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कानपुर से निर्यात होने वाले कारोबार पर संकट; बांग्लादेश में करोड़ों रुपये के आर्डर फंसे, कारोबारी बोले- आर्थिक संकट का टूटा पहाड़ - Kanpur export business

बांग्लादेश में तनाव के चलते कानपुर के निर्यात कारोबार पर बुरा (KANPUR EXPORT BUSINESS) असर पड़ गया है. इसके चलते कारोबारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कानपुर से निर्यात होने वाले कारोबार पर संकट
कानपुर से निर्यात होने वाले कारोबार पर संकट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 3:12 PM IST

जानकारी देते फियो सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव (Video credit: ETV Bharat)

कानपुर : जिले की पहचान पूरी दुनिया में एक औद्योगिक नगरी के तौर पर है. ऐसे में शहर के जो निर्यातक हैं, उनके द्वारा जो उत्पाद तैयार किए जाते हैं उनकी डिमांड बहुत अधिक अन्य देशों में रहती है. ऐसे में कानपुर के कई उत्पाद पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी निर्यात किए जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर जनता की नाराजगी से कानपुर के निर्यात कारोबार पर अब अच्छा खासा असर पड़ गया है. एक ओर जहां उत्पादों को भेजे जाने की प्रक्रिया भी बहुत सुस्त हो चुकी है, वहीं निर्यातकों के पास किसी तरीके के आर्डर नहीं आ रहे हैं. निर्यात के साथ-साथ ही भारत-बांग्लादेश से कई वस्तुओं को लेकर आयात भी करता है, जिस पर भी वेट एंड वॉच की स्थिति अब कायम हो गई है.


सालाना 500 करोड़ रुपये का होता है निर्यात: इस पूरे मामले को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत संवाददाता को बताया कि कानपुर से हर साल लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात भारत से बांग्लादेश को किया जाता है, हालांकि पिछले कुछ दिनों की बात करें तो कई करोड़ रुपए के आर्डर (उत्पाद) फंस चुके हैं. वहीं माना जा रहा है कि 50-70 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा. आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि बांग्लादेश, पड़ोसी देश है, इसलिए पिछले कई वर्षों से निर्यात कारोबार तो बेहतर ढंग से चल रहा था, लेकिन अब अचानक ही ब्रेक लगने से कारोबारियों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति आ चुकी है.




जानिए कौन-कौन से उत्पादों का होता है निर्यात : कानपुर से बांग्लादेश जो उत्पाद भेजे जाते हैं, उनमें प्रमुख रूप से चावल, गेहूं, प्याज, फल व कई अन्य सब्जियां, चमड़ा, चमड़े से तैयार उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, प्लास्टिक उत्पाद और टेक्सटाइल से बने उत्पाद शामिल हैं.

क्या बोले निर्यातक : आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो निर्यातकों के सामने स्थितियां बेहद विकट रही हैं. कुछ समय पहले जहां यूरोप की मंदी छाई रही, उसके बाद यूक्रेन-रूस वार और फिर इजराइल-फिलिस्तीन के संकट से उबरते हुए निर्यातकों के लिए बाजार कुछ बेहतर हुआ था, लेकिन अब बांग्लादेश के मुद्दे से निर्यातक परेशान हो चुके हैं. बांग्लादेश में कानपुर से गारमेंट व लेदर उत्पाद भी अच्छी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं. ऐसे में निर्यातकों को अब केवल स्थिति सामान्य होने का ही इंतजार करना होगा.

काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष जावेद इकबाल ने बताया कि चमड़ा और चमड़े से जुड़े कारोबार करने वाले निर्यातक काफी हद तक परेशान हैं. उनके पास किसी तरीके का कोई जवाब नहीं है, जहां उनके उत्पाद भी फंस चुके हैं, वहीं उन्हें ऑर्डर ना मिलने से उनके ऊपर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है.

इन देशों में होता है कारोबार : यूएसए, यूएई, जर्मनी, इटली, नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम, ब्राजील, तुर्कीए, स्पेन.

यह भी पढ़ें : अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के देशों में रोड शो करेंगे चमड़ा कारोबारी

यह भी पढ़ें : दुबई के बाजार में दिखेंगे कानपुर में बने चमड़े के बैग, जूते और बेल्ट

जानकारी देते फियो सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव (Video credit: ETV Bharat)

कानपुर : जिले की पहचान पूरी दुनिया में एक औद्योगिक नगरी के तौर पर है. ऐसे में शहर के जो निर्यातक हैं, उनके द्वारा जो उत्पाद तैयार किए जाते हैं उनकी डिमांड बहुत अधिक अन्य देशों में रहती है. ऐसे में कानपुर के कई उत्पाद पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी निर्यात किए जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर जनता की नाराजगी से कानपुर के निर्यात कारोबार पर अब अच्छा खासा असर पड़ गया है. एक ओर जहां उत्पादों को भेजे जाने की प्रक्रिया भी बहुत सुस्त हो चुकी है, वहीं निर्यातकों के पास किसी तरीके के आर्डर नहीं आ रहे हैं. निर्यात के साथ-साथ ही भारत-बांग्लादेश से कई वस्तुओं को लेकर आयात भी करता है, जिस पर भी वेट एंड वॉच की स्थिति अब कायम हो गई है.


सालाना 500 करोड़ रुपये का होता है निर्यात: इस पूरे मामले को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत संवाददाता को बताया कि कानपुर से हर साल लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात भारत से बांग्लादेश को किया जाता है, हालांकि पिछले कुछ दिनों की बात करें तो कई करोड़ रुपए के आर्डर (उत्पाद) फंस चुके हैं. वहीं माना जा रहा है कि 50-70 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा. आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि बांग्लादेश, पड़ोसी देश है, इसलिए पिछले कई वर्षों से निर्यात कारोबार तो बेहतर ढंग से चल रहा था, लेकिन अब अचानक ही ब्रेक लगने से कारोबारियों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति आ चुकी है.




जानिए कौन-कौन से उत्पादों का होता है निर्यात : कानपुर से बांग्लादेश जो उत्पाद भेजे जाते हैं, उनमें प्रमुख रूप से चावल, गेहूं, प्याज, फल व कई अन्य सब्जियां, चमड़ा, चमड़े से तैयार उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, प्लास्टिक उत्पाद और टेक्सटाइल से बने उत्पाद शामिल हैं.

क्या बोले निर्यातक : आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो निर्यातकों के सामने स्थितियां बेहद विकट रही हैं. कुछ समय पहले जहां यूरोप की मंदी छाई रही, उसके बाद यूक्रेन-रूस वार और फिर इजराइल-फिलिस्तीन के संकट से उबरते हुए निर्यातकों के लिए बाजार कुछ बेहतर हुआ था, लेकिन अब बांग्लादेश के मुद्दे से निर्यातक परेशान हो चुके हैं. बांग्लादेश में कानपुर से गारमेंट व लेदर उत्पाद भी अच्छी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं. ऐसे में निर्यातकों को अब केवल स्थिति सामान्य होने का ही इंतजार करना होगा.

काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष जावेद इकबाल ने बताया कि चमड़ा और चमड़े से जुड़े कारोबार करने वाले निर्यातक काफी हद तक परेशान हैं. उनके पास किसी तरीके का कोई जवाब नहीं है, जहां उनके उत्पाद भी फंस चुके हैं, वहीं उन्हें ऑर्डर ना मिलने से उनके ऊपर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट पड़ा है.

इन देशों में होता है कारोबार : यूएसए, यूएई, जर्मनी, इटली, नेपाल, बांग्लादेश, वियतनाम, ब्राजील, तुर्कीए, स्पेन.

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