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Rajasthan: उपचुनाव के लिए कैंडिडेट की घोषणा के बाद भाजपा में बगावत, टिकट न मिलने पर इन नेताओं ने किया बड़ा ऐलान

विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा ने पहली सूची जारी कर दी, लेकिन इस सूची के जारी होने के साथ विरोध शुरू हो गया.

Rajasthan By Elections
पहली सूची जारी होने के साथ भाजपा में बगावत (Photo ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 21, 2024, 12:31 PM IST

Updated : Oct 21, 2024, 1:09 PM IST

जयपुर: प्रदेश में 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने 6 सीटों पर अपने उम्मीद्वार का ऐलान कर दिया है. बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही पार्टी में नेताओं के बगावती रुख भी सामने आने लगे हैं. जिन नेताओं को टिकट मिलने की उम्मीद थी, वे निराश हुए और उन्होंने टिकट न मिलने पर बगावत करनी शुरू कर दी. कुछ जगह तो नेताओं ने बागी हो कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो कुछ नेता उपचुनाव में टिकट न मिलने पर फूट-फूट कर रो रहे हैं, यहां तक कि कुछ जगहों पर अपने समर्थकों के जरिए पार्टी से इस्तीफा दिलाकर प्रेशर पोलटिक्स की जा रही है.

इन 6 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार घोषित: बीजेपी ने 19 अक्टूबर शाम को प्रदेश की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपनी पहली सूची में चौरासी विधानसभा को छोड़ बाकी सभी 6 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. इसमें देवली - उनियारा सीट पर अपने 2023 के प्रत्याशी को बदलते हुए पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर ने भरोसा जताया है, जबकि दौसा विधानसभा सीट से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया है.

पढ़ें: खींवसर विधानसभा उपचुनाव: भाजपा ने खोले पत्ते, अब बारी आरएलपी व कांग्रेस की

सलूंबर से दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा, रामगढ़ सीट पर भी 2023 के प्रत्याशी बदलते हुए 2023 में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले सुखवंत सिंह को टिकट दिया है. सुखवंत 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, लेकिन 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे, झुंझुनूं में भी 2023 के प्रत्याशी को बदलते हुए बागी होकर चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र भामू को टिकट दिया है. भामू 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, जबकि 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. खींवसर से रेवंतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया है. डांगा 2023 के चुनाव में RLP को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे. डांगा एक जमाने में हनुमान बेनीवाल की सबसे करीबी माने जाते थे, लेकिन 2023 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी और करीब 2100 वोटो से हारे थे.

यहां उठी बगावत: -

झुंझुनूं विधानसभा सीट: वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन राजनीति के पंडित कहते हैं कि भाजपा हर बार अपने नेताओं की बगावत और भितरघात के चलते इस सीट को कांग्रेस के खाते में डाल देती है. 2018 के चुनाव में जब राजेन्द्र भामू को टिकट दिया गया तो, दूसरे टिकट के मजबूत दावेदार बबलू चौधरी ने बगावत कर निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में कूद गए और नतीजा भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा, इसके बाद 2023 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व के चुनाव में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले बबलू चौधरी को प्रत्याशी बनाया तो राजेन्द्र भामू पार्टी से बगावत कर और निर्दलीय चुनाव लड़े, नतीजा भाजपा के वोट एक बार फिर बंट गए और कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र ओला को इसका लाभ मिला. इस बार फिर उपचुनाव में भाजपा इसी बगावत का सामना कर रही है. 2023 में प्रत्याशी रहे बबलू चौधरी ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलना कर दिया है,जिससे एक बार फिर यह सीट भाजपा के लिए मुश्किलों वाली होने जा रही है.

रामगढ़ विधानसभा सीट: रामगढ़ से बीजेपी ने 2023 में बगावत करने वाले सुखवंत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा तो टिकट कटने से नाराज पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी जय आहूजा ने बगावत कर दी. आहूजा के समर्थन में भाजपा के रामगढ़ विस क्षेत्र के सभी पांच मंडल अध्यक्षों ने इस्तीफे दे दिए हैं. आहूजा ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पंचायत कर आगे का निर्णय समाज पर छोड़ दिया. आहूजा के तेवर साफ बता रहे हैं कि वो इस बार पीछे हटने वाले नहीं. ऐसे में पहले से ही कांग्रेस के खाते में रही इस सीट पर भाजपा बगावत को समय पर ठीक नहीं करती है तो खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

सलूंबर विधानसभा सीट: सलूंबर से बीजेपी ने दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को टिकट देकर सहानुभूति की उम्मीद कर रही है, लेकिन टिकट की दावेदारी रख रहे नरेंद्र मीणा ने बगावत कर दी है. मीणा ने कहा कि 20 साल धैर्य रखा, लेकिन पार्टी परिवारवाद की परिपाटी पर चल रही है. अब जो भी फैसला होगा वो समर्थकों की राय से लेंगे. समर्थकों बीच पहुंचे नरेंद्र मीणा फूट-फूट कर रोने लगे. नरेंद्र ने अब समाज के लोगों का निर्णय लेकर उसे आलाकमान को भेजेंगे. मीणा ने चेताया कि पार्टी को टिकट पर पुनर्विचार करना चाहिए. जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होने है, उनमें से सिर्फ सलूम्बर में बीजेपी है, लेकिन अगर यहां पर मीणा बगावत कायम रखते हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है.

फूट-फूट कर रोए नरेंद्र मीणा (वीडियो ईटीवी भारत उदयपुर)

यह भी पढ़ें: सलूंबर सीट से टिकट मिलने के बाद क्या बोलीं शांता देवी ? आप भी सुनिए

देवली-उनियारा विधानसभा सीट: देवली उनियारा में भाजपा ने अपने पूर्व विधायक और 2018 के प्रत्याशी रहे राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा है, लेकिन 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला का टिकट कटने से उनके समर्थक विरोध में उतर आए. समर्थक बैंसला को टिकट देने की मांग को लेकर पानी की टंकी और मोबाइल टावर पर चढ़ गए. समर्थकों की नाराजगी है कि जिन्होंने पिछले चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को हराने का काम किया, उन्हें पार्टी ने टिकट दिया. हालांकि विजय बैंसला ने अभी तक अपनी ओर से कोई बयान जारी नहीं किया. समर्थकों की ओर से हो रहे विरोध पर जब इटीवी भारत जब बैंसला से बात की तो उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय है. इसके बाद उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. वैसे ये सीट दो बार से कांग्रेस के खाते हैं, इस सीट पर पार्टी इस नाराजगी को खत्म नहीं करती है तो इस बार भी खमियाजा उठाना पड़ सकता है.

जयपुर: प्रदेश में 13 नवम्बर को होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने 6 सीटों पर अपने उम्मीद्वार का ऐलान कर दिया है. बीजेपी की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही पार्टी में नेताओं के बगावती रुख भी सामने आने लगे हैं. जिन नेताओं को टिकट मिलने की उम्मीद थी, वे निराश हुए और उन्होंने टिकट न मिलने पर बगावत करनी शुरू कर दी. कुछ जगह तो नेताओं ने बागी हो कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो कुछ नेता उपचुनाव में टिकट न मिलने पर फूट-फूट कर रो रहे हैं, यहां तक कि कुछ जगहों पर अपने समर्थकों के जरिए पार्टी से इस्तीफा दिलाकर प्रेशर पोलटिक्स की जा रही है.

इन 6 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार घोषित: बीजेपी ने 19 अक्टूबर शाम को प्रदेश की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपनी पहली सूची में चौरासी विधानसभा को छोड़ बाकी सभी 6 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. इसमें देवली - उनियारा सीट पर अपने 2023 के प्रत्याशी को बदलते हुए पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर ने भरोसा जताया है, जबकि दौसा विधानसभा सीट से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को उम्मीदवार बनाया है.

पढ़ें: खींवसर विधानसभा उपचुनाव: भाजपा ने खोले पत्ते, अब बारी आरएलपी व कांग्रेस की

सलूंबर से दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा, रामगढ़ सीट पर भी 2023 के प्रत्याशी बदलते हुए 2023 में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले सुखवंत सिंह को टिकट दिया है. सुखवंत 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, लेकिन 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे, झुंझुनूं में भी 2023 के प्रत्याशी को बदलते हुए बागी होकर चुनाव लड़ने वाले राजेंद्र भामू को टिकट दिया है. भामू 2018 में बीजेपी प्रत्याशी रह चुके है, जबकि 2023 टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे. खींवसर से रेवंतराम डांगा पर फिर से भरोसा जताया है. डांगा 2023 के चुनाव में RLP को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए थे. डांगा एक जमाने में हनुमान बेनीवाल की सबसे करीबी माने जाते थे, लेकिन 2023 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल को कड़ी चुनौती दी थी और करीब 2100 वोटो से हारे थे.

यहां उठी बगावत: -

झुंझुनूं विधानसभा सीट: वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन राजनीति के पंडित कहते हैं कि भाजपा हर बार अपने नेताओं की बगावत और भितरघात के चलते इस सीट को कांग्रेस के खाते में डाल देती है. 2018 के चुनाव में जब राजेन्द्र भामू को टिकट दिया गया तो, दूसरे टिकट के मजबूत दावेदार बबलू चौधरी ने बगावत कर निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में कूद गए और नतीजा भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा, इसके बाद 2023 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व के चुनाव में बागी होकर चुनाव लड़ने वाले बबलू चौधरी को प्रत्याशी बनाया तो राजेन्द्र भामू पार्टी से बगावत कर और निर्दलीय चुनाव लड़े, नतीजा भाजपा के वोट एक बार फिर बंट गए और कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र ओला को इसका लाभ मिला. इस बार फिर उपचुनाव में भाजपा इसी बगावत का सामना कर रही है. 2023 में प्रत्याशी रहे बबलू चौधरी ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलना कर दिया है,जिससे एक बार फिर यह सीट भाजपा के लिए मुश्किलों वाली होने जा रही है.

रामगढ़ विधानसभा सीट: रामगढ़ से बीजेपी ने 2023 में बगावत करने वाले सुखवंत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा तो टिकट कटने से नाराज पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी जय आहूजा ने बगावत कर दी. आहूजा के समर्थन में भाजपा के रामगढ़ विस क्षेत्र के सभी पांच मंडल अध्यक्षों ने इस्तीफे दे दिए हैं. आहूजा ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पंचायत कर आगे का निर्णय समाज पर छोड़ दिया. आहूजा के तेवर साफ बता रहे हैं कि वो इस बार पीछे हटने वाले नहीं. ऐसे में पहले से ही कांग्रेस के खाते में रही इस सीट पर भाजपा बगावत को समय पर ठीक नहीं करती है तो खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

सलूंबर विधानसभा सीट: सलूंबर से बीजेपी ने दिवंगत अमृत लाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को टिकट देकर सहानुभूति की उम्मीद कर रही है, लेकिन टिकट की दावेदारी रख रहे नरेंद्र मीणा ने बगावत कर दी है. मीणा ने कहा कि 20 साल धैर्य रखा, लेकिन पार्टी परिवारवाद की परिपाटी पर चल रही है. अब जो भी फैसला होगा वो समर्थकों की राय से लेंगे. समर्थकों बीच पहुंचे नरेंद्र मीणा फूट-फूट कर रोने लगे. नरेंद्र ने अब समाज के लोगों का निर्णय लेकर उसे आलाकमान को भेजेंगे. मीणा ने चेताया कि पार्टी को टिकट पर पुनर्विचार करना चाहिए. जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होने है, उनमें से सिर्फ सलूम्बर में बीजेपी है, लेकिन अगर यहां पर मीणा बगावत कायम रखते हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है.

फूट-फूट कर रोए नरेंद्र मीणा (वीडियो ईटीवी भारत उदयपुर)

यह भी पढ़ें: सलूंबर सीट से टिकट मिलने के बाद क्या बोलीं शांता देवी ? आप भी सुनिए

देवली-उनियारा विधानसभा सीट: देवली उनियारा में भाजपा ने अपने पूर्व विधायक और 2018 के प्रत्याशी रहे राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा है, लेकिन 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके विजय बैंसला का टिकट कटने से उनके समर्थक विरोध में उतर आए. समर्थक बैंसला को टिकट देने की मांग को लेकर पानी की टंकी और मोबाइल टावर पर चढ़ गए. समर्थकों की नाराजगी है कि जिन्होंने पिछले चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को हराने का काम किया, उन्हें पार्टी ने टिकट दिया. हालांकि विजय बैंसला ने अभी तक अपनी ओर से कोई बयान जारी नहीं किया. समर्थकों की ओर से हो रहे विरोध पर जब इटीवी भारत जब बैंसला से बात की तो उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय है. इसके बाद उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. वैसे ये सीट दो बार से कांग्रेस के खाते हैं, इस सीट पर पार्टी इस नाराजगी को खत्म नहीं करती है तो इस बार भी खमियाजा उठाना पड़ सकता है.

Last Updated : Oct 21, 2024, 1:09 PM IST
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