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तीमारदारों पर कम होगा बोझ, मरीजों को मिलेगी बड़ी सहूलियत, उत्तराखंड में जल्द लागू होगी रेफरल नीति - Referral Policy for Patients

Referral Policy in Dehradun, Referral Policy at Doon Hospital मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेफरल नीति तैयार की है. जिसे लेकर दिशा निर्देश जारी किये गये हैं. दून अस्पताल में भी रेफरल नीति को लेकर जल्द ही वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा. जिसमें इस नीति के बारे में जानकारी दी जाएगी.

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उत्तराखंड में जल्द लागू होगी रेफरल नीति (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 26, 2024, 3:04 PM IST

Updated : Jun 26, 2024, 3:39 PM IST

उत्तराखंड में जल्द लागू होगी रेफरल नीति (Etv Bharat)

देहरादून: सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने और मरीजों की सुविधा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने एक रेफरल नीति तैयार की है. जिसके तहत अब किसी भी अस्पताल के चिकित्सक किसी गंभीर मरीज को एक से दूसरे अस्पताल में रेफर करके उस मरीज को अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं. चिकित्सकों दूसरे अस्पताल के नोडल अधिकारी से बाचचीत करनी होगी. उस अस्पताल में बेड की उपलब्धता की जानकारी लेनी होगी. तभी दूसरे अस्पताल में मरीज को रेफर किया जा सकता है.

देहरादून राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा पहली बार दून अस्पताल के बीच रेफरल सिस्टम के दिशा निर्देश जारी हुए हैं. उन्होंने बताया इस नीति के बनने से पहले भी अस्पताल के डॉक्टरों से बातचीत चलती रहती थी. अनावश्यक रूप से किसी भी मरीज को रेफर नहीं किया जाता था. गंभीर स्थिति के मरीज को इमरजेंसी के चलते रेफर भी करना पड़े तो मरीज को स्थानांतरित करने से पूर्व दूसरे अस्पताल से सामंजस्य बनाते हुए, बेड की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली जाती थी.

उन्होंने बताया कई बार मरीज भी बेड की उपलब्धता की जानकारी अपने आप जुटा लेते हैं, जो की अच्छी बात है. डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया केंद्र सरकार की तरफ से रेफरल नीति जारी की गई है, जिसको दून अस्पताल में लागू करने के लिए पूरे प्रयास किया जा रहे हैं. उन्होंने बताया यह नीति मरीजों के हितों के लिए है. जिस अस्पताल में भी मरीज को रेफर किया जाएगा, उस अस्पताल से रेफरल नीति के तहत बेड की उपलब्धता की जानकारी पहले ले ली जाएगी. उन्होंने बताया कोई भी डॉक्टर यह नहीं चाहता कि अनावश्यक रूप से मरीज को रेफर किया जाए, लेकिन अगर किसी गंभीर मरीज को आइसीयू की जरूरत है और आईसीयू उपलब्ध न हो तो ऐसे मामलों में मरीज को रेफर करना जरूरी हो जाता है. इसी तरह अगर अस्पताल में स्पेशलिस्ट चिकित्सक का अभाव है तब भी मरीज को स्थानांतरित करने की नौबत आ जाती है. उन्होंने बताया अति शीघ्र दून मेडिकल कॉलेज की तरफ से इस संबंध में एक वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सभी चिकित्सकों को रेफरल नीति के बारे में विस्तृत रूप से बताया जाएगा.

पढ़ें- मिशन 'रोड टू चाइना बॉर्डर' पर जीरो डिग्री तापमान में भी चल रहा काम, उत्तराखंड से चीन सीमा तक चंद दिन में पहुंच जाएगी सड़क - Road to China Border

उत्तराखंड में जल्द लागू होगी रेफरल नीति (Etv Bharat)

देहरादून: सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने और मरीजों की सुविधा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने एक रेफरल नीति तैयार की है. जिसके तहत अब किसी भी अस्पताल के चिकित्सक किसी गंभीर मरीज को एक से दूसरे अस्पताल में रेफर करके उस मरीज को अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं. चिकित्सकों दूसरे अस्पताल के नोडल अधिकारी से बाचचीत करनी होगी. उस अस्पताल में बेड की उपलब्धता की जानकारी लेनी होगी. तभी दूसरे अस्पताल में मरीज को रेफर किया जा सकता है.

देहरादून राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा पहली बार दून अस्पताल के बीच रेफरल सिस्टम के दिशा निर्देश जारी हुए हैं. उन्होंने बताया इस नीति के बनने से पहले भी अस्पताल के डॉक्टरों से बातचीत चलती रहती थी. अनावश्यक रूप से किसी भी मरीज को रेफर नहीं किया जाता था. गंभीर स्थिति के मरीज को इमरजेंसी के चलते रेफर भी करना पड़े तो मरीज को स्थानांतरित करने से पूर्व दूसरे अस्पताल से सामंजस्य बनाते हुए, बेड की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली जाती थी.

उन्होंने बताया कई बार मरीज भी बेड की उपलब्धता की जानकारी अपने आप जुटा लेते हैं, जो की अच्छी बात है. डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया केंद्र सरकार की तरफ से रेफरल नीति जारी की गई है, जिसको दून अस्पताल में लागू करने के लिए पूरे प्रयास किया जा रहे हैं. उन्होंने बताया यह नीति मरीजों के हितों के लिए है. जिस अस्पताल में भी मरीज को रेफर किया जाएगा, उस अस्पताल से रेफरल नीति के तहत बेड की उपलब्धता की जानकारी पहले ले ली जाएगी. उन्होंने बताया कोई भी डॉक्टर यह नहीं चाहता कि अनावश्यक रूप से मरीज को रेफर किया जाए, लेकिन अगर किसी गंभीर मरीज को आइसीयू की जरूरत है और आईसीयू उपलब्ध न हो तो ऐसे मामलों में मरीज को रेफर करना जरूरी हो जाता है. इसी तरह अगर अस्पताल में स्पेशलिस्ट चिकित्सक का अभाव है तब भी मरीज को स्थानांतरित करने की नौबत आ जाती है. उन्होंने बताया अति शीघ्र दून मेडिकल कॉलेज की तरफ से इस संबंध में एक वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सभी चिकित्सकों को रेफरल नीति के बारे में विस्तृत रूप से बताया जाएगा.

पढ़ें- मिशन 'रोड टू चाइना बॉर्डर' पर जीरो डिग्री तापमान में भी चल रहा काम, उत्तराखंड से चीन सीमा तक चंद दिन में पहुंच जाएगी सड़क - Road to China Border

Last Updated : Jun 26, 2024, 3:39 PM IST
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