जोधपुर. राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना आरजीएचएस में कैंसर दवा के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया था, जिसमें अब डॉक्टर्स की भूमिका की जांच होगी. मेडिपल्स के डॉ. विनय व्यास, एम्स, निजी व सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स की भूमिका को लेकर डीआईजी एसओजी के सुपरविजन में इस घोटाले में उनकी भूमिका की जांच होगी. आठ माह पहले बासनी थाने में दर्ज हुए इस मामले में पुलिस, साइबर क्राइम व एसओजी की जांच झंवर मेडिकल के जुगल झंवर व उनके बेटे तुषार झंवर तक ही केंद्रित रही. अब राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस घोटाले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि दुकानदार व डॉक्टर्स की मिलीभगत के बिना यह घोटाला संभव नहीं, ऐसे में डॉक्टर्स की भूमिका की सही ढंग से जांच होनी चाहिए.
जांच एजेंसी ने डॉक्टर्स को इस व्यापक घोटाले में बुक तक नहीं किया है. इस पर एसओजी की ओर से कहा गया है कि डीआईजी के दिन-प्रतिदिन के सुपरविजन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी से जांच करवाई जाएगी. गौरतलब है कि पुलिस ने जुगल झंवर को गिरफ्तार किया था, जिसे करीब 6 माह तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी तो उनका बेटे को मुख्य आरोपी मानने वाली पुलिस व एसओजी उसे गिरफ्तार तक नहीं कर सकी थी. अब उसकी तरफ से लगी जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट डॉक्टर्स की भूमिका जांचने की बात कही है.
दरअसल, सितंबर 2023 में आरजीएचएस के संयुक्त परियोजना निदेशक डॉ. अभिषेक सिंह किलक ने आरजीएचएस के इस दवा घोटाले की जानकारी मिलने पर बासनी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई था. उन्होंने बताया था कि सूचना के आधार पर ज्ञात हुआ है कि आरजीएचएस लाभार्थी मोहन कंवर काफी समय से लगातार मेडीप्लस अस्पताल जोधपुर से इलाज लेकर स्तन कैंसर बीमारी की महंगी दवाइयां एक ही मेडीकल स्टोर जालोरी गेट स्थित झंवर मेडीकल से ले रही है. इस मामले को संज्ञान में लेकर एमडी इण्डिया टीम के राज्य प्रमुख डॉ. प्रशांत क्षेत्रिय को इस सम्बंध जांच के लिए कहा गया. मरीज मोहन कंवर के स्तन कैंसर की कोई बीमारी है या नहीं, इस बारे में जांच की गई तो पता चला कि वो 87 वर्ष की है और चलने-फिरने में असमर्थ है. ऐसे ही कई ओर मामलों का भी पता चला तो बात पुलिस तक पहुंची.
इसे भी पढ़ें- आरजीएचएस कैंसर दवा घोटाला, तुषार की गिरफ्तारी में उलझी है झंवर की जमानत अर्जी - RGHS cancer drug scam
झंवर मेडिकल के स्टॉक में मिला था फर्जीवाड़ा, डॉक्टर्स की पर्चियां : बासनी पुलिस ने जांच शुरू करते हुए ड्रग कंट्रोलर के साथ झंवर मेडिकल स्टोर की तलाशी ली. जांच में दुकान के पूरे स्टॉक में फर्जीवाड़ा पाया गया. स्टॉक मैनेज करने के लिए 25 हजार एमआरपी की दवा को 25 रुपए और 2 रुपए की दवा को 1 लाख रुपए में बेचना दिखाया गया. इस दौरान आरजीएचएस के 100 प्रॉडक्ट्स की सभी डिटेल एडीसी की ओर से जांची गई, जिसमें सभी में कीमत और स्टॉक मिसमैच निकला. झंवर मेडिकल पर एक निजी अस्पताल के डॉ. विनय व्यास के अलावा चार अन्य डॉक्टर्स की पर्चियां और सील भी मिली थी. हालांकि डॉ. व्यास ने इन पर्चियों व सील को फर्जी करार दिया था. बासनी थाने ने अपनी जांच के दौरान एम्स के डॉक्टर्स व बासनी स्थित निजी अस्पताल के डॉक्टर विनय व्यास के बयान लिए, उनकी लिखावट के सैंपल लेकर एफएसएल जांच के लिए भेजे. झंवर मेडिकल के संचालक को गिरफ्तार भी किया. बाद में कुछ लाभार्थी भी गिरफ्तार हुए. इस बीच, कुछ लाभार्थी खुद को निर्दोष बताते हुए पुलिस थाने तक पहुंचे और अपनी ओर से रिपोर्ट देकर कहा कि उनके नाम पर घोटाला किया गया है.
इसे भी पढ़ें- आरजीएचएस कैंसर दवा घोटाले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एसओजी के पुलिस अधीक्षक को किया तलब
अब कोर्ट ने जांच का सत्यापन करने के लिए कहा : तुषार झंवर की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश फरजंद अली ने गत पेशी पर कहा था कि मामले पर एक सामान्य नजर डालने से पता चलता है कि ‘आरजीएचएस’ में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है, जिसमें भुगतान में गबन हुआ है और सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है. ऐसा महसूस होता है कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर संचालकों के बीच मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं था. धारा 173 सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट से पता चलता है कि डॉक्टरों पर मामला दर्ज नहीं किया गया है. मामले के इस दृष्टिकोण से, यह न्यायालय एडीजी-एसओजी को सुझाव देना चाहता है कि वे अब तक की गई जांच का सत्यापन उस वरिष्ठ अधिकारी से करवाएं जिसने जांच की है. यह न्यायालय एडीजी से अपेक्षा करता है कि वे जांच के तरीके पर भी नजर डालेंगे. इसी कड़ी में दो दिन पहले हुई सुनवाई में लोक अभियोजक ने न्यायालय को एडीजी, एटीएस और एसओजी राजस्थान जयपुर द्वारा 29 मई को भेजा गया एक पत्र दिखाया, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि एसओजी में कोई एसपी रैंक का अधिकारी तैनात नहीं है, इसलिए योगेश दाधीच, डीआईजीपी, एसओजी की दिन-प्रतिदिन की निगरानी में जयपुर में तैनात अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी से जांच कराने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने अनुमति देते हुए मामले को 1 जुलाई को सुनवाई में रखने के निर्देश दिए.