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आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु 62 साल ही रहेगी, राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर 62 साल करने के फैसले को सही ठहराया है. कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी.

Supreme Court Order
Supreme Court (Photo ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 15, 2024, 10:07 PM IST

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 साल से दो साल बढ़ाकर 62 साल करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के 13 जुलाई 2022 के फैसले को सही ठहराने वाले अपने 30 जनवरी 2024 के फैसले को बरकरार रखा है. अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए.

मामले से जुडे़ अधिवक्ता नितेश कुमार गर्ग ने बताया कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की एसएलपी भी खारिज कर दी थी. एसएलपी खारिज करने के फैसले के खिलाफ ही राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करके पूर्व के फैसले पर पुनर्विचार करने का अदालत से आग्रह किया था. दरअसल, हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल की थी. इस आदेश को राज्य सरकार की ओर से चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी.

पढ़ें: आयुर्वेद डॉक्टर्स को भी 62 साल तक कार्य करते रहने दें : राजस्थान हाईकोर्ट

एसएलपी में कहा गया था कि एलोपैथी डॉक्टर्स व आयुर्वेद डॉक्टर्स का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है. एलोपैथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु दो साल बढ़ाना राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय था. ऐसा एलोपैथी डॉक्टर्स की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया था, इसलिए एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह आयुर्वेद डॉक्टर्स की आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल करने वाले हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाए. इसके जवाब में आयुर्वेद डॉक्टर्स का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी बनाम डॉ. रामनरेश मामले में आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 62 साल करने की मंजूरी दी है, इसलिए आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 से बढाकर 62 साल करने का हाईकोर्ट का फैसला सही है.

जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 साल से दो साल बढ़ाकर 62 साल करने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के 13 जुलाई 2022 के फैसले को सही ठहराने वाले अपने 30 जनवरी 2024 के फैसले को बरकरार रखा है. अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए.

मामले से जुडे़ अधिवक्ता नितेश कुमार गर्ग ने बताया कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की एसएलपी भी खारिज कर दी थी. एसएलपी खारिज करने के फैसले के खिलाफ ही राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करके पूर्व के फैसले पर पुनर्विचार करने का अदालत से आग्रह किया था. दरअसल, हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल की थी. इस आदेश को राज्य सरकार की ओर से चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी.

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एसएलपी में कहा गया था कि एलोपैथी डॉक्टर्स व आयुर्वेद डॉक्टर्स का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है. एलोपैथी डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु दो साल बढ़ाना राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय था. ऐसा एलोपैथी डॉक्टर्स की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया था, इसलिए एलोपैथी डॉक्टर्स की तरह आयुर्वेद डॉक्टर्स की आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल करने वाले हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाए. इसके जवाब में आयुर्वेद डॉक्टर्स का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमसी बनाम डॉ. रामनरेश मामले में आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 62 साल करने की मंजूरी दी है, इसलिए आयुर्वेद डॉक्टर्स की रिटायरमेंट आयु 60 से बढाकर 62 साल करने का हाईकोर्ट का फैसला सही है.

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