शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृति के बाद पुनर्नियुक्त कर्मचारी को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार को संशोधित वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी मुंशी राम पठानिया की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को अंतिम वेतन के आधार पर पुनर्नियुक्ति की अवधि के लिए संशोधित वेतनमान से वंचित नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता को 10 जून 2019 से 10 जून 2022 तक पूर्व-संशोधन मूल वेतन और संशोधित मूल वेतन के अंतर की राशि का 3 माह के भीतर भुगतान करे. ऐसा न करने पर बकाया राशि पर निर्णय की तारीख से 6 फीसदी की दर से ब्याज भी देना होगा.
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता 10 जून 2009 को हिमाचल प्रदेश सचिवालय से एक निजी सहायक के रूप में सेवानिवृत्त हुआ था. उनकी सेवानिवृत्ति पर स्टाफ की कमी के कारण 10 जून 2019 को सेवानिवृत्ति के समय प्राप्त वेतन बैंड+ग्रेड वेतन में वेतन के आधार पर एक वर्ष की अवधि के लिए निजी सहायक के रूप में फिर से नियुक्त किया गया था.
याचिकाकर्ता के अनुसार हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान के संशोधन के परिणामस्वरूप, 01 जनवरी 2016 से, अधिसूचना दिनांक 03 जनवरी 2022 के अनुसार, वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों का वेतन संशोधित वेतन ढांचे में तय किया गया था. याचिकाकर्ता का वेतन 01 जनवरी 2016 से पुनः निर्धारित किया गया था.
याचिकाकर्ता का तर्क था कि वेतन निर्धारण के परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता की ओर से अपनी सेवानिवृत्ति के समय लिया गया अंतिम वेतन संशोधित किया गया था, इसलिए वह अपनी पुनर्नियुक्ति की अवधि के लिए उक्त संशोधित वेतन का हकदार है. इसे अस्वीकार करना कानूनन गलत है.
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