जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के शोधकर्ताओं ने पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को खा जाने वाली ग्रीन लिंक्स मकड़ी की नई प्रजाति की खोज की है. विश्वविद्यालय जूलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनोद कुमारी के निर्देशन में रिसर्च स्कॉलर निर्मला कुमारी के द्वारा की गई इस महत्वपूर्ण खोज को देश के प्रतिष्ठित स्पाइडर रिसर्च लैब के विशेषज्ञ अरेकनोलॉजिस्ट डॉ अतुल बोडके द्वारा पहचान कर पुष्टि की गई है. इस खोज को इण्टरनेशनल सोसाइटी ऑफ अरेकनॉलॉजी द्वारा विश्व के प्रतिष्ठित जर्नल 'द अरेकनोलॉजिकल बुलेटिन ऑफ मिडिल ईस्ट एण्ड नॉर्थ अफ्रीका (SERKET)' में प्रकाशित किया गया है. राजस्थान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मकड़ी की खोज की गई इस नई प्रजाति का नाम प्युसेटिया छापराजनिरविन दिया है.
ताल छापर अभ्यारण में हुई खोज: एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनोद कुमारी का कहना है कि इस मकड़ी की प्रजाति की खोज ताल छापर अभ्यारण चूरू में की गई है. इसके नमूनों को राजस्थान विश्वविद्यालय की कीट विज्ञान प्रयोगशाला में संरक्षित रखा गया है. विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को मकड़ी की यह नई प्रजाति तालछापर वन्य जीव अभ्यारण में फील्ड वर्क के दौरान बबूल के पेड़ की हरी पत्तियों पर मिली.
पढ़ें: कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की 10-30 फीट लंबे पौधे वाले टमाटर की प्रजाति
इस मकड़ी का हरा रंग परिवेश में घुलने-मिलने और पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों के शिकार पर घात लगाने में सहायता करता है. इस मकड़ी के लंबे पैर फुर्ती से तेज चलने में सहायक होते हैं. इस मकड़ी की जीवन शैली रात्रिचर होती है. विश्वविद्यालय शोधकर्ताओं ने इस ग्रीन लिंक्स मकड़ियों को पतंगों की कई प्रजातियों को खाते हुए भी पाया. राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अल्पना कटेजा ने इस महत्वपूर्ण शोध के लिए ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनोद कुमारी एवं रिसर्च स्कॉलर निर्मला कुमारी को शुभकामनाएं दीं हैं