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झामुमो-कांग्रेस के रवैये से झारखंड राजद और वामपंथी नेता नाराज, कहा- हमारे समर्थन के बिना बीजेपी को हराना नामुमकिन

Lok Sabha seat sharing in Jharkhand. झामुमो-कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के बाद राजद और वामपंथी नेता नाराज हैं. इन नेताओं का कहना है कि हमारे समर्थन के बिना बीजेपी को हराना नामुमकिन है. इसके साथ ही वाम दलों ने अपने उम्मीदवार उतारने का भी ऐलान किया है.

Lok Sabha seat sharing
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 22, 2024, 7:24 AM IST

Updated : Feb 22, 2024, 2:18 PM IST

झारखंड राजद और वामपंथी नेता नाराज

रांची: सीट बंटवारे को लेकर झामुमो-कांग्रेस नेताओं की बैठक और राज्य के सहयोगी दल लेफ्ट और राजद के नेताओं की अनदेखी से झारखंड के वाम और राजद नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है. I.N.D.I.A में सम्मान नहीं मिलने के बाद जहां सीपीआई ने पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, वहीं राजद ने झामुमो और कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेताओं को खुली चुनौती दी है कि राजद के समर्थन के बिना झामुमो-कांग्रेस एक भी सीट लोकसभा सीट नहीं जीत सकते.

'बिना मदद के भाजपा को हराना संभव नहीं'

हालांकि, राज्य में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हुआ है और न ही इसकी आधिकारिक घोषणा की गई है. लेकिन जिस तरह से राज्य की 14 लोकसभा सीटों के लिए 7-5-1-1 का फॉर्मूला अटकलों में है, उसके बाद सहयोगी दल लेफ्ट, राजद और आप जैसे दलों के नेताओं का कहना है कि यह फॉर्मूला मान्य नहीं हो सकता. इसकी वजह बताते हुए राजद और सीपीआई नेता कहते हैं कि राज्य के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में वाम दलों और राजद का अपना जनाधार है और वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता भी है. ऐसे में अगर झामुमो और कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता यह सोचते हैं कि वे उनकी मदद के बिना भाजपा को हरा सकेंगे, तो वे गलत हैं.

'7-5-1-1 फॉर्मूला मान्य नहीं'

राजद नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी औपचारिक रूप से तय होने दीजिए. 7-5-1-1 (सात लोकसभा सीटें कांग्रेस, 05 लोकसभा सीटें झामुमो और एक-एक वाम दल और राजद) राज्य में मान्य नहीं होगी. सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि हमारी तैयारी पांच लोकसभा सीटों के अलावा कई अन्य सीटों पर भी है. उम्मीदवारों के नाम भी तय हो गए हैं जैसे कि हजारीबाग से पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता, दुमका से छाया कोल, चतरा से अर्जुन कुमार. उन्होंने कहा कि हजारीबाग सीट निश्चित तौर पर चाहिए.

इन सीटों पर राजद और लेफ्ट का दावा

इसी तरह, कोडरमा सीट पर सीपीआई (एमएल) ने दावा किया है, जबकि मासस धनबाद सीट पर उम्मीदवार उतारना चाहता है. वे राजमहल समेत कई सीटों पर उम्मीदवार उतारने की भी योजना बना रहे हैं. ऐसे में लेफ्ट को कई सीटों की जरूरत है. राजद ने पलामू, चतरा, कोडरमा और गोड्डा सीटों पर भी दावा किया है, लेकिन संकेत हैं कि वह कम से कम दो लोकसभा सीटों पर अड़ी रहेगी. ऐसे में झारखंड में इंडी गठबंधन की राह पहले से ही आसान नहीं थी, अब सहयोगी दलों के साथ बातचीत में भी जेएमएम-कांग्रेस नेताओं की अनदेखी ने उनकी नाराजगी बढ़ा दी है. सीपीआई के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर आलाकमान राज्य को विश्वास में लिए बिना राज्य की लोकसभा सीटों पर कोई समझौता भी करता है, तो इसका लाभ जमीन पर नहीं मिलेगा.

यह भी पढ़ें: झारखंड में इंडिया गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय, बिहार-ओडिशा में सहमति बनने के बाद झामुमो करेगा सीट शेयरिंग के फॉर्मूले की घोषणा

यह भी पढ़ें: झामुमो-कांग्रेस के बीच लोकसभा सीट शेयरिंग फाइनल, जल्द होगी आधिकारिक घोषणा

यह भी पढ़ें: लोकसभा सीट फाइनल करने झामुमो नेताओं के साथ दिल्ली गए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी गए दिल्ली

झारखंड राजद और वामपंथी नेता नाराज

रांची: सीट बंटवारे को लेकर झामुमो-कांग्रेस नेताओं की बैठक और राज्य के सहयोगी दल लेफ्ट और राजद के नेताओं की अनदेखी से झारखंड के वाम और राजद नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है. I.N.D.I.A में सम्मान नहीं मिलने के बाद जहां सीपीआई ने पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, वहीं राजद ने झामुमो और कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेताओं को खुली चुनौती दी है कि राजद के समर्थन के बिना झामुमो-कांग्रेस एक भी सीट लोकसभा सीट नहीं जीत सकते.

'बिना मदद के भाजपा को हराना संभव नहीं'

हालांकि, राज्य में सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हुआ है और न ही इसकी आधिकारिक घोषणा की गई है. लेकिन जिस तरह से राज्य की 14 लोकसभा सीटों के लिए 7-5-1-1 का फॉर्मूला अटकलों में है, उसके बाद सहयोगी दल लेफ्ट, राजद और आप जैसे दलों के नेताओं का कहना है कि यह फॉर्मूला मान्य नहीं हो सकता. इसकी वजह बताते हुए राजद और सीपीआई नेता कहते हैं कि राज्य के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में वाम दलों और राजद का अपना जनाधार है और वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता भी है. ऐसे में अगर झामुमो और कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता यह सोचते हैं कि वे उनकी मदद के बिना भाजपा को हरा सकेंगे, तो वे गलत हैं.

'7-5-1-1 फॉर्मूला मान्य नहीं'

राजद नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे का फॉर्मूला अभी औपचारिक रूप से तय होने दीजिए. 7-5-1-1 (सात लोकसभा सीटें कांग्रेस, 05 लोकसभा सीटें झामुमो और एक-एक वाम दल और राजद) राज्य में मान्य नहीं होगी. सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि हमारी तैयारी पांच लोकसभा सीटों के अलावा कई अन्य सीटों पर भी है. उम्मीदवारों के नाम भी तय हो गए हैं जैसे कि हजारीबाग से पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता, दुमका से छाया कोल, चतरा से अर्जुन कुमार. उन्होंने कहा कि हजारीबाग सीट निश्चित तौर पर चाहिए.

इन सीटों पर राजद और लेफ्ट का दावा

इसी तरह, कोडरमा सीट पर सीपीआई (एमएल) ने दावा किया है, जबकि मासस धनबाद सीट पर उम्मीदवार उतारना चाहता है. वे राजमहल समेत कई सीटों पर उम्मीदवार उतारने की भी योजना बना रहे हैं. ऐसे में लेफ्ट को कई सीटों की जरूरत है. राजद ने पलामू, चतरा, कोडरमा और गोड्डा सीटों पर भी दावा किया है, लेकिन संकेत हैं कि वह कम से कम दो लोकसभा सीटों पर अड़ी रहेगी. ऐसे में झारखंड में इंडी गठबंधन की राह पहले से ही आसान नहीं थी, अब सहयोगी दलों के साथ बातचीत में भी जेएमएम-कांग्रेस नेताओं की अनदेखी ने उनकी नाराजगी बढ़ा दी है. सीपीआई के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर आलाकमान राज्य को विश्वास में लिए बिना राज्य की लोकसभा सीटों पर कोई समझौता भी करता है, तो इसका लाभ जमीन पर नहीं मिलेगा.

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Last Updated : Feb 22, 2024, 2:18 PM IST
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