कोरबा: कोरबा शहर के निकट वार्ड क्रमांक 14 पंप हाउस में भी महात्मा गांधी अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना हुई थी. यह महापौर राजकिशोर प्रसाद का वार्ड है. प्लान था कि इसके माध्यम से लोगों को रोजगार दिया जाए. महिला समूह के साथ ही छोटे उद्यमियों को यहां से बढ़ावा मिले. छोटे उत्पादो की सीधे मैन्युफैक्चरिंग इकाई लगाई जाए. यह केंद्र आजीविका केंद्र की तरह संचालित हो. जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले.लेकिन भूपेश सरकार के जाने के बाद इंडस्ट्रियल पार्क का बुरा हाल है.
कबाड़ में बदल रही है महंगी मशीनें : पंप हाउस के इंडस्ट्रियल पार्क की मशीन जंग खा रही है. इसी तरह ना सिर्फ कोरबा बल्कि प्रदेश भर में कहीं गोबर पेंट बनकर डंप पड़े हुए हैं.तो कहीं इसकी मशीनों को जंग लग रहा है. बताया जा रहा है कि डेवलेपमेंट के लिए सरकार ने राशि रोक दी है. स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से बात करने पर जानकारी मिली कि आगे के काम के लिए फंड जारी नहीं हो रहा.इसी वजह से इंडस्ट्रियल पार्क की गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो चुकी है. कुल मिलाकर ये कहना गलत ना होगा कि ये योजना प्रदेश में बंद होने की कगार पर है. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अब इसे प्रदेश की साय सरकार आजीविका केंद्र की तरह संचालित करेगी. या फिर जितना निवेश पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने यहां किया है, वह पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा?
करोड़ों की लागत से बनी थी परियोजना : कोरबा के पंप हाउस में महात्मा गांधी अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित किया गया है. इस परियोजना में ऐसे आंत्रप्रेन्योर को जोड़ने का प्लान था, जिसके पास या तो अपनी जमीन नहीं है या फिर पूंजी की कमी है.ऐसे बेरोजगारों को यहां काम देने का प्लान तैयार किया गया था. तत्कालीन आयुक्त प्रभाकर पांडे के रहते यहां बाउंड्री वॉल, शेड, रोड और अन्य जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हुआ. हालांकि काफी सारे काम अधूरे हैं. इस इंडस्ट्रियल पार्क में लघु और सूक्ष्म कुटीर उद्योगों के क्रियान्वयन की योजना थी. जहां गोबर पेंट यूनिट, प्लास्टिक रीसायकल ग्रेन, टायर री ट्रेडिंग, ऑटोमोबाइल सूक्ष्म इंडस्ट्री, अगरबत्ती, नमकीन की फैक्ट्री, नारियल के बूच से रस्सी का निर्माण, पैकेज ड्रिंकिंग वॉटर यूनिट और अन्य लघु परियोजनाओं को भी संचालित करने का प्लान बनाया गया था. जिसका कुल बजट प्रारंभिक तौर पर 2 करोड़ रुपए था.
''पंप हाउस में इंडस्ट्रियल पार्क का निर्माण किया गया था. गोबर से पेंट बनाने के साथ ही अन्य गतिविधियों के संचालन की भी योजना थी. आजीविका केंद्र की तरह इसे संचालित किया जाना था. जहां से लोगों को रोजगार मिलता और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती. लेकिन सरकार बदलते ही फंड पूरी तरह से रोक दिया गया.'' राजकिशोर प्रसाद, महापौर नगर पालिका निगम कोरबा
इंफ्रास्ट्रक्चर हो रहा कबाड़ : छत्तीसगढ़ में सरकार बदली और इसके साथ ही योजना पर ग्रहण लग गया. महात्मा गांधी अर्बन इंडस्ट्रियल पार्क पंप हाउस के निर्माण के लिए नन्दी श्वान योजना की खाली जमीन का उपयोग किया गया था. जहां टेंडर के जरिए ठेकेदारों से कार्य भी कराए गए. गोबर से पेंट बनाने वाली इकाई की मशीनों को इंस्टॉल किया गया. लेकिन इसका उपयोग ही नहीं हो सका. अब हालात ये हैं कि मशीन में जंग लग रही है. रोड के साथ ही शेड निर्माण किया गया. इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नींव खोदकर भवन निर्माण कर ढेर सारे कार्य किए गए .चौकीदार की भी यहां तैनाती थी, काफी हद तक काम शुरू भी कर दिए गए थे. शेष बचे हुए विकास कार्य होने थे. लेकिन इसी बीच चुनाव हुआ और सरकार बदल गई. जिसके बाद अब यहां किए जाने वाले सारे काम पूरी तरह से ठप पड़ चुके हैं. इस केंद्र का क्या होगा इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है.