नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में महिलाओं को रसोई का बजट मैनेज करना मुश्किल हो रहा है. कई क्षेत्रों में टमाटर के भाव 100 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गए हैं. वहीं, भिंडी, प्याज और शिमला मिर्च जैसी सब्जियों के दाम भी नई ऊंचाइयों पर हैं, जो हर घर में रोजाना खाने में इस्तेमाल होती हैं. इसके अलावा अदरक 280 रुपए किलो और हरा धनिया 300 रुपए किलो बिक रहा है. 'ETV भारत' से बातचीत के दौरान कुछ महिलाओं ने बताया कि वह किस तरह रसोई का बजट मैनेज कर रही हैं.
महंगी सब्जी खरीदने को मजबूर लोग
तिलक नगर में रहने वाली रवींद्र कौर ने बताया कि जिस तरह सब्जियों के दाम बढ़ रहे हैं ऐसे में सब्जी खाना मुश्किल है. जहां पहले 2 किलो टमाटर एक साथ खरीद लेते थे वहीं अब 1 किलो से ही काम चला लेते हैं. इस समय बाजार में हर सब्जी महंगी है. बच्चे स्कूल जाते हैं. घर के लोग ऑफिस जाते हैं सभी के लिए सुबह टिफ़िन बनाना होता है. इसके लिए सब्जी खरीदना मज़बूरी है. महंगाई लगातार बढ़ती जा रही हैं लेकिन कमाई उतनी की उतनी है.
बाजार में सब्जियों की वैरायटी भी हुई कम
LIC एजेंट के तौर पर काम करने वाली दीपिका ने बताया कि सब्जियों के बढ़ते दाम के कारण घर के खर्चे मैनेज करना मुश्किल हो जाता है. सब्जी तो महंगी हुई है इसके अलावा इनमें पड़ने वाली अन्य चीज़े भी महंगी हो गयी है. बाजार में अदरक 280 रुपए किलो है और धनिया 300 रुपए किलो बिक रहा है. सब्जियों के बढ़ते दाम के कारण बाजार में सब्जियों की वैरायटी भी कम दिखाई देती हैं.
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कढ़ी-बरियां, बूंदी की सब्जी से चला रहे काम
कांता ने बताया कि हर साल बरसात के मौसम में सब्जियां महंगी हो जाती हैं. खास तौर पर टमाटर की कीमत सबसे ज्यादा बढ़ जाती हैं. इसलिए हर साल मानसून के आने से पहले टमाटर की प्यूरी बना कर फ्रीज़ में रख लेते हैं. या फिर ऐसे सब्जियां बनाते हैं जो बिना टमाटर के बन जाये. जैसे कढ़ी-बरियां, बूंदी की सब्जी, करेले आदि.
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रीना ने बताया कि सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. लेकिन उनको खाना भी जरुरी हैं. अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए सब्जी के साथ समझौता करना मुश्किल है. बरसात के मौसम में कई तरह की बीमारियां होती है. उन बीमारियों से लड़ने की क्षमता सब्जियों में होती है. अगर आज यह सोच कर सब्जियां खाना बंद कर दें कि सब्जियां महंगी है तो कल अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. सब्जियों के दाम बढ़ने से मुश्किलें तो बढ़ी हैं, खास तौर पर उन परिवारों के लिए जिनके घर में एक सदस्य ही कमाने वाला है.
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