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आईआईटी बीएचयू में 85 करोड़ की लागत से बनेगा रिसर्च पार्क, शोध को मिलेगा नया आयाम - Research Park in IIT BHU - RESEARCH PARK IN IIT BHU

Research Park in IIT BHU: आईआईटी मद्रास की तर्ज पर आईआईटी बीएचयू में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च पार्क बनाया जाएगा. इसके लिए 85 करोड़ रुपये फंड मिल चुका है.

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आईआईटी बीएचयू में नए बदलाव किए जा रहे हैं (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 3, 2024, 3:10 PM IST

वाराणसी: आईआईटी बीएचयू में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च पार्क बनाने की तैयारी है. यह रिसर्च पार्क आईआईटी मद्रास की तर्ज पर तैयार किया जाएगा. यहां एक छत के नीचे तमाम शोध सुविधाएं छात्रों को मिलेंगी और छात्र नई चीजों पर काम कर सकेंगे. यही नहीं इसके लिए बाकायदा 85 करोड़ रुपये का दान भी मिल चुका है.

Research Park in IIT BHU To promote research and innovation with 85 crore fund UP Varanasi News in Hindi
संस्थान के एल्युमिनी ने 85 करोड रुपए का अनुदान दिया है. (Photo Credit- ETV Bharat)

विद्यार्थियों के शोध को मिलेगी नई दिशा: नई शिक्षा नीति के तहत आईआईटी बीएचयू में नए बदलाव किए जा रहे हैं. इसी के तहत इसमें रिसर्च पार्क को बनाया जा रहा है. इससे संस्थान की शोध की गुणवत्ता को बेहतर करने के साथ आईआईटी बीएचयू के विद्यार्थियों को शोध को नई दिशा दी जाएगी. यही नहीं नई सुविधाओं के साथ आईआईटी के कोर्स में बदलाव भी किए जाएंगे, जिसमें इंटर्नशिप दिलाने पर ज्यादा काम होगा.

Research Park in IIT BHU To promote research and innovation with 85 crore fund UP Varanasi News in Hindi
रिसर्च पार्क का मुख्य उद्देश्य शोध करने वाले छात्रों के रिसर्च को आगे बढ़ाना है (Photo Credit- ETV Bharat)

रिसर्च पार्क के लिए 85 करोड़ फंड मिला: आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने बताया कि इस रिसर्च पार्क में कई खासियत और सुविधाएं होंगी. सबसे बड़ी सुविधा स्टार्टअप करने वालों को मिलेगी. यदि कोई नया स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, तो वह इस रिसर्च पार्क से मदद ले सकता है. बड़ी बात यह है कि यहां उसे आईआईटी बीएचयू के अन्य लैब भी किराए पर मिल जाएंगे. इसके साथ यदि वह आईआईटी बीएचयू के पेटेंट शोध के जरिए भी कोई नया प्रोडक्ट बनाना चाहता है, तो वह भी उसे उपलब्ध हो सकेगा.

Research Park in IIT BHU To promote research and innovation with 85 crore fund UP Varanasi News in Hindi
रिसर्च पार्क में कई खासियत और सुविधा होंगी. (Photo Credit- ETV Bharat)

एल्यूमिनी आकर करेंगे छात्रों को गाइड: इस रिसर्च पार्क का मुख्य उद्देश्य शोध करने वाले छात्रों के रिसर्च को आगे बढ़ाना है. यहां पर उनकी नैतिक, सामाजिक, कानूनी तमाम तरीके की मदद दी जाएगी. इसके साथ ही उनके रिसर्च को सुरक्षित करके उसे आगे बढ़ाया जाएगा. रिसर्च करने में जो भी समस्याएं आएंगी, उसका भी यहां पर समाधान किया जाएगा. इसमें हमारे सफल एल्यूमिनी मदद करेंगे. वह आकर छात्रों की काउंसलिंग करेंगे. गाइडेंस देंगे और इससे छात्रों को इसका लाभ भी मिलेगा. अभी संस्थान के एल्युमिनी ने 85 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है. इसके बाद हम एंजल इन्वेस्टर्स के जरिए 5 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का दान लेंगे और इस रिसर्च पार्क को और भी आगे बढ़ाएंगे.

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नये स्टार्टअप को इस रिसर्च पार्क से मदद मिलेगी. (Photo Credit- ETV Bharat)

नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में होगी पढ़ाई: उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ नई चीजों को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि रैंकिंग में भी सुधार दिखेगा. इस नए शोध को और आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कोर्स में जरूरी बदलाव किए जाएंगे. यहां ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप दिलाने पर काम किया जाएगा. साथ ही संस्थान में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से जो छात्र आते हैं, उनके लिए मातृभाषा में भी शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. इससे उन्हें सीखने और पढ़ने में दिक्कत न हो और शिक्षक छात्र अपने रिसर्च को आगे बढ़ा सकें.

ये भी पढ़ें- अयोध्या गैंगरेप; सपा नेता मोईद की बेकरी पर रेड, बुलडोजर चला, पीड़िता से मिले मंत्री संजय निषाद, फूट-फूटकर रोए - Ayodhya Gangrape Case

वाराणसी: आईआईटी बीएचयू में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च पार्क बनाने की तैयारी है. यह रिसर्च पार्क आईआईटी मद्रास की तर्ज पर तैयार किया जाएगा. यहां एक छत के नीचे तमाम शोध सुविधाएं छात्रों को मिलेंगी और छात्र नई चीजों पर काम कर सकेंगे. यही नहीं इसके लिए बाकायदा 85 करोड़ रुपये का दान भी मिल चुका है.

Research Park in IIT BHU To promote research and innovation with 85 crore fund UP Varanasi News in Hindi
संस्थान के एल्युमिनी ने 85 करोड रुपए का अनुदान दिया है. (Photo Credit- ETV Bharat)

विद्यार्थियों के शोध को मिलेगी नई दिशा: नई शिक्षा नीति के तहत आईआईटी बीएचयू में नए बदलाव किए जा रहे हैं. इसी के तहत इसमें रिसर्च पार्क को बनाया जा रहा है. इससे संस्थान की शोध की गुणवत्ता को बेहतर करने के साथ आईआईटी बीएचयू के विद्यार्थियों को शोध को नई दिशा दी जाएगी. यही नहीं नई सुविधाओं के साथ आईआईटी के कोर्स में बदलाव भी किए जाएंगे, जिसमें इंटर्नशिप दिलाने पर ज्यादा काम होगा.

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रिसर्च पार्क का मुख्य उद्देश्य शोध करने वाले छात्रों के रिसर्च को आगे बढ़ाना है (Photo Credit- ETV Bharat)

रिसर्च पार्क के लिए 85 करोड़ फंड मिला: आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने बताया कि इस रिसर्च पार्क में कई खासियत और सुविधाएं होंगी. सबसे बड़ी सुविधा स्टार्टअप करने वालों को मिलेगी. यदि कोई नया स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, तो वह इस रिसर्च पार्क से मदद ले सकता है. बड़ी बात यह है कि यहां उसे आईआईटी बीएचयू के अन्य लैब भी किराए पर मिल जाएंगे. इसके साथ यदि वह आईआईटी बीएचयू के पेटेंट शोध के जरिए भी कोई नया प्रोडक्ट बनाना चाहता है, तो वह भी उसे उपलब्ध हो सकेगा.

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रिसर्च पार्क में कई खासियत और सुविधा होंगी. (Photo Credit- ETV Bharat)

एल्यूमिनी आकर करेंगे छात्रों को गाइड: इस रिसर्च पार्क का मुख्य उद्देश्य शोध करने वाले छात्रों के रिसर्च को आगे बढ़ाना है. यहां पर उनकी नैतिक, सामाजिक, कानूनी तमाम तरीके की मदद दी जाएगी. इसके साथ ही उनके रिसर्च को सुरक्षित करके उसे आगे बढ़ाया जाएगा. रिसर्च करने में जो भी समस्याएं आएंगी, उसका भी यहां पर समाधान किया जाएगा. इसमें हमारे सफल एल्यूमिनी मदद करेंगे. वह आकर छात्रों की काउंसलिंग करेंगे. गाइडेंस देंगे और इससे छात्रों को इसका लाभ भी मिलेगा. अभी संस्थान के एल्युमिनी ने 85 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है. इसके बाद हम एंजल इन्वेस्टर्स के जरिए 5 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का दान लेंगे और इस रिसर्च पार्क को और भी आगे बढ़ाएंगे.

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नये स्टार्टअप को इस रिसर्च पार्क से मदद मिलेगी. (Photo Credit- ETV Bharat)

नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में होगी पढ़ाई: उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ नई चीजों को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि रैंकिंग में भी सुधार दिखेगा. इस नए शोध को और आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कोर्स में जरूरी बदलाव किए जाएंगे. यहां ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप दिलाने पर काम किया जाएगा. साथ ही संस्थान में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से जो छात्र आते हैं, उनके लिए मातृभाषा में भी शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. इससे उन्हें सीखने और पढ़ने में दिक्कत न हो और शिक्षक छात्र अपने रिसर्च को आगे बढ़ा सकें.

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