वाराणसी: आईआईटी बीएचयू में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च पार्क बनाने की तैयारी है. यह रिसर्च पार्क आईआईटी मद्रास की तर्ज पर तैयार किया जाएगा. यहां एक छत के नीचे तमाम शोध सुविधाएं छात्रों को मिलेंगी और छात्र नई चीजों पर काम कर सकेंगे. यही नहीं इसके लिए बाकायदा 85 करोड़ रुपये का दान भी मिल चुका है.
विद्यार्थियों के शोध को मिलेगी नई दिशा: नई शिक्षा नीति के तहत आईआईटी बीएचयू में नए बदलाव किए जा रहे हैं. इसी के तहत इसमें रिसर्च पार्क को बनाया जा रहा है. इससे संस्थान की शोध की गुणवत्ता को बेहतर करने के साथ आईआईटी बीएचयू के विद्यार्थियों को शोध को नई दिशा दी जाएगी. यही नहीं नई सुविधाओं के साथ आईआईटी के कोर्स में बदलाव भी किए जाएंगे, जिसमें इंटर्नशिप दिलाने पर ज्यादा काम होगा.
रिसर्च पार्क के लिए 85 करोड़ फंड मिला: आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने बताया कि इस रिसर्च पार्क में कई खासियत और सुविधाएं होंगी. सबसे बड़ी सुविधा स्टार्टअप करने वालों को मिलेगी. यदि कोई नया स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, तो वह इस रिसर्च पार्क से मदद ले सकता है. बड़ी बात यह है कि यहां उसे आईआईटी बीएचयू के अन्य लैब भी किराए पर मिल जाएंगे. इसके साथ यदि वह आईआईटी बीएचयू के पेटेंट शोध के जरिए भी कोई नया प्रोडक्ट बनाना चाहता है, तो वह भी उसे उपलब्ध हो सकेगा.
एल्यूमिनी आकर करेंगे छात्रों को गाइड: इस रिसर्च पार्क का मुख्य उद्देश्य शोध करने वाले छात्रों के रिसर्च को आगे बढ़ाना है. यहां पर उनकी नैतिक, सामाजिक, कानूनी तमाम तरीके की मदद दी जाएगी. इसके साथ ही उनके रिसर्च को सुरक्षित करके उसे आगे बढ़ाया जाएगा. रिसर्च करने में जो भी समस्याएं आएंगी, उसका भी यहां पर समाधान किया जाएगा. इसमें हमारे सफल एल्यूमिनी मदद करेंगे. वह आकर छात्रों की काउंसलिंग करेंगे. गाइडेंस देंगे और इससे छात्रों को इसका लाभ भी मिलेगा. अभी संस्थान के एल्युमिनी ने 85 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है. इसके बाद हम एंजल इन्वेस्टर्स के जरिए 5 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का दान लेंगे और इस रिसर्च पार्क को और भी आगे बढ़ाएंगे.
नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में होगी पढ़ाई: उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ नई चीजों को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि रैंकिंग में भी सुधार दिखेगा. इस नए शोध को और आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कोर्स में जरूरी बदलाव किए जाएंगे. यहां ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप दिलाने पर काम किया जाएगा. साथ ही संस्थान में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से जो छात्र आते हैं, उनके लिए मातृभाषा में भी शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी. इससे उन्हें सीखने और पढ़ने में दिक्कत न हो और शिक्षक छात्र अपने रिसर्च को आगे बढ़ा सकें.
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