लखनऊ : दिन-ब-दिन कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अब कैंसर मरीजों के लिए हायपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी के रूप में नई उम्मीद जगी है. इससे रेडिएशन के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्लास्टिक सर्जरी विभाग और दंत संकाय में हुए शोध में यह बात साबित हुई है. इसे नेशनल जर्नल ऑफ मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में प्रकाशित किया गया है.
केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार ने बताया कि रेडिएशन से कैंसर को बढ़ाने वाली सेल नष्ट हो जाती हैं, लेकिन इसके दुष्प्रभाव लंबे समय तक रहते हैं. ऐसे में नई तकनीक काफी प्रभावी साबित हो रही है. प्रो. विजय कुमार ने बताया कि ज्यादा मामले सिर और गले वाले कुल कैंसर के मामलों में से एशिया में 57.5 और भारत में 30 फीसदी हैं. इनमें 80 फीसदी से ज्यादा केस मुख कैंसर के हैं. इसकी बड़ी वजह तंबाकू का सेवन है.
प्रो. विजय कुमार के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में हायरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी देने के लिए विशिष्ट केबिन तैयार किए गए हैं. इनमें मरीज को बंद कर ऑक्सीजन का प्रवाह दिया जाता है. जिससे रेडिएशन वाले हिस्से पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अध्ययन में रेडिएशन प्रभावित 42 लोगों को शामिल किया गया. इनकी उम्र 49 से 57 साल के बीच थी. इनमें से 71 फीसदी से ज्यादा पुरुष थे. जनवरी 2022 से अगस्त 2023 के बीच 12 सप्ताह तक इन्हें 15 से 20 मिनट के लिए ऑक्सीजन दी गई. इसमें पाया गया कि मुंह न खुलने, मुंह सूखने, बदबू, घाव बहने, साइनस जैसी समस्याओं पर थेरेपी कारगर साबित हुई.
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