पटना: बिहार की समस्तीपुर सीट लोकसभा चुनाव में हॉट सीट बन गयी है. बिहार सरकार के दो दिग्गज दलित मंत्रियों के बीच शक्ति प्रदर्शन होना तय माना जा रहा है. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी और महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी समस्तीपुर से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा है कि दो-दो मंत्रियों के बेटे और बेटी के बीच की लड़ाई होने के कारण चुनाव दिलचस्प हो गया है.
कैसे चुने गये उम्मीदवारः महेश्वर हजारी ने अपने बेटे सनी हजारी के लिए चिराग पासवान से टिकट मांगा था, लेकिन चिराग पासवान ने अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को टिकट दे दिया है. सनी हजारी को एनडीए से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस में शामिल हो गए और अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में है. लेकिन लड़ाई शांभवी चौधरी और सनी हजारी के बीच नहीं होकर अब अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी के बीच होने की बात कही जा रही है. ऐसे में दोनों की प्रतिष्ठा गांव पर लग गई है.
महेश्वर हजारी यहां से बने हैं सांसद: समस्तीपुर लोकसभा सीट कर्पूरी ठाकुर 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता था. कांग्रेस के रामदेव राय 1984 में यहां से चुनाव जीते थे. अजीत कुमार मेहता 1980, 1996, 1998 और 2004 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं. 2009 में महेश्वर हजारी ने यहां से जदयू के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद 2014 में रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान लोजपा के टिकट पर चुनाव जीते. फिर यह सीट लोजपा के नाम ही हो गया.
चिराग के खाते में गयी सीटः 2019 में भी रामचंद्र पासवान ने ही चुनाव जीता. उनके निधन के बाद 2019 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज ने चुनाव लड़ा और उनकी जीत हुई. रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो भाग में बंट गया. एक का नेतृत्व पशुपति पारस कर रहे थे तो दूसरा का चिराग पासवान. इस बार एनडीए में चिराग पासवान के साथ समझौता किया गया है. 5 सीट चिराग पासवान की पार्टी को दिया गया है. जिसमें से समस्तीपुर की सीट भी है.
क्या कहते हैं दोनों गठबंधन के नेताः महागठबंधन और एनडीए के नेता समस्तीपुर में अपने गठबंधन की जीत की दावेदारी कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता राम सागर सिंह का कहना है कि लड़ाई एक तरफ भ्रष्टाचार तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के बीच है. इसलिए जनता के लिए फैसला लेना कोई मुश्किल नहीं है. वहीं राजद के वरिष्ठ नेता श्याम रजक का कहना है कि जनता इंडिया गठबंधन के साथ है. जब जनता साथ है तो कहीं कोई लड़ाई है ही नहीं. सारा समीकरण हम लोगों के पक्ष में है.
स्थानीय-बाहरी का मुद्दाः राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी स्थानीय नहीं है तो दूसरी तरफ सनी हजारी स्थानीय हैं. पासवान जाति का वोट भी समस्तीपुर में सबसे अधिक है जिसका फायदा माहेश्वरी के बेटे को मिल सकता है. वहीं अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी महादलित वर्ग के ही पासी समाज से आतीं हैं जिसकी आबादी बहुत ज्यादा नहीं है. महागठबंधन के वोट बैंक यादव और मुस्लिम भी समस्तीपुर में जीत हार का फैसला करते हैं. इस वोट बैंक का लाभ सनी हजारी को मिल सकता है.
"जदयू के मंत्री के बेटे को महागठबंधन से टिकट मिलना ही लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. महेश्वर हजारी भले ही खुलकर चुनाव मैदान में नहीं दिखेंगे लेकिन लंबे समय से समस्तीपुर से राजनीति कर रहे हैं. एक तरह से समस्तीपुर में उनकी पैठ है. ऐसे में आसानी से वोट ट्रांसफर कर सकते हैं."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक
जनता के फैसले पर दोनों मंत्रियों की उम्मीदः मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि शांभवी चौधरी सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के काम की बदौलत जनता के समर्थन से चुनाव जीत जाएगी. अशोक चौधरी पूरी ताकत समस्तीपुर में लगा रहे हैं. दूसरी तरफ मंत्री महेश्वर हजारी खुलकर अपने बेटे के पक्ष में बयान तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन समस्तीपुर में पूरी ताकत लगा रहे हैं. महेश्वर हजारी का कहना है कि अभी हम मधेपुरा में जदयू उम्मीदवार के पक्ष में काम कर रहे हैं. वहां का प्रभारी पार्टी ने बनाया है. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा प्रखंड प्रमुख है. जनता के बीच लोकप्रिय भी है.
इसे भी पढ़ेंः समस्तीपुर में नीतीश कुमार के 2 मंत्रियों के बाल-बच्चों में भिड़ंत, 'परिवारवाद' पर फंस गए CM, क्या करेंगे अब? - SAMASTIPUR LOK SABHA SEAT
इसे भी पढ़ेंः 'विपक्षी उम्मीदवार कोई भी हो, मजबूती से करूंगी सामना', शांभवी चौधरी का बड़ा बयान - Lok Sabha Election 2024