कांकेर : बस्तर के किसानों को आने वाले दिनों में चना, मटर, मसूर, और तिवड़ा की फसल का नया जीन देखने को मिलेगा. जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी इसके लिए कांकेर कृषि कालेज में रिसर्च चल रहा है. रिसर्च को लेकर अखिल भारतीय अनुसन्धान परियोजना दलहन फसल कार्यक्रम के अंतर्गत राम प्रसाद पोटाई कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र, सिंगारभाट कांकेर में राष्ट्रीय स्तर की मॉनिटरिंग भी हो रही है.
क्लाइमेट के मुताबिक फसल होगी तैयार : इस रिसर्च के बारे में डॉ जीवन सलाम ने बताया कि मौजूदा समय में कुल 13 अनुसन्धान कार्य चल रहे हैं. जिसमें 09 राष्ट्रीय स्तर और 04 राज्य स्तर के हैं. इनका उदेश्य छत्तीसगढ़ की क्लाइमेट और परिस्थिति के अनुसार फसलों की स्थायीत्वता की जांच कर देखना है कि यहां के लिए बेस्ट कौन सी जीन उपयोगी है. भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान कानपुर से दलहन फसल के जीन प्रारूप भेजे गए हैं.इसके अलावा सरसों पर भी अनुसन्धान कार्य चल रहा है. इसके जीन प्रारूप सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर राजस्थान से मिले हैं.
पूरे देश से आई टीमें : बेंगलुरू से मॉनीटिरिंग में पहुंचे कृषि वैज्ञानिक विजयलक्ष्मी ने बताया कि हमारे यहां विजिट का मूल उद्देश्य ये है कि जो भी अलग अलग क्रॉप्स हैं. उनकी वेल्युवेशन होती रहे.उनकी वेल्युवेशन में हमें हर जगह अलग-अलग टीमों को बनाकर वहां पर विजिट करना होता है, उस दौरान हम ये जानने की कोशिश करते है कि कोई भी एक किस्म अलग-अलग जगह पर कितनी अच्छे तरीके से पैदा हो सकती है. इस टीम का मूल उद्देश्य यही है.
''यहां मॉनिटरिंग करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर भी रिकमेंडेशन किया जाएगा. जहां पर राष्ट्रीय स्तर में भी कांकेर से कोई वेराइटी अच्छी निकलती है तो अन्य राज्यो में भी उसका एडॉप्शन किया जाएगा, यहां पर अलग अलग ओपजेक्टिव के साथ ही मोनिटरिंग टीम हमारे यहां पर यहां आज विजिट हो रही है.'' विजयलक्ष्मी,कृषि वैज्ञानिक
चने की नई किस्म का होगा उत्पादन : अभी हमारे टीम को अलग-अलग चार जगह पर विजिट करने के लिए कहा गया है. जिसमें दो और जगहों पर विजिट किया जा रहा है. दो जगहों पर विजिट हो चुका है. जैसे हमें चार विजिट में यह देखने के लिए अच्छा मिल रहा है कि छत्तीसगढ़ के लिए चने की जो किस्में चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर यहां जो वेल्युवेशन हो रहा है. उसमें तकरीबन 6 से 8 एंट्री अलग-अलग होते हैं. तो उनको यहां पर एडॉप्शन कर सकते हैं. जो अच्छा परफॉर्मेंस भी है. अगले दो तीन साल में चने के किस्म भी यहां के किसानों को उपलब्ध होंगे.