जयपुर: बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रेजीडेंट चिकित्सक के साथ हुई हैवानियत का विरोध बीते दो महीने से लगातार जारी है. जिसके तहत पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए एक बार फिर से देश भर के रेजीडेंट चिकित्सक विरोध में उतर रहे हैं. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स SMS मेडिकल कॉलेज में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ मनोहर सियोल का कहना है कि बंगाल की घटना को बीते दो महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी भी पीड़िता को न्याय नहीं मिल पाया है. जिसके बाद पूरे देश के चिकित्सा वर्ग में रोष व्याप्त है. ऐसे में देशभर में इस घटना का विरोध लगातार जारी है. अलग-अलग स्थानों पर भूख हड़ताल की जा रही है. जिसके तहत SMS मेडिकल कॉलेज में भी रेजीडेंट चिकित्सक भूख हड़ताल पर बैठे हैं. हमारी मांग है कि पीड़िता को न्याय मिले और चिकित्सकों को सुरक्षा ताकि भविष्य में इस तरह का घटनाक्रम दोबारा न हो सके. इसके साथ ही रेजीडेंट चिकित्सकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जब तक आरोपियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी और पीड़िता को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन लगातार जारी रहेगा.
दूसरे दिन भी हड़ताल पर: वहीं सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से अटेच अस्पतालों में कार्य कर रहे रेजीडेंट मंगलवार को हड़ताल पर चले गए थे. यह हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही. दरअसल रेजीडेंट चिकित्सकों ने सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए हैं. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स के प्रेसीडेंट डॉ मनोहर सियोल का कहना है कि कोलकाता में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुए जघन्य अपराध के विरोध में हड़ताल की गई थी और सरकार से मांग रखी गई थी कि राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा व अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.
इसके बाद सरकार ने आश्वासन दिया था कि रेजीडेंट चिकित्सकों की मांगों को एक माह में पूरा किया जाएगा. लेकिन अभी तक सरकार ने मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. ऐसे में चिकित्सकों के प्रति प्रशासन का उदासीन रवैया और बार-बार अनुरोध करने के बावजूद लंबित मांगों की अनदेखी से आहत होकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज की जीबीएम में रेजीडेंट डॉक्टर कड़ा निर्णय लेने को बाध्य हुए हैं.
ये प्रमुख मांगे:
- पूर्व में हुए समझौते के अनुसार सभी मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की जाए
- समय पर स्टायपेंड में वृद्धि और इंक्रीमेंट
- बॉन्ड पालिसी में चेंज किया जाए
- सभी रेजीडेंट चिकित्सकों को एचआरए मिलना चाहिए जो हॉस्टल में नहीं रहता
- विशेष मेडिकल ऑफिसर पदों की भर्ती निकली जाए
- जिन डिपार्टमेंट में पीजी होती है, उन सभी डिपार्टमेंट में जेएस/एसएस पदों का सृजन हो
- अकादमिक और गैर-अकादमिक एसआर की तनख्वाह में विसंगति दूर हो. (वर्तमान में अकादमिक एसआर की तनख्वाह गैर-अकादमिक एसआर से कम है)
- राजस्थान सरकार के इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए सुपर-स्पेशलाइजेशन के बाद, उनकी वेतन वृद्धि और पदोन्नति उसी तरह से हो, जैसे पीजी पासआउट डॉक्टरों की होती है.