ETV Bharat / state

Success Story: बस्तर की बुजुर्ग एथलीट रेखा सेन का कमाल, मलेशिया में जीता डबल मेडल

बस्तर की एथलीट रेखा सेन ने मलेशियन इंटरनेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का डंका बजाया है.

Success story of Bastar athlete
बस्तर की एथलीट की सक्सेस स्टोरी (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 20, 2024, 3:53 PM IST

जगदलपुर: बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित मलेशियन इंटरनेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को दो मेडल दिलाए हैं. रेखा सेन ने यह दोनों पदक 70 साल की उम्र होने के बावजूद जीते हैं और देश का नाम रौशन किया है. 12 और 13 अक्टूबर को कुआलालंपुर में यह प्रतियोगिता आयोजित की गई. जिसमें उन्होंने गोला फेंक और तवा फेंक में हिस्सा लिया और जीत दर्ज करते हुए दो पदक अपने नाम किए हैं. गोला फेंक में उन्होंने सिल्वर मेडल और तवा फेंक में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किए हैं.

70 साल की उम्र में जीते पदक: जगदलपुर की रहने वाली रेखा सेन ने 70 साल की उम्र में यह कारनामा किया है. उन्होंने कुआलालंपुर में शानदार प्रदर्शन करते हुए चीन, श्रीलंका, सिंगापुर, फिलीपींस, हांगकांग, पाकिस्तान, थाईलैंड, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और उज्बेकिस्तान के खिलाड़ियों के बीच यह जीत हासिल की है. रेखा सेन ने सभी मात देकर यह गौरव हासिल किया है. रेखा सेन इस दौरान खेल के मैदान में घायल हो गई थी. उसके बाद भी उन्होंने अपना कमाल दिखाया है.इससे पहले भी उन्होंने नेपाल में हुए प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा किया था. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 2024 में दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था.

Rekha Sen of Bastar won medals
इंटरनेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप (ETV BHARAT)

खेल दिवस पर हो चुकी हैं सम्मानित: रेखान सेन को साल 2020 में खेल दिवस पर सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रुप में की थी. उसके बाद खेलों के प्रति उनका रुझान बढ़ता गया. रिटायरमेंट के बाद वह छत्तीसगढ़ वेटरन एथलेटिक्स एसोसिएशन से जुड़ीं. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2013 में पति के निधन के बाद रेखा सेन मानसिक रूप बिखर गईं थी. वह बुरी तरह टूट गईं थी उसके बाद भी उन्होंने अपने खेल प्रतिभा को फिर से उभारा और कई जगहों पर खुद को साबित किया. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है.

Success Story
मलेशिया में रेखान सेन का कमाल (ETV BHARAT)

रेखा सेन की इस कामयाबी पर देश के साथ साथ प्रदेश को नाज है. बस्तर के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि उन्होंने अपने दम से बस्तर संभाग का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया है. खेल से जुड़ने पर उन्हें समाज के ताने भी सहने पड़े लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और देश विदेश में अपनी काबलियत का लोहा मनवाया. अब वह एक चैंपियन के तौर पर छत्तीसगढ़ और देश का नाम रौशन कर रही है.

पीएम मोदी ने नीरज चोपड़ा की मां को लिखा भावुक पत्र, कहा- 'मेरी मां की याद दिला दी'

नीरज चोपड़ा को लगा बड़ा झटका, ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले कोच ने छोड़ा साथ

ओलंपिक में कैसा रहा है एथलेटिक्स का इतिहास, जानिए भारत को किन एथलीटों से होगी मेडल की आस

जगदलपुर: बस्तर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित मलेशियन इंटरनेशनल ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को दो मेडल दिलाए हैं. रेखा सेन ने यह दोनों पदक 70 साल की उम्र होने के बावजूद जीते हैं और देश का नाम रौशन किया है. 12 और 13 अक्टूबर को कुआलालंपुर में यह प्रतियोगिता आयोजित की गई. जिसमें उन्होंने गोला फेंक और तवा फेंक में हिस्सा लिया और जीत दर्ज करते हुए दो पदक अपने नाम किए हैं. गोला फेंक में उन्होंने सिल्वर मेडल और तवा फेंक में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किए हैं.

70 साल की उम्र में जीते पदक: जगदलपुर की रहने वाली रेखा सेन ने 70 साल की उम्र में यह कारनामा किया है. उन्होंने कुआलालंपुर में शानदार प्रदर्शन करते हुए चीन, श्रीलंका, सिंगापुर, फिलीपींस, हांगकांग, पाकिस्तान, थाईलैंड, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और उज्बेकिस्तान के खिलाड़ियों के बीच यह जीत हासिल की है. रेखा सेन ने सभी मात देकर यह गौरव हासिल किया है. रेखा सेन इस दौरान खेल के मैदान में घायल हो गई थी. उसके बाद भी उन्होंने अपना कमाल दिखाया है.इससे पहले भी उन्होंने नेपाल में हुए प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा किया था. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 2024 में दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था.

Rekha Sen of Bastar won medals
इंटरनेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप (ETV BHARAT)

खेल दिवस पर हो चुकी हैं सम्मानित: रेखान सेन को साल 2020 में खेल दिवस पर सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रुप में की थी. उसके बाद खेलों के प्रति उनका रुझान बढ़ता गया. रिटायरमेंट के बाद वह छत्तीसगढ़ वेटरन एथलेटिक्स एसोसिएशन से जुड़ीं. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2013 में पति के निधन के बाद रेखा सेन मानसिक रूप बिखर गईं थी. वह बुरी तरह टूट गईं थी उसके बाद भी उन्होंने अपने खेल प्रतिभा को फिर से उभारा और कई जगहों पर खुद को साबित किया. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है.

Success Story
मलेशिया में रेखान सेन का कमाल (ETV BHARAT)

रेखा सेन की इस कामयाबी पर देश के साथ साथ प्रदेश को नाज है. बस्तर के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि उन्होंने अपने दम से बस्तर संभाग का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया है. खेल से जुड़ने पर उन्हें समाज के ताने भी सहने पड़े लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और देश विदेश में अपनी काबलियत का लोहा मनवाया. अब वह एक चैंपियन के तौर पर छत्तीसगढ़ और देश का नाम रौशन कर रही है.

पीएम मोदी ने नीरज चोपड़ा की मां को लिखा भावुक पत्र, कहा- 'मेरी मां की याद दिला दी'

नीरज चोपड़ा को लगा बड़ा झटका, ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाले कोच ने छोड़ा साथ

ओलंपिक में कैसा रहा है एथलेटिक्स का इतिहास, जानिए भारत को किन एथलीटों से होगी मेडल की आस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.