रीवा: सरकार भले ही बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से स्कूल चले हम अभियान का पाठ पढ़ा रही हो. मगर वास्तविक स्थिती ठीक इससे उलट है. स्कूल चले अभियान के तहत बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी कई ग्रामीण इलाकों में स्कूलों के हालत बद से बदतर हैं. साथ ही घर से स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को नर्क के रास्ते से होकर जाना पड़ता है. ताजा मामला रीवा जिले का है. यहां पर घर से निकल कर शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल जाने वालें मासूम बच्चों को कीचड़ और दल-दल वाले रास्तों से होकर जाना पड़ता है, जिसे अगर नर्क का रास्ता कहा जाए तो शायद कम नहीं होगा.
सड़क की समस्या से जूझ रहे हैं छात्र
रीवा में इन दिनों सोशल मीडिया में स्कूली छात्रों का एक वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. जिसमें बच्चों को घर से स्कूल तक जाने के लिए गंदे रास्ते से होकर जाना पड़ता है. इस कठिन राह पर कई गड्ढे हैं और कच्ची सड़क होने के कारण बारिश के दिनों में यह सड़क दल-दल बन जाती है. जिससे लोगों को भारी परेशानी होती है. आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद आज हम भले ही आजादी का अमृत महोत्सव बना रहें हों, लेकिन कीचड़ भरे रास्ते से स्कूली बच्चों को जाते हुए देखकर यकीनन सरकारी सिस्टम पर आपको गुस्सा तो आता होगा. मगर उससे ज्यादा तरस तो उन मासूम बच्चों पर आता होगा जो रोजाना डर के साए में इस कीचड़ भरे रास्ते से गुजरकर अपना भविष्य संवारने जाते हैं.
मासूम छात्राओं ने लगाई गुहार
यह वीडियो देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सेमरिकला का है. यहां पर अध्यनरत मासूम बच्चे आए दिन इस सड़क पर हादसे का शिकार होते हैं. छात्राओं ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द स्कूल जाने वाली सड़क को पक्की करवा दें, ताकि उन्हें स्कूल तक जानें में कठिनाई न हो. वायरल वीडियो को लेकर प्रभारी जिला पंचायत सीईओ सौरभ संजय सोनवाणे का कहना है कि ''हमारे द्वारा वायरल वीडियो का अवलोकन कराया जाएगा. अगर ऐसी स्थिति है कि सड़क की हालत बहुत जर्जर है तो जल्द ही कार्रवाई करवाकर उस सड़क को ठीक कराया जाएगा.''