वाराणसी : देश में मौजूद 3000 से ज्यादा कोल व अन्य खनिज पदार्थों के माइन अब तक खनन के बाद खाली छोड़ दिए जाते थे. इससे खनन स्थलों में मौजूद एसिड लोगों के लिए बहुत अधिक घातक होता है. ऐसे में अब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने सरकार को एक नया प्लान तैयार करके दिया है. जिसके तहत कोल माइंस से निकलने वाले एसिड को कंट्रोल करके उसे ग्रीनरी में कैसे तब्दील किया जा सके. खास बात यह है कि इस पर काम भी शुरू हो गया है और देश के अन्य कई खाली पड़े माइंस को ग्रीनरी में तब्दील किया जा रहा है. जल्द ही कई और माइन्स का क्लोजर किया जाएगा.
बीएचयू माइनिंग विभाग के प्रोफेसर आरिफ जमाल बताते हैं कि भारत सरकार और कोल इंडिया इस बात को लेकर बहुत चिंतित है कि खादानों को प्रॉपर तरीके से कैसे बंद किया जाए और उन्हें री-यूज किया जाए. माइनिंग में तीन टर्म होते हैं- रीस्टोरेशन, रिक्वेस्ट्रेशन और रिहैबिलिटेशन. रीस्टोरेशन का मतलब होता है कि जैसी पहले खादान थी उसी स्थिति में उसको लाया जाए. यह 80-90 फीसदी ही संभव हो पाता है. क्योंकि इकोसिस्टम को रिस्टोर करना बहुत ही टाइम टेकिंग होता है.
माइन्स पर की गई विस्तृत स्टडी : प्रोफेसर जमाल के अनुसार नार्दर्न कोल लिमिटेड ने अपनी एक माइन हमको दी है. वह कोर-बी माइन, जिसमें एसिडिक वाॅटर था. उस माइन को क्लोजर करना था. वहां के सीएमडी भोला सिंह ने इसकी जिम्मेदारी हमें दी. इसके लिए एनटीपीसी से एक एमओयू किया कि फ्लाई ऐश वह डालेगा. जब ऐश डालने लगे तो हम लोगों ने पाया कि फ्लाई ऐश से ही इसका क्लोजर नहीं किया जा सकेगा. इसके लिए व्यवस्थित स्टडी की जरूरत महसूस हुई. ऐसा इसलिए क्योंकि एसिडिक वाटर माइन के बाहर नहीं जाना चाहिए, जो कि लैंड को डीग्रेड करेगा और आसपास के नदी-नाले को डीग्रेड करेगा. इसको कैसे पोर्टेबल और पीने लायक बनाकर बाहर भेजा जाए.
कोल एरिया को सील करने के बाद डाला जाए फ्लाई ऐश : प्रोफेसर जमाल के मुताबिक इसके लिए हमने एक डीटेल्ड स्टडी की. हमने इसको लेकर काफी कुछ निष्कर्ष निकाला. इसमें पहले लाइम स्टोन डालना है, पानी को न्यूट्रिलाइज करना है. जहां से एसिड निकल रहा है, कोल बचे हैं जहां से एसिड निकल रहा है, उसे पहले सील करना है. उसे सील करने के बाद ही उसमें फ्लाई ऐश डाला जाए. अब हम लोगों ने ये काम पूरा करके रिपोर्ट दे दी है. उसी रिपोर्ट के हिसाब से उसकी फिलिंग हो रही है. हमको उम्मीद है कि आने वाले एक साल के अंदर वह एरिया एक ग्रीनरी में तब्दील हो जाएगा. गार्डेन, पिकनिक स्पॉट वहां पर डेवलप हो सकेगा.
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