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कृष्ण भजन से यहां बराबर हो गया था तराजु, मुरली वाले की लीला ने सबको किया हैरान, रीवा में मौजूद है चमत्कारिक मंदिर - Rewa Mukatik Krishna Temple - REWA MUKATIK KRISHNA TEMPLE

रीवा में भगवान कृष्ण के चमत्कारिक मंदिर है, जो करीब 250 साल पुराना है. यहां भगवान कृष्ण ने तराजू के माध्यम से भजन के महत्व को समझाया है. जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तों का यहां दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रहती है. इस मंदिर में राम और जानकी सहित कई मूर्तियां विराजमान है.

REWA KRISHNA MIRACULOUS TEMPLE
रीवा में कृष्ण का चमत्कारिक मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 25, 2024, 10:25 PM IST

रीवा: भगवान कृष्ण के जन्म दिवस पर उनके मंदिरों को सजाकर धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल 26 अगस्त दिन सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. ऐसे में आपको रीवा की एक चमत्कारिक मंदिर की कहानी बताएंगें, जहां कृष्ण की अद्भुत और चमत्कारिक घटना को देख लोग आश्चर्य में पड़ गए थे. बताया जा रहा है कि यहां तराजू के माध्यम से कृष्ण ने भजन के महत्व को समझाया है.

मुरली वाले ने दिखाई थी यहां अपनी लीला (ETV Bharat)

250 वर्ष पुराना मंदिर है मुकातिक कृष्ण मंदिर

रीवा में स्थित चमत्कारिक मुकातिक कृष्ण मंदिर करीब 250 साल पुराना है. यहां कई सालों पूर्व मंदिर में एक चमत्कारिक घटना हुई थी. किवदंती है कि भजन के लिए अयोध्या से यहां आए आचार्य और मंदिर के पुजारी के सामने किसी ने हास्य करते हुए यह कह दिया कि संगीत और भजन में अब वह महत्व नहीं रहा. पहले के जमाने में संगीत गाते ही मेघ बरसने लगते थे, बुझे दीप जल उठते थे. इतना सुन कर अगले ही दिन आचार्य ने एक पास के सुनार को बुलाया और तराजू में एक तोला सोने का सिक्का चढ़ाया. दूसरे ओर तराजू को खाली रखा. इसके बाद आचार्य और अन्य पुजारियों ने कृष्ण भजन गाना शुरू किया. भजन के दौरान 3 बार तराजू बराबर हो गया. जिसके बाद हास्य करने वाले व्यक्ति को संगीत और भजन के महत्व के बारे में पता चला.

मुकातिक ब्राह्मण ने कराया मंदिर निर्माण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि 'सैकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण मुकातिक नाम के एक ब्राह्मण ने करवाया था. तब से इस मंदिर को मुकातिक का मंदिर कहा जाने लगा. पहले तो इस मंदिर का संचालन रीवा के व्यापारियों के द्वारा किया जाता था, लेकिन वर्तमान में इस मंदिर का संचालन लक्ष्मण बाग संस्थान की ओर से किया जा रहा है. शहर में लक्ष्मण बाग संस्थान की कुल 14 मंदिर है. जिसमें से एक मुकातिक कृष्ण की मंदिर है. उन्होंने कहा कि यह कृष्ण मंदिर लगभग 250 साल पुराना है.

राम, जानकी सहित कई मूर्तियां है विराजमान

इस मंदिर में बलदेव और सुभद्रा जी की प्रतिमा के साथ ही राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित है. इसके अलावा भगवान राम, जानकी और भगवान लक्ष्मण की मूर्तियां भी विराजमान है. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में विशेष प्रकार का आयोजन किया जाता है. सुंदर झांकी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें दूर दराज से आकर श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं.

तराजू से तौलकर बताया संगीत और भजन का महत्व

अयोध्या से आए भजन गायक आचार्य ने संगीत और भजन का महत्व बताने के लिए सराफा बाजार से एक सुनार को बुलाया. दूसरे ही दिन सुखदेव प्रसाद सराफ नाम के एक सुनार मुकातिक मंदिर पहुंचा. इसके बाद एक तराजू मंगवाया गया. तराजू में एक तरफ एक सोने से बना एक तोले का सिक्का रखा गया, जबकि दूसरे हिस्से को खाली रखा गया, इसके बाद आचार्य सहित अन्य लोगों ने कृष्ण भजन को गाना शुरू किया. भजन के बीच अचानक तराजू का बराबर हो गया. यह घटना लगातार 3 बार घटित हुई. इस दौरान तराजू की ओर देखकर भजन शक्ति का हास्य करने वाले व्यक्ति और मंदिर में मौजूद अन्य लोग अचंभित रह गए.

चमत्कारिक घटना को माना श्री कृष्ण की लीला

इस घटना के बाद लोगों को समझ में आया कि कृष्ण भजन में कितनी शक्ति है. जिस प्रकार से संगीत गाने से मेघ बरसने लगते थे और दीप जल उठते थे उसी प्रकार से तराजू के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया की संगीत और भजन का कितना महत्व है. मंदिर में हुई चमत्कारिक घटना को देखकर वहां, उपस्थित लोगों ने माना कि यह तो मुरली वाले की लीला थी. जिन्होंने हमें संगीत और भजन के महत्व को एक तराजू के माध्यम से बताया है.

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70 वर्ष पहले मंदिर में हुई ये चमत्कारिक घटना

मंदिर के पुजारी दीनानाथ शास्त्री बताते हैं कि "मुकातिक मंदिर में हुई चमत्कारिक घटना तकरीबन 60-70 वर्ष पुरानी है. तब के दौर में मंदिर के पुजारी लक्ष्मी दत्त हुआ करते थे. लक्ष्मी दत्त पुजारी 1908 में घोघर मोहल्ले में स्थित मुकातिक मंदिर घोघर आए. इसके बाद करीब 74 सालों तक इन्होंने मंदिर में अपनी सेवाएं दी. मुकातिक मंदिर में पिछले 250 वर्षों से कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है. मुरली वाले की अद्भुत लीला से जुड़े इस चमत्कारिक मंदिर में हजारों भक्त इस खास मौके पर भगवान कृष्ण के दर्शन करने आते है. मुकातिक मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी संगीतकार यहां आप आते हैं, उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त होती है."

रीवा: भगवान कृष्ण के जन्म दिवस पर उनके मंदिरों को सजाकर धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस साल 26 अगस्त दिन सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. ऐसे में आपको रीवा की एक चमत्कारिक मंदिर की कहानी बताएंगें, जहां कृष्ण की अद्भुत और चमत्कारिक घटना को देख लोग आश्चर्य में पड़ गए थे. बताया जा रहा है कि यहां तराजू के माध्यम से कृष्ण ने भजन के महत्व को समझाया है.

मुरली वाले ने दिखाई थी यहां अपनी लीला (ETV Bharat)

250 वर्ष पुराना मंदिर है मुकातिक कृष्ण मंदिर

रीवा में स्थित चमत्कारिक मुकातिक कृष्ण मंदिर करीब 250 साल पुराना है. यहां कई सालों पूर्व मंदिर में एक चमत्कारिक घटना हुई थी. किवदंती है कि भजन के लिए अयोध्या से यहां आए आचार्य और मंदिर के पुजारी के सामने किसी ने हास्य करते हुए यह कह दिया कि संगीत और भजन में अब वह महत्व नहीं रहा. पहले के जमाने में संगीत गाते ही मेघ बरसने लगते थे, बुझे दीप जल उठते थे. इतना सुन कर अगले ही दिन आचार्य ने एक पास के सुनार को बुलाया और तराजू में एक तोला सोने का सिक्का चढ़ाया. दूसरे ओर तराजू को खाली रखा. इसके बाद आचार्य और अन्य पुजारियों ने कृष्ण भजन गाना शुरू किया. भजन के दौरान 3 बार तराजू बराबर हो गया. जिसके बाद हास्य करने वाले व्यक्ति को संगीत और भजन के महत्व के बारे में पता चला.

मुकातिक ब्राह्मण ने कराया मंदिर निर्माण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि 'सैकड़ों वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण मुकातिक नाम के एक ब्राह्मण ने करवाया था. तब से इस मंदिर को मुकातिक का मंदिर कहा जाने लगा. पहले तो इस मंदिर का संचालन रीवा के व्यापारियों के द्वारा किया जाता था, लेकिन वर्तमान में इस मंदिर का संचालन लक्ष्मण बाग संस्थान की ओर से किया जा रहा है. शहर में लक्ष्मण बाग संस्थान की कुल 14 मंदिर है. जिसमें से एक मुकातिक कृष्ण की मंदिर है. उन्होंने कहा कि यह कृष्ण मंदिर लगभग 250 साल पुराना है.

राम, जानकी सहित कई मूर्तियां है विराजमान

इस मंदिर में बलदेव और सुभद्रा जी की प्रतिमा के साथ ही राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित है. इसके अलावा भगवान राम, जानकी और भगवान लक्ष्मण की मूर्तियां भी विराजमान है. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर इस मंदिर में विशेष प्रकार का आयोजन किया जाता है. सुंदर झांकी के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अगले दिन विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें दूर दराज से आकर श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं.

तराजू से तौलकर बताया संगीत और भजन का महत्व

अयोध्या से आए भजन गायक आचार्य ने संगीत और भजन का महत्व बताने के लिए सराफा बाजार से एक सुनार को बुलाया. दूसरे ही दिन सुखदेव प्रसाद सराफ नाम के एक सुनार मुकातिक मंदिर पहुंचा. इसके बाद एक तराजू मंगवाया गया. तराजू में एक तरफ एक सोने से बना एक तोले का सिक्का रखा गया, जबकि दूसरे हिस्से को खाली रखा गया, इसके बाद आचार्य सहित अन्य लोगों ने कृष्ण भजन को गाना शुरू किया. भजन के बीच अचानक तराजू का बराबर हो गया. यह घटना लगातार 3 बार घटित हुई. इस दौरान तराजू की ओर देखकर भजन शक्ति का हास्य करने वाले व्यक्ति और मंदिर में मौजूद अन्य लोग अचंभित रह गए.

चमत्कारिक घटना को माना श्री कृष्ण की लीला

इस घटना के बाद लोगों को समझ में आया कि कृष्ण भजन में कितनी शक्ति है. जिस प्रकार से संगीत गाने से मेघ बरसने लगते थे और दीप जल उठते थे उसी प्रकार से तराजू के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया की संगीत और भजन का कितना महत्व है. मंदिर में हुई चमत्कारिक घटना को देखकर वहां, उपस्थित लोगों ने माना कि यह तो मुरली वाले की लीला थी. जिन्होंने हमें संगीत और भजन के महत्व को एक तराजू के माध्यम से बताया है.

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70 वर्ष पहले मंदिर में हुई ये चमत्कारिक घटना

मंदिर के पुजारी दीनानाथ शास्त्री बताते हैं कि "मुकातिक मंदिर में हुई चमत्कारिक घटना तकरीबन 60-70 वर्ष पुरानी है. तब के दौर में मंदिर के पुजारी लक्ष्मी दत्त हुआ करते थे. लक्ष्मी दत्त पुजारी 1908 में घोघर मोहल्ले में स्थित मुकातिक मंदिर घोघर आए. इसके बाद करीब 74 सालों तक इन्होंने मंदिर में अपनी सेवाएं दी. मुकातिक मंदिर में पिछले 250 वर्षों से कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है. मुरली वाले की अद्भुत लीला से जुड़े इस चमत्कारिक मंदिर में हजारों भक्त इस खास मौके पर भगवान कृष्ण के दर्शन करने आते है. मुकातिक मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी संगीतकार यहां आप आते हैं, उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त होती है."

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