रीवा: शहर के सिरमौर चौराहे में स्थित 30 साल पुरानी पानी की टंकी को गिराने के लिए नगर निगम प्रशासन और इंदौर से आए विस्फोटक विशेषज्ञ की टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ गई. डायनामाइट की मदद से ब्लास्टिंग की गई, लेकिन पानी की टंकी अपनी जगह से हिली तक नहीं. जिसके बाद हाइड्रा क्रेन की मदद से केबल के सहारे उसे खींचा गया और टंकी को जमींदोज किया गया.
डायनामाइट का धमाके से नहीं गिरी टंकी
शहर के सिरमौर चौराहे में स्थित व्यस्तम इलाके के वार्ड क्रमांक-17 में 30 साल पहले एक पानी की टंकी का निर्माण करवाया गया था. जिसके बाद करीब 10 साल पहले तकनीकी खराबी के चलते टंकी से पानी की सप्लाई होनी बंद हो गई. कई बार उसे सुधारने का प्रयास भी किया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला. शहर का व्यस्ततम इलाका और आस पास घना बाजार होने के कारण पानी की टंकी से बड़े हादसे की आशंका थी. इसलिए प्रशासन ने टंकी को तोड़ कर उसे धराशायी करना उचित समझा.
4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद क्रेन से तोड़ी गई टंकी
नगर निगम विद्युत विभाग और राजस्व अमले कर टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए टंकी को जमींदोज करने की योजना बनाई. आसपास के इलाके को सील करते हुए सभी दुकानों को भी बंद कर दिया गया. विद्युत विभाग से विद्युत सप्लाई को भी बंद करवाया गया. इसके बाद टीम ने पानी टंकी के चारों खंभों के नीचे डायनामाइट लगाया. मापदंडों को पूरा करने के बाद ब्लास्टिंग की गई. तेज धमाका तो हुआ लेकिन टंकी अपनी जगह से हिली तक नहीं.
इसके बाद 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के गई. कई तरकीब लगाई गई, लेकिन पानी की टंकी को ढहाने के लिए सारी योजनाएं असफल साबित हुईं. इसके बाद एक हाइड्रा क्रेन बुलाई गई और टंकी के पिलर को क्रेन के केबल से बांध कर खींचा गया. जिसके बाद टंकी जमींदोज हो गई.
27 टांकियों को तोड़ने का रिकॉर्ड, 28वीं नहीं टूटी
इंदौर से पानी के टंकी गिराने आए विस्फोटक एक्सपर्ट शरद सरवटे ने बताया कि "पानी की टंकी घनी आबादी वाले इलाके में थी. आसपास कई दुकानें और मार्केट थी. इसलिए काफी कम मात्रा में 3 किलोग्राम ही डायनामाइट विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था." उन्होंने बताया कि यह 28वीं टंकी थी, जिसको गिराने के लिए वे रीवा आए थे. इससे पहले वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और राजस्थान में मिलाकर 27 पानी की टंकियों को विस्फोटक के माध्यम से गिरा चुके हैं. लेकिन इसमें कम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया जिसके कारण यह नहीं गिर पाई.
ये भी पढ़ें: मुरैना में पानी की टंकी तोड़ने के दौरान बड़ा हादसा, जेसीबी पर गिरा ओवरहैड टैंक, मचा कोहराम आंधी तूफान से धराशायी हो गया शिव मंदिर का मुख्य द्वार, पुरातत्व विभाग की लापरवाही उजागर |
इस वजह से किया गया कम विस्फोटक इस्तेमाल
तहसीलदार यतीश शुक्ला ने बताया कि "पानी की टंकी काफी पुरानी थी. कई वर्ष पहले इससे सप्लाई भी बंद हो चुकी थी. इसलिए इसे गिराना पड़ा. संयुक्त टीम ने मिलकर टंकी को गिराने की योजना बनाई और एक्सपर्ट के साथ मिलकर टंकी को गिराया गया. घना इलाका होने के कारण टंकी पर विस्फोटक की मात्रा कम रखी गई. जिसके कारण ब्लास्ट के बाद भी टंकी नहीं गिरी. इसके बाद क्रेन की मदद से उसे जमींदोज किया गया."