रीवा। देश की सेवा करने के बाद विंध्य का एक सपूत अब अब समाज सेवा करने में जुट गए हैं. भारतीय सेना में पदस्थ योगेश कुमार तिवारी बीते 6 माह पहले ही रिटायर्ड हुए हैं. अपने गांव मलपार में वापस लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जुट गए है. गांव की महिलाओं और बेटियों को सशक्त बनाने के लिए योगेश ने निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण सेन्टर की शुरआत की है.
6 माह पहले ही रिटायर्ड हुए हैं योगेश
रीवा की माटी में जन्मे योगेश कुमार तिवारी त्योंथर तहसील क्षेत्र के मलपार गांव के निवासी हैं. योगेश तिवारी ने भारतीय सेना में रहकर 21 साल 4 महीने देश की सेवा की. सेवाकाल के दौरान योगेश ने देश के कई खतरनाक इलाको में अपनी सेवाएं दी और कई खतरनाक आतंकी हमलों के दौरान चलाए गए ऑपरेशन में भी अपनी अहम भूमिका निभाई. बीते 6 माह पूर्व ही आर्मी जवान योगेश तिवारी देश की सेवा करते हुए भारतीय सेना से सेवा निवृत्त हुए हैं.
योगेश ने शुरू किया निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र
मन में देश भक्ति जनसेवा का सपना संजोए योगेश ने गांव वापस आने के बाद महिला सशक्तिकरण की ओर अपने कदम बढ़ाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर वाले सपने को साकार करने में अपनी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी है. योगेश ने मलपार गांव में महिलाओं और बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया है. निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण सेंटर में लगभग 40 से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण ले रही हैं.
महिलाएं और बेटियों बन रहीं आत्मनिर्भर
पूर्व सैनिक योगेश कुमार तिवारी द्वारा मलपार गांव में निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने के बाद सिलाई सीखने वाली महिलाओं और बेटियों को सिलाई मशीन के साथ ही प्रशिक्षण के लिए कपड़े और कैंची के साथ ही जरूरी चीजों की व्यवस्था भी खुद करते हैं. योगेश तिवारी की इस पहल की सभी लोग सराहना कर रहे हैं.
'उम्मीद की किरण जागी'
सिलाई सीखने पहुंच रहीं अनिता मांझी बताती हैं कि "कई सालों से सिलाई, कढ़ाई सीखने की इच्छा थी पर गांव में इसकी व्यवस्था नहीं थी, साथ ही आर्थिक रूप से हम सब मजबूत नहीं थे क्योंकि ज्यादातर सिलाई प्रशिक्षण सेंटर त्योंथर और चाकघाट में संचालित थे जो की 5 से 10 किमी की दूरी पर थे लेकिन गांव में अब एक उम्मीद की किरण जागी है."
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'सपना हो रहा साकार'
रिटायर्ड सैनिक योगेश तिवारी ने बताया कि "ड्यूटी के दौरान जब मैं छुट्टी लेकर गांव आता था तब गांव की महिलाओं और बेटियों को परेशान देखता था कि वह शिक्षा तो जरूर हासिल कर लेती थीं लेकिन उनके हाथों में कोई हुनर नहीं था. उसी समय मन में ठान लिया था कि जब सेवानिवृत होकर गांव वापस लौटूंगा तो गांव में ही महिलाओं और बेटियों के लिए निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण सेंटर खोलूंगा और अब अपने सपने को साकार होते देख रहा हूं. आसपास के गांव के लिए भी एक और सेंटर खोलने की तैयारी कर ली है."