले. इसके अलावे पोस्टल बैलेट से अभय कुशवाहा को 1722 और सुशील सिंह को 1637 मत मिले. कुल वोट की बात करें तो अभय कुशवाहा को 4,65,567 और सुशील कुमार सिंह को 3,86,456 मत मिले.

72 साल में पहली बार गैर राजपूत सांसदः औरंगाबाद लोकसभा के इतिहास में 1952 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं सब में एक बात समान रही. यहां से जीतने वाला सभी राजपूत जाति से ही थे. भले ही यहां विभिन्न पार्टियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी लेकिन जातियों के मामले में समानता बनी रही थी. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र को मिनी चित्तौड़गढ़ के नाम से जाना जाता था. पहली बार राजपूत जाति से हटकर कोई कुशवाहा सांसद बना है.

1952-2019 तक राजपूत सांसदः 1952 और 1957 में सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस, 1962 में ललिता राज्य लक्ष्मी निर्दलीय, 1967 में केएम सिंह कांग्रेस, 1971 और 1977 में फिर से सत्येंद्र नारायण सिंह सांसद बने. 1980 में सत्येंद्र नारायण सिंह फिर से जेएनपी से सांसद बने, 1984 में फिर सत्येंद्र नारायण सिंह कांग्रेस में आ गए और जीत दर्ज की. 1989 और 1991 में राम नरेंश सिंह जनता दल, 1996 में वीरेंद्र कुमार सिंह जनता दल से सांसद रहे.

1998 सुशील सिंह को मौकाः 1998 में सुशील कुमार सिंह. 1999 में श्यामा प्रसाद सिंह कांग्रेस, 2004 में कांग्रेस से निखिल कुमार, 2009 में सुशील कुमार सिंह जदयू, 2014 में जदयू से नाराज सुशील कुमार सिंह भाजपा में चले गए और बीजेपी से सांसद बने. 2019 में भी सुशील कुमार सिंह बीजेपी से सांसद रहे.

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