रीवा। सोमवार को रीवा कलेक्ट्रेट में धरना देने वाली छात्राओं का आरोप है कि छात्रावास परिसर में उनके साथ भेदभाव किया जाता है. कुछ छात्राओं को खाना दिया जाता है तो कई छात्राओं को भोजन नसीब नहीं होता. छात्रावास परिसर के अंदर उनके कमरे की साफ सफाई पर भी किसी भी तरह का ध्यान नहीं दिया जाता. चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है, जिससे वहां रहना मुश्किल है. भारतीय संविधान में हमें भेदभाव रहित समाज के बारे में बताया जाता है परंतु छात्रावास में वह लागू नहीं होता. ऐसे में हमें संविधान में बदलाव चाहिए.
कलेक्ट्रेट में 6 घंटे तक बैठी रही छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि वह ट्यूशन के लिए जाती हैं और जब लौटकर आती है तो उन्हें नाश्ता नहीं दिया जाता. वार्डन मैम कहती हैं कि शासन से पैसा नहीं आता है. वार्डन के द्वारा शाम को नाश्ता दिया जाता है. हमे स्वच्छ वातावरण नहीं दिया जा रहा है. टॉयलेट और वाशरूम की सफाई भी समय पर नहीं की जाती. एक एक सप्ताह तक किसी भी प्रकार की सफाई नहीं की जाती. छात्राओं का कहना है कि वे कोचिंग से आने के बाद अपनी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कर्यालय पहुंची और 6 घंटे तक कलेक्ट्रेट कार्यालय में बैठी रहीं.
कलेक्टर ने दिए एसडीएम को जांच के आदेश
इस मामलें में आदिम जाति कल्याण विभाग के डीईओ ने जांच की बात की है. उनका कहना है कि छात्रावास परिसर में अगर किसी भी प्रकार की अव्यवस्था है तो उसमे जांच करके कार्रवाई की जायेगी. वहीं, छात्राओं ने अधीक्षिका को हटाने की मांग की है. इस मामले में कलेक्टर प्रतिभा पाल का कहना है "जीडीसी कॉलेज की कुछ छात्राएं आई थीं. उनका कहना है वह अनुसूचित जाति के 50 सीटर छात्रावास में रह रही हैं. छात्रावास में गंदगी रहती है. साफ सफाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. इसके साथ ही बाउंड्री वॉल भी टूटी हुई है. इस संबंध एसडीएम को जांच के निर्देश दिए गए हैं. छात्राओं के साथ ही वार्डन से चर्चा करके उनका समाधान करने के लिए कहा गया है."