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उम्र 75, सेना से रिटायर; सोच देश को बदलने की, NOTA और पेंशन के सहारे चुनावी मैदान में ठोंक रहे ताल - Lok Sabha Election 2024

Farrukhabad Lok Sabha Seat Voting Date: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में आज हम ऐसे उम्मीदवार की चुनावी दावेदारी को दिखाने जा रहे हैं, जो भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद अपनी पेंशन के सहारे चुनाव मैदान में उतरते हैं. एक महीने की पेंशन से नामांकन भरा, तो दूसरे महीने की पेंशन चुनाव प्रचार पर खर्च. ये हैं विद्या प्रकाश कुरील.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 2, 2024, 9:50 AM IST

प्रत्याशी सेना से रिटायर विद्या प्रकाश कुरील से संवाददाता की खास बातचीत.

फर्रुखाबाद: Farrukhabad Lok Sabha Seat Result Date: यूपी की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के चुनाव में एक ऐसा उम्मीदवार है जो भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद अपनी पेंशन के सहारे चुनाव मैदान में हैं.

भले ही चुनाव में प्रत्याशियों के पास गाड़ियों का काफिला हो, सुरक्षा के लिए गनर और करोड़ों रुपए का खर्च होता हो, लेकिन फर्रुखाबाद के एक ऐसे प्रत्याशी हैं जो 75 साल की उम्र में भी देश को बदलने की चाह रखते हैं और पैदल चलकर लोगों से वोट मांगते हैं.

पेंशन से चुनाव के लिए नामांकन कराया और पेंशन से ही अपने घर का खर्च चलाते हैं. यह उम्मीदवार पिछले 27 साल से जनता के बीच में चुनाव लड़ रहे हैं. शायद जनता ने इनको कभी नोटिस भी नहीं किया होगा. लेकिन, जज्बा देखिए सेवा के मेडल सीने पर, टोपी सर पर और जीत की ओर कदम से कदम बढ़ाते नजर आते हैं.

ये हैं विद्या प्रकाश कुरील, जो हर चुनाव में नजर आते हैं लेकिन जीत आज तक नहीं मिली. कितने वोट मिले, यह उन्होंने कभी नहीं गिना. बस अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाने का जुनून उन्हें इस उम्र में भी सक्रिय रखता है.

विगत 27 वर्षों में सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. एक बार उनकी पत्नी भी चुनाव लड़ चुकी हैं. आम तौर पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और चुनाव चिह्न सीटी रखते हैं. प्रचार भी सीटी बजाकर करते हैं. हालांकि इस बार उन्होंने पंजीकृत दल से नामांकन किया है, सो सीटी चुनाव चिह्न नहीं मिल सका है.

हार तय जानते हुए भी साल-दर-साल चुनाव लड़ते जाने का जुनून पाले पूर्व सैनिक विद्या प्रकाश कुरील इस बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी हैं. भारतीय थल सेना में जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेवाएं देने वाले कुरील सेवानिवृत्त होने के बाद से दलितों व वंचितों के हक की आवाज उठाते आ रहे हैं.

सबसे पहले वर्ष 1997 में उन्होंने विधानसभा चुनाव से अपने चुनाव लड़ने के अभियान की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1998 व 1999 लोकसभा का चुनाव लड़ा. वर्ष 2002 में विधानसभा और 2004 व 2019 में लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने प्रतिभाग किया.

इसके बाद उन्होंने 2022 में वाराणसी से भी चुनाव लड़ा. राजनीतिक सोच उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली, जो अपने जमाने में अंबेडकर व अच्युतानंद के साथ रहे। आम तौर पर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले विद्या प्रकाश कुरील इस बार भारतीय जवान किसान पार्टी के उम्मीदवार है. उनका दावा है कि सैन्य जवान, किसान, महिलाएं, युवा व वरिष्ठ नागरिकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है.

विद्या प्रकाश कुरील के मुताबिक इस बार उन्होंने पंजीकृत दल से नामांकन किया है, सो सीटी चुनाव चिह्न नहीं मिल सका है. राजनीतिक सोच उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली, जो अपने जमाने में आंबेडकर व अच्युतानंद के साथ रहे.

आम तौर पर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले विद्या प्रकाश कुरील इस बार भारतीय जवान किसान पार्टी के उम्मीदवार है. उनका दावा है कि सैन्य जवान, किसान, महिलाएं, युवा व वरिष्ठ नागरिकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है. उनका कहना है कि मेरे क्षेत्र में मतदाता NOTA का बटन बहुत दबाते हैं. मेरा उनसे यही कहना है कि NOTA दबाने से अच्छा है किसी निर्दल प्रत्याशी को वोट दे दें.

ये भी पढ़ेंः एक ऐसा प्रत्याशी जो हारने के लिए लड़ता है चुनाव; राशन और पीएम सम्मान निधि के पैसे से 99वीं बार लड़ रहा चुनाव

प्रत्याशी सेना से रिटायर विद्या प्रकाश कुरील से संवाददाता की खास बातचीत.

फर्रुखाबाद: Farrukhabad Lok Sabha Seat Result Date: यूपी की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट के चुनाव में एक ऐसा उम्मीदवार है जो भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद अपनी पेंशन के सहारे चुनाव मैदान में हैं.

भले ही चुनाव में प्रत्याशियों के पास गाड़ियों का काफिला हो, सुरक्षा के लिए गनर और करोड़ों रुपए का खर्च होता हो, लेकिन फर्रुखाबाद के एक ऐसे प्रत्याशी हैं जो 75 साल की उम्र में भी देश को बदलने की चाह रखते हैं और पैदल चलकर लोगों से वोट मांगते हैं.

पेंशन से चुनाव के लिए नामांकन कराया और पेंशन से ही अपने घर का खर्च चलाते हैं. यह उम्मीदवार पिछले 27 साल से जनता के बीच में चुनाव लड़ रहे हैं. शायद जनता ने इनको कभी नोटिस भी नहीं किया होगा. लेकिन, जज्बा देखिए सेवा के मेडल सीने पर, टोपी सर पर और जीत की ओर कदम से कदम बढ़ाते नजर आते हैं.

ये हैं विद्या प्रकाश कुरील, जो हर चुनाव में नजर आते हैं लेकिन जीत आज तक नहीं मिली. कितने वोट मिले, यह उन्होंने कभी नहीं गिना. बस अपने संदेश को लोगों तक पहुंचाने का जुनून उन्हें इस उम्र में भी सक्रिय रखता है.

विगत 27 वर्षों में सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. एक बार उनकी पत्नी भी चुनाव लड़ चुकी हैं. आम तौर पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और चुनाव चिह्न सीटी रखते हैं. प्रचार भी सीटी बजाकर करते हैं. हालांकि इस बार उन्होंने पंजीकृत दल से नामांकन किया है, सो सीटी चुनाव चिह्न नहीं मिल सका है.

हार तय जानते हुए भी साल-दर-साल चुनाव लड़ते जाने का जुनून पाले पूर्व सैनिक विद्या प्रकाश कुरील इस बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी हैं. भारतीय थल सेना में जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेवाएं देने वाले कुरील सेवानिवृत्त होने के बाद से दलितों व वंचितों के हक की आवाज उठाते आ रहे हैं.

सबसे पहले वर्ष 1997 में उन्होंने विधानसभा चुनाव से अपने चुनाव लड़ने के अभियान की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1998 व 1999 लोकसभा का चुनाव लड़ा. वर्ष 2002 में विधानसभा और 2004 व 2019 में लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने प्रतिभाग किया.

इसके बाद उन्होंने 2022 में वाराणसी से भी चुनाव लड़ा. राजनीतिक सोच उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली, जो अपने जमाने में अंबेडकर व अच्युतानंद के साथ रहे। आम तौर पर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले विद्या प्रकाश कुरील इस बार भारतीय जवान किसान पार्टी के उम्मीदवार है. उनका दावा है कि सैन्य जवान, किसान, महिलाएं, युवा व वरिष्ठ नागरिकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है.

विद्या प्रकाश कुरील के मुताबिक इस बार उन्होंने पंजीकृत दल से नामांकन किया है, सो सीटी चुनाव चिह्न नहीं मिल सका है. राजनीतिक सोच उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली, जो अपने जमाने में आंबेडकर व अच्युतानंद के साथ रहे.

आम तौर पर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले विद्या प्रकाश कुरील इस बार भारतीय जवान किसान पार्टी के उम्मीदवार है. उनका दावा है कि सैन्य जवान, किसान, महिलाएं, युवा व वरिष्ठ नागरिकों का उन्हें समर्थन मिल रहा है. उनका कहना है कि मेरे क्षेत्र में मतदाता NOTA का बटन बहुत दबाते हैं. मेरा उनसे यही कहना है कि NOTA दबाने से अच्छा है किसी निर्दल प्रत्याशी को वोट दे दें.

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