जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने नेपानगर की पूर्व विधायक सुमित्रा देवी कास्डेकर के खिलाफ जेएमएफसी कोर्ट बुरहानपुर की अदालत में लंबित परिवाद को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जेएमएफसी कोर्ट को इस परिवाद को सुनने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने शिकायतकर्ता को स्वतंत्रता दी है कि वह संबंधित विशेष अदालत में परिवाद दायर कर सकता है..
बुरहानपुर कोर्ट ने दिए थे एफआईआर के निर्देश
पूर्व विधायक सुमित्रा देवी के खिलाफ बालचंद शिंदे ने जेएमएफसी कोर्ट बुरहानपुर में परिवाद दायर कर शिकायत की थी. इसमें कहा गया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जन्म प्रमाण पेश किया गया था. जेएमएफसी कोर्ट ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए. इसके बाद पुलिस ने चालान भी पेश कर दिया. वहीं, हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि याचिकाकर्ता विधायक थी और बुरहानपुर की जेएमएफसी कोर्ट को यह मामला सुनने का अधिकार नहीं है. याचिका में ये भी कहा गया कि इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए भोपाल और इंदौर में स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट हैं.
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जन्मतिथि व योग्यता को लेकर आपत्ति दर्ज कराई
बालचंद शिंदे की ओर से अधिवक्ता रवीन्द्र गुप्ता ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि शिंदे ने परिवाद दायर किया था. जिसमें कहा गया था कि नेपानगर क्षेत्र से 2019 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनी सुमित्रा कास्डेकर कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में शामिल हुईं थीं. वर्ष 2020 में दोबारा नेपानगर सीट पर उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने सुमित्रा कास्डेकर को अपना प्रत्याशी बनाया. 2020 के उपचुनाव में सुमित्रा कास्डेकर ने चुनावी घोषणा पत्र में अपनी जन्म तिथि 15 अगस्त 1983 दर्शाई. इसके अलावा उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता 8 वीं बताई. वहीं 2011 में गैस एजेंसी के लिए दिए शपथ पत्र में उन्होंने जन्म तिथि वर्ष 4 मई 1985 बताई और शैक्षणिक योग्यता दसवीं बताई थी.